Breach Of Privilege In Assembly: मामले में दोषी छह पुलिसकर्मियों को विधानसभा ने कारावास की सजा सुनाई

19 साल बाद सदन ने सुनाई सजा

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Breach Of Privilege In Assembly

Breach Of Privilege In Assembly: मामले में दोषी छह पुलिसकर्मियों को विधानसभा ने कारावास की सजा सुनाई

यूपी विधानसभा में विशेषाधिकार हनन मामले में दोषी छह पुलिसकर्मियों को विधानसभा ने एक दिन के (शुक्रवार रात 12 बजे तक) कारावास की सजा सुनाई है। इन्हें दिन की तारीख बदलने तक विधानसभा के अंदर ही बने लॉकअप में रहना होगा।

इन पुलिसवालों को विधानसभा की विशेषाधिकार हनन समिति ने सर्वसम्मति से दोषी ठहरा दिया था। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन में सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि लॉकअप में रहने के दौरान पुलिसवालों का कोई उत्पीड़न नहीं होगा। उन्हें लॉकअप में भोजन, पानी इत्यादि की सुविधा दी जाएगी।

58 साल बाद फिर अदालत बनी यूपी विधानसभा, कटघरे में खड़े 6 पुलिसकर्मियों को सुनाई गई सजा - After 58 years UP assembly became court again 6 policemen standing in the dock sentenced ntc - AajTak

जिन पुलिसअधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद, तत्कालीन किदवई नगर थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह यादव शामिल हैं। इसमें तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अब्दुल असर रिटायर हो चुुुके हैं। विधानसभा में शुक्रवार को कार्यवाही की शुरुआत करते हुए कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को अदालत के रूप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। इसके बाद सदन में सभी छह पुलिसवालों को कारावास की सजा पर विचार करने के प्रस्ताव को भी सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया। इसके बाद सदन के सदस्यों को इस विषय पर बोलने का मौका दिया गया।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव का नाम लिया। अखिलेश यादव उस समय सदन में नहीं थे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने पूछा कि सदन में सपा के कोई अन्य सदस्य बोलना चाहते हैं? किसी की ओर से इच्छा जाहिर न करने पर विधानसभा अध्यक्ष ने अपना दल के सदस्य को बोलने का अवसर दिया। इसके बाद निषाद पार्टी के सर्वेसर्वा और मंत्री संजय निषाद ने अपने विचार व्यक्त किए। सबने इस विषय में निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को अधिकृत किया।

 ऐसे चली कार्यवाही
15 सितंबर 2004 को बिजली समस्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे तब के विधायक सलिल विश्नोई पर लाठी चार्ज करने और उनकी टांग चार जगह तोड़ने के आरोप की पुष्टि होने के बाद सभी को सदन की अवमानना का दोषी पाया गया था। मामले की रिपोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बीते गुरुवार को संज्ञान में लिया। इसके बाद शुक्रवार को गिरफ्तार करके सदन में पेश करने का आदेश डीजीपी को दिया था। इस आदेश पर रिटायर हो चुके सीईओ अब्दुल समद, इंस्पेक्टर ऋषि कांत शुक्ला समेत सभी छह पुलिसवालों को शुक्रवार दोपहर लगभग 12:00 बजे सदन में पेश किया गया। उन्हें कठघरे में खड़ा करके सुनवाई की गई।

संसदीय कार्यमंत्री ने रखा प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने इन अधिकारियों को कारावास का दंड देने के लिये विधानसभा को अदालत में तबदील करने का प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव को पास किया गया। सुरेश खन्ना ने इन्हें दंड देने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को भी विधानसभा ने पास कर दिया। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सत्ता पक्ष द्वारा समाजवाद की आलोचना किये जाने के मुद्दे पर सदन से वाकआउट कर दिया था। सुरेश खन्ना ने कहा कि इन अधिकारियों को अपनी बात कहने का मौका दिया जाएगा। सबसे पहले दोषी करार दिए गए तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद ने अपनी बात रखी। अब्दुल समद ने कहा कि हम विश्नोई जी और सभी से माफी मांगते है। हमें माफ कर दें। इसके बाद सभी छह पुलिसकर्मियों ने माफ़ करने की अपील विधानसभा से की। दोषी पुलिसवालों की उनके कृत्य के लिए निंदा करते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि अधिकारियों को यह अधिकार नहीं है कि वे जनप्रतिनिधियों का अपमान करें। उन पर बिना वजह लाठीचार्ज करें।

