भाजपा के नटवर सिंह है जयशंकर

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भाजपा के नटवर सिंह है जयशंकर

भाजपा के नेताओ मे मुझे सुब्रह्मण्यम जयशंकर बहुत पसंद हैं। पसंद इसलिए हैं क्योंकि वे नेता नहीं बल्कि अपने विषय के विशेषज्ञ हैं और उनकी तरबियत नागपुर में नहीं दिल्ली में एक नौकरशाह परिवार में हुई।एस जयशंकर को मैं भाजपा का नटवर सिंह मानता हूं।

आपको बता दूं कि मुझे जयशंकर के अलावा विदेशमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेई और नटवर सिंह हमेशा आकर्षित और प्रभावित करते रहे।अब मैं एस जयशंकर का मुरीद हूं। भाजपा ने अपनी पूरी टीम खंगाली और जब विदेश मंत्री के लायक कोई नहीं मिला तो जयशंकर को नौकरशाह से नेता बना दिया। भाजपा के पास सुषमा स्वराज जैसा कोई दूसरा था ही नहीं।

मुझे अच्छा लगता है जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जयशंकर पड़ोसी पाकिस्तान की बखिया तरीके से उधेड़ते हैं।एक विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर की कामयाबी का राज ये भी है कि वे अमेरिका और चीन में वर्षों तक भारत के राजदूत रहे।वे जानते हैं कि चीन और अमेरिका पाकिस्तान के साथ कैसे रिश्ते रखते हैं?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने लगातार दूसरी बार पाकिस्तान पर आतंकवाद का गढ़ होने का आरोप पूरी गंभीरता से लगाया है। उनके पहले आक्षेप पर पाकिस्तान के नाबालिग विदेश मंत्री बिलाबल भुट्टो बिलबिला गये थे। उन्होंने तब इतना घटिया बयान दिया था कि दुनिया भर में उनकी फजीहत हुई थी।

जयशंकर ने पिछले दिनों एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान को आतंकवाद का एपीसेंटर (केंद्र बिंदु) बताया था। ऑस्ट्रिया के सरकारी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सीमा पार आतंकवाद फैलाने में पाकिस्तान का बड़ा हाथ है और दुनिया को पाकिस्तान से सतर्क हो जाना चाहिए ।

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान से पाकिस्तान फिर तिलमिला गया ।पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारतीय विदेश मंत्री का यह बयान पाकिस्तान को बदनाम करने और अलग-थलग करने में भारत की विफलता के बाद हताशा को दर्शाता है.

पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में भी भारत पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है.

एक राजनयिक होने का मतलब यह नहीं है कि आप सच नहीं बोलेंगे. पाकिस्तान के लिए मैं इससे भी ज्यादा कठिन शब्दों का इस्तेमाल कर सकता हूं. मेरा यकीन मानिए भारत के साथ जो हो रहा है, उसके लिए ‘आतंकवाद का एपीसेंटर’ बहुत छोटा और राजनयिक शब्द है.”

कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में 18 महीने विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह भी जयशंकर की तरह विषय विशेषज्ञ थे।वे इंदिरा गांधी की पसंद थे। सेवानिवृत्त के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए चुनाव लड़ें भी और जीते भी। बाद में उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया।

अटल जी भारत के 9वें,नटवर सिंह 25 वें और जयशंकर 30 वें विदेश मंत्री हैं।और कामयाब विदेश मंत्री हैं।वे स्वर्गीय सुषमा स्वराज की तरह महात्वाकांक्षी राजनेता नहीं है इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उनसे कोई खतरा भी नहीं है, अन्यथा पंडित जवाहरलाल नेहरू हों या इंदिरा गांधी समेत तमाम प्रधानमंत्री विदेश मंत्रालय अपने पास रखने से नहीं हिचके।

मुझे फक्र होता है कि देश के अब तक के 30 विदेश मंत्रियों में से तीन को छोड़ अधिकांश को मैंने देखा है, कुछ को तो निजी तौर पर भी मिला हूं। श्री स्वर्ण सिंह, दिनेश सिंह, यशवंत राव चव्हाण, श्याम नंदन मिश्रा,पीवी नरसिम्हा राव, बलीराम भगत,पी शिवशंकर,एनडी तिवारी, वीपी सिंह, इंद्रकुमार गुजराल, चंद्रशेखर, विद्याचरण शुक्ल,माधव सिंह सोलंकी,प्रणव मुखर्जी, सिकंदर बख्त, जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा,एस एम कृष्णा, सलमान खुर्शीद और श्रीमती सुषमा स्वराज विदेश मंत्री के रूप में मुझे हमेशा याद आते हैं। मुमकिन है कि इनमें से बहुत से ऐसे भी हों जो इतिहास बना गये। इतिहास तो सबको बनना पड़ता है।

@ राकेश अचल