21st June Yoga Day: विश्व कल्याण की संजीवनी योग

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21st June Yoga Day:

21st June Yoga Day: विश्व कल्याण की संजीवनी योग

 डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

21 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैश्विक जागरूकता का पर्व बन चुका है। यह दिवस न केवल भारत की आध्यात्मिक धरोहर को पुनः प्रतिष्ठित करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि योग आज के वैज्ञानिक युग में भी अत्यंत प्रासंगिक है। वर्ष 2025 का योग दिवस “Yoga for Self and Society” की प्रेरणादायक थीम के साथ मनाया जा रहा है, जो बताता है कि योग से न केवल व्यक्ति का विकास होता है, बल्कि सम्पूर्ण समाज में सौहार्द, स्वास्थ्य और समरसता आती है।

योग की परिभाषा और दर्शन

योग शब्द संस्कृत की “युज्” धातु से निकला है, जिसका अर्थ है – जोड़ना, संयमित करना, एकता में लाना।
महर्षि पतंजलि के अनुसार

“योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः”। (योग वह है जो चित्त की वृत्तियों का निरोध करता है।)”

यह केवल शरीर के व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा, मन, और शरीर के संतुलन का विज्ञान है। योग के आठ अंग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि – सम्पूर्ण जीवन को संयमित करते हैं।

वैश्विक मान्यता और प्रधानमंत्री मोदी का योगदान

27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया और उसके सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया। परिणामस्वरूप, 193 देशों ने 21 जून को International Day of Yoga के रूप में अपनाया – यह भारत की एक महान सांस्कृतिक विजय थी।

UN ने योग को मानवता की अमूल्य धरोहर मानते हुए वर्ष 2016 में इसे UNESCO Intangible Cultural Heritage में शामिल किया।

योग के लाभ: व्यक्ति से समाज तक

 

योग और हैप्पीनेस हार्मोंस का संबंध (Happiness Hormones through Yoga):

1. डोपामिन (Dopamine) – मोटिवेशन और आनंद का हार्मोन:

योगासन विशेषतः सूर्य नमस्कार, वृक्षासन, और ब्रह्म मुद्रा से डोपामिन का स्तर बढ़ता है।

यह हार्मोन प्रेरणा, आत्म-संतोष और रचनात्मकता को बढ़ाता है।

2. सेरोटोनिन (Serotonin) – मन की शांति और नींद के लिए:

प्राणायाम (विशेषतः अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) और ध्यान के अभ्यास से इसका स्राव बढ़ता है।

इससे अवसाद, अनिद्रा और चिंता में कमी आती है।

3. ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) – प्रेम और संबंधों का हार्मोन:

समूह योग, मंत्र जप, और भावनात्मक ध्यान (loving-kindness meditation) इस हार्मोन को सक्रिय करते हैं।

इससे समाज में करुणा, सहानुभूति और मेलजोल बढ़ता है।

4. एंडोर्फिन (Endorphins) – प्राकृतिक पेनकिलर और सुखद अनुभूति:

विन्यास योग (vinyasa flow), तीव्र श्वास-प्रश्वास और हल्के पसीने से एंडोर्फिन रिलीज होते हैं।

यह शरीर में दर्द को कम करता है और प्रसन्नता लाता है।

योग द्वारा आंतरिक उपचार (Internal Healing through Yoga):

5. स्वस्थ चयापचय (Metabolism):

योगासन जैसे पवनमुक्तासन, भुजंगासन व मत्स्यासन पाचन क्रिया को सुधारते हैं और विषैले तत्व बाहर निकालते हैं।

6. इम्यून सिस्टम सशक्त:

नियमित प्राणायाम और श्वास तकनीक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त करती हैं।

WHO भी इसे preventive healthcare का हिस्सा मानता है।

योग भाग 3

7. हॉर्मोनल बैलेंस:

थायरॉइड, PCOD, और मधुमेह जैसी हार्मोन संबंधी समस्याओं में योग अत्यंत लाभकारी है।

सर्वांगासन और हलासन थायरॉइड को संतुलित करते हैं।

8. तंत्रिका तंत्र की शांति:

योगिक ध्यान से sympathetic nervous system शांत होता है और parasympathetic system सक्रिय होता है, जिससे शरीर का healing mode चालू होता है।

9. कार्टिसोल (Cortisol) का नियंत्रण:

कार्टिसोल – तनाव का हार्मोन – योग से नियंत्रित होता है, जिससे हृदय, मस्तिष्क और त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

