299th Birth Anniversary of Ahilyabai Holkar: पुण्यश्लोका : देवी अहिल्या बाई
मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नीअहिल्याबाई होळकर का जन्म चौंडी नामक गाँव में हुआ था जो आजकल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के जामखेड में पड़ता है.आज उन पर लिखी दो कवितायें प्रस्तुत हैं –
पुण्यश्लोका : देवी अहिल्या बाई
गौरव थी इंदौर का,
देवि अहिल्या मात ।
पुण्यों से सींची धरा,
जग में हुईं विख्यात ।।
नगरी वृन्दावन जहाँ
पुण्यों का आवर्त ।
अन्नक्षेत्र के रूप मे
खोला सदावर्त ।।
सागर के उस छोर तक
पुण्य किया था जाए ।
कृष्णचंद्र की द्वारका,
अन्नक्षेत्र लगवाए ।।
साविधि मंदिर सोमनाथ
जीर्णोद्धार कराए।
पूजन आदि के लिये
साधन कई जुटवाए ।।
पंढरपुर निर्मित किया,
नव मंदिर रघुराई ।
अद्वितीय पुण्यात्मा,
मात अहिल्या बाई ।।
दक्षिण में रामेश्वरम,
ज्योतिर्लिंग शिवधाम ।
धर्मशाल की निर्मिति,
तीरथजन के नाम ।।
गंगा के उद्गम स्थल,
गंगोत्री के तीर ।
घाट बना अर्पित किये,
ऐसी धरमवीर ।।
मंदिर विश्वनाथ को
जीर्णोद्धार कराए ।
काशी के तट गंग पर
नए घाट बनवाए ।।
सेवा पूजा बनि रहे,
गाँव किये कई दान ।
जगन्नाथपुरी जा किया,
मंदिर का अवदान ।।
दुर्गम उस कैलाश पर,
शिवजी का है धाम ।
कुंड जहां निर्मित किया,
केदारेश्वर नाम ।।
नगरी पावन अयोध्या
मंदिर नए बनवाए ।
सलिला सरयू तीर पर,
घाट ठीक करवाए ।।
शिवोपासना में निरत,
मात अहिल्या बाई ।
पुण्यश्लोका थी बड़ी,
जग में ख्याति पाई ।।
पुण्य धर्म के हेत में
दिये कई अवदान
ऐसी थीं माँ अहिल्या
शत-शत जिन्हें प्रणाम
-वंदना दुबे
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माता श्री
भारत माता के हृदय स्थल
मालवांचल की गोद मे
मां अहिल्याबाई बिराजी हैं
मालवा मातु श्री कहाई हैं।।
मन मे कोमलभाव लिए
प्रजा को गले लगाई हैं
वहीं सिंहनी बनकर
दुश्मन को धूल चटाई है।।
नर्मदा तट राजधानी बना
राज्य को संचालित किया है
देश की माटी के कणकण को
अपने सत्कर्म से चंदन किया है।।
हर गृह को मां का आशीष है
मालवांचल मे छत्र छाया है
मातोश्री के श्री चरणो मे
शत शत वंदन अभिनंदन है।।
वन्दिता श्रीवास्तव इन्दौर
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