

Laser Angioplasty Technique: दिल की रक्त वाहिनियों के जटिल ब्लॉकेज का नया समाधान
डॉ तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास
आज के युग में हृदय रोग केवल वृद्धों की नहीं, बल्कि युवाओं की भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। विशेष रूप से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD), जिसमें हृदय को रक्त पहुंचाने वाली नसें अवरुद्ध हो जाती हैं, यह सबसे प्रमुख हृदय रोग है। समय पर निदान और उपचार न होने पर यह दिल के दौरे (Heart Attack) का कारण बन सकता है।
ऐसे अवरोधों को दूर करने के लिए एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें स्टेंट या बैलून की सहायता से रक्त प्रवाह को बहाल किया जाता है। परंतु जब नसों में ब्लॉकेज बहुत जटिल, कठोर, या अत्यधिक संकरे होते हैं, और पारंपरिक उपचार असफल हो जाते हैं, तब चिकित्सा विज्ञान की एक नवीनतम तकनीक –
लेज़र एंजियोप्लास्टी – आशा की नई किरण बनकर उभरती है।
लेज़र एंजियोप्लास्टी: क्या है यह तकनीक ?
लेज़र एंजियोप्लास्टी एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें एक्साइमर लेज़र (Excimer Laser) नामक पराबैंगनी (Ultraviolet) किरणों का उपयोग किया जाता है। यह लेज़र एक अत्यंत पतले कैथेटर के माध्यम से हृदय की अवरुद्ध धमनियों तक पहुँचाई जाती है।

जैसे ही यह किरणें ब्लॉकेज तक पहुँचती हैं, वे फैटी डिपॉजिट्स (Plaque), कैल्सियम, और थक्कों को वाष्पीकृत कर देती हैं — यानी उन्हें भाप में बदल देती हैं — वह भी बिना नस को क्षति पहुँचाए। यह प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म होती है कि अवरोध केवल अणुओं के स्तर पर ही टूटता है।
कहाँ होता है इसका उपयोग ?
लेज़र एंजियोप्लास्टी विशेष रूप से उन मामलों में उपयोग की जाती है, जहाँ:
नसों में ब्लॉकेज बहुत कठोर, पुराने या अत्यंत जटिल होते हैं
पारंपरिक बैलून एंजियोप्लास्टी या स्टेंटिंग विफल हो चुकी हो
रेस्टेनोसिस (Stent के भीतर दोबारा ब्लॉकेज) हो गया हो
मरीज की बायपास सर्जरी संभव न हो या उच्च जोखिम वाला हो
यह तकनीक कैसे कार्य करती है?
1. इसमें लेज़र किरणें 90% जल और 10% ऊर्जा के संतुलन से कार्य करती हैं।
2. यह लेज़र plaque को काटती नहीं, बल्कि उसे फोटोकेमिकल क्रिया के माध्यम से मूल आणविक स्तर पर वाष्पीकृत कर देती है।
3. इस प्रक्रिया में कोई मलबा (debris) नहीं बनता, जिससे रक्त प्रवाह में कोई बाधा नहीं आती।
4. धमनियों की दीवारों को कोई नुकसान नहीं होता, जिससे प्राकृतिक संरचना सुरक्षित रहती है।
लेज़र एंजियोप्लास्टी के प्रमुख लाभ
यह धमनियों की मूल बनावट को संरक्षित रखती है
अत्यंत संकरी, मुड़ी हुई नसों में भी प्रभावी
उपचार के बाद जल्दी रिकवरी
थ्रोम्बस (रक्त के थक्के) और कैल्सिफाइड प्लाक में भी उपयोगी
उच्च जोखिम वाले बुजुर्ग या गंभीर रोगियों के लिए अत्यंत उपयोगी विकल्प
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी विशेषता
यह तकनीक अत्यधिक सटीक (Precise) है — केवल प्रभावित हिस्से पर कार्य करती है
थर्मल डैमेज (ऊष्मा से नुकसान) न्यूनतम होता है
इसमें उपयोग होने वाला फोटोकेमिकल सिद्धांत आधुनिक भौतिकी व रसायन विज्ञान का अनुप्रयोग है
पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह कम इनवेसिव और अधिक परिणामदायक है
भारत में उपलब्धता और भविष्य की दिशा
अब भारत के कई प्रमुख हृदय संस्थानों और अस्पतालों में लेज़र एंजियोप्लास्टी उपलब्ध है — जैसे:
AIIMS, दिल्ली
नारायणा हृदयालय, बेंगलुरु
एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई
अपोलो, मेदांता, फोर्टिस जैसे सुपरस्पेशलिटी केंद्र
भारत अब इस तकनीक के माध्यम से हृदय चिकित्सा में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो चुका है। निकट भविष्य में यह तकनीक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो सकेगी।
नवाचार और सेवा का संगम
लेज़र एंजियोप्लास्टी केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि यह विज्ञान, मानव सेवा और चिकित्सा समर्पण का अद्वितीय संगम है। यह उन हजारों मरीजों के लिए जीवन की नई आशा है, जो पारंपरिक उपचार से वंचित रह जाते थे।
जीवन रक्षा ही सच्चा धर्म है
हमें चाहिए कि इस चमत्कारी तकनीक की जानकारी को जन-जन तक पहुँचाएं।
क्योंकि —
“एक जीवन बचाना, संपूर्ण मानवता की रक्षा करने के समान है।”
विज्ञान तभी सार्थक है, जब वह सेवा के लिए समर्पित हो।
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