10. सेलुलर स्तर पर उपचार:

वैज्ञानिक शोध के अनुसार, योग DNA repair व सेल रीजेनेरेशन में सहायक होता है, जिससे बुढ़ापा धीमा पड़ता है और कोशिकाएँ स्वस्थ रहती हैं।

योग न केवल मन को प्रसन्न करता है, बल्कि शरीर की आंतरिक चिकित्सा प्रणाली को सक्रिय कर दीर्घकालीन स्वास्थ्य और आनंद का स्रोत बन जाता है।
इस योग दिवस, आइए हम सब यह समझें कि –

> “योग मात्र व्यायाम नहीं, एक आंतरिक उत्सव है।”

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2. शारीरिक स्वास्थ्य

योग से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, मांसपेशियां लचीली होती हैं और रक्तसंचार बेहतर होता है। यह मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया, और रीढ़ की समस्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। हृदय सुरक्षा एवं प्रतिरोधात्मक शक्ति का वर्धन करता है।

3. मानसिक शांति

प्राणायाम और ध्यान तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करते हैं। ICMR और WHO के अनुसार, नियमित योगाभ्यास से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे मानसिक संतुलन बनता है।

4. आत्मिक जागृति

ध्यान और समाधि से व्यक्ति स्वयं की गहराइयों से जुड़ता है। गीता के छठे अध्याय में श्रीकृष्ण कहते हैं:
“योगी सर्वोभूतानां अन्तरात्मा स्थिता:”
योगी सभी प्राणियों में एकता देखता है – यही समाज की आधारशिला है।

5. सामाजिक समरसता

योग न केवल व्यक्ति को स्वस्थ बनाता है, बल्कि करुणा, सहिष्णुता और संयम जैसे गुणों को भी प्रबल करता है, जिससे सामाजिक सद्भाव बढ़ता है।

6. बालक, युवा, महिला और वृद्ध – सबके लिए

बच्चों के लिए एकाग्रता व स्मृति बढ़ाने वाला, युवाओं के लिए आत्म-नियंत्रण व ऊर्जा, महिलाओं के लिए हार्मोनल संतुलन, और वृद्धों के लिए जोड़ों की रक्षा – योग हर आयु वर्ग के लिए लाभकारी है।

2025 की थीम: “Yoga for Self and Society”

यह थीम इंगित करती है कि योग का अभ्यास केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित न रहे, बल्कि उसका सामाजिक और वैश्विक प्रभाव समझा जाए। जब एक व्यक्ति स्वस्थ और शांत होता है, तब वह अपने परिवेश में भी शांति और सौहार्द फैलाता है।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में योग की आवश्यकता

कोरोना महामारी के पश्चात योग ने लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से संभाला।

बढ़ते डिजिटल तनाव, तनावग्रस्त जीवनशैली, और भौतिकवादी प्रतिस्पर्धा में योग एक शांति का दीपक है।

आधुनिक चिकित्सा भी अब Mind-Body Medicine को मान्यता दे रही है, जिसमें योग एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

भारत की भूमिका: योग का विश्वगुरु बनना

भारत सदियों से योग का जन्मस्थल रहा है। आज आवश्यकता है कि हम न केवल योगाभ्यास करें, बल्कि उसके सिद्धांतों को १भी जीवन में उतारें – सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जैसे यम-नियम केवल साधक के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी आदर्श हैं।

निष्कर्ष

योग कोई चमत्कार नहीं, बल्कि नित्य साधना का परिणाम है। यह हमें शरीर से मन, मन से आत्मा और आत्मा से ब्रह्म तक की यात्रा कराता है।
इस 21 जून 2025, हम सब यह संकल्प लें –
स्वस्थ व्यक्ति, शांत मन, सशक्त समाज और समरस विश्व के लिए योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाएँ।

 

प्रमाणिक संदर्भ (Authentic References):

1. पतंजलि योगसूत्र – महर्षि पतंजलि
2. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 6 – ध्यान योग
3. Ministry of AYUSH, Government of India – https://www.ayush.gov.in
4. World Health Organization (WHO) – “Yoga: A powerful tool for health”
5. ICMR Research – “Impact of Yoga on Non-Communicable Diseases”
6. UNESCO Intangible Cultural Heritage List – Yoga’s global recognition
7. PM Narendra Modi’s UN Speech, 2014 – योग को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक क्षण

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