विधानसभा अध्यक्ष ने सुनाया फैसला
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा के निर्णय कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। उन्होंने दोषी पुलिसवालों को एक दिन के कारावास का प्रस्ताव रखा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इस निर्णय का दूरगामी असर पड़ेगा। लोकतंत्र में किसी को एक-दूसरे के अधिकार की सीमा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मर्यादा बनी रहनी चाहिए। चाहे वह कार्यपालिका हो या विधायिका। उन्होंने कहा कि विधानसभा की यह कार्रवाई किसी को डराने के लिये नहीं है। विधानसभा के इस निर्णय में नैसर्गिक नियमों का पालन हुआ है। सबको सफाई देने का मौका दिया गया है। अंत में फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा कि सभी दोषी पुलिसकर्मियों को आज रात 12 तक एक दिन लिए विधान सभा भवन में ही बने एक सेल में रखा जाएगा।

कृषि मंत्री ने किया उदारता बरतने का अनुरोध
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दोषी पुलिसकर्मियों के प्रति कुछ उदारता बरतने का अनुरोध किया। इस पर सदन के सदस्यों ने विरोध किया। बाद में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अब निर्णय हो चुका है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर विधानसभा के मार्शल सभी पुलिसवालों को विधानसभा के लॉकअप में ले गए।

सलिल विश्नोई को इंसाफ की खातिर 19 साल करना पड़ा इंतजार

विधायक सलिल विश्नोई को 19 साल बाद शुक्रवार को इंसाफ मिलने वाला है। शहर की बदहाल बिजली व्यवस्था के बीच आपूर्ति बहाल करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे सलिल को पुलिस ने न केवल बुरी तरह पीटा था, बल्कि बाद में दोषियों पर कार्रवाई तक नहीं की। पुलिस की बेरहमी से उनके पैर में चार फ्रैक्चर हुए थे। वह तीन दिन तक उर्सला अस्पताल में भर्ती रहे थे। बाद में महीनों बिस्तर पर रहे। मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोतवाली में एफआईआर दर्ज तो की गई पर कार्रवाई कुछ नहीं हुई। उन्होंने बताया- पुलिस ने उस केस को दाखिल दफ्तर कर दिया। बस सदन से ही उम्मीद थी। अब विधानसभा ही मेरे साथ हुई बेरहमी का इंसाफ करेगी।

हर साल संघर्ष दिवस मनाते हैं सलिल

सलिल हर साल 15 सितंबर को संघर्ष दिवस मनाते हैं। 2004 की इसी तारीख को उनका सामना पुलिस जुल्म से हुआ था। कहा- जनसमस्याओं को लेकर प्रदर्शन, पुतला फूंकना कोई अपराध नहीं था। तत्कालीन बाबूपुरवा सीओ अब्दुल समद और एसओ ऋषिकांत ने साजिशन लाठीचार्ज किया था। इस बात की शिकायत पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने जांच समिति को मामला दिया था और इसमें लाठीचार्ज करने वाले दोषी पाए गए थे। तीन दिन में अस्पताल से तो छुट्टी मिल गई थी पर साढे़े तीन महीने घर में कैद रहा था। इसके बाद न्याय की उम्मीद थी, वह मिली। अब सदन आगे का फैसला लेगा।

कल्याण सिंह ने जताया था दुख

सलिल विश्नोई चार फ्रैक्चर और देह पर तमाम चोटों के बाद बिस्तर पर थे, जब भाजपा के तत्कालीन उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम कल्याण सिंह उन्हें देखने घर पहुंचे। सलिल याद करते हैं, घटना के पांच-सात दिन बाद की बात है। कल्याण सिंह जी आए और दुख जताते हुए कहा- यही राजनीति का संघर्ष है। इसमें अडिग रहना। धैर्य मत खोना। उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखकर साहस दिया। करीब एक घंटे तक घर पर बैठकर बात करते रहे। लाठीचार्ज करने वाले पुलिस कर्मियों के भी बारे में जानकारी ली।

राजनाथ सिंह भी पहुंचे थे

सलित के मुुुुुुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने उनसे कहा था कि इस मामले को विशेषाधिकार हनन कमेटी के पास ले जाओ। तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री राजनाथ सिंह भी घटना की जानकारी होने पर देखने पहुंचे थे। उन्होंने घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा था कि पुलिस की लाठियों से न डरना एक कुशल राजनेता की पहचान है। जनहित में खाई गई लाठियां सेवा के प्रमाणपत्र की तरह हैं।

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