NBA Questions CM: पुनर्वास संबंधी हजारों फाइलें आज भी पेंडिंग?

अप्रैल से नर्मदा घाटी में शुरू होगा आंदोलन, मेधा पाटकर की चेतावनी

784

NBA Questions CM: पुनर्वास संबंधी हजारों फाइलें आज भी पेंडिंग?

बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट 

बड़वानी – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 6 मार्च को बड़वानी दौरे की सुबगुहाट के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्यमंत्री से सवाल- पुनर्वास से संबंधित कार्य पर मार्च महीने में चाहिए निर्णय और अमल, शिकायत निवारण प्राधिकरण और पुनर्वास कार्यालयों का काम काज ठप्प, आज भी हजारों फाइलें पेंडिंग पड़ी हैं, वजह बताएंगे शिवराज ? नहीं तो अप्रैल से नर्मदा घाटी में शुरू होगा आंदोलन, दी चेतावनी

बड़वानी: जिले में इन दिनों भोंगर्या की धूम चल रही है जिसके चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दौरा कार्यक्रम 6 मार्च को जिले के जुनाझिरा में बन रहा है जिसको देखते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन भी सक्रिय नजर आ रहा है।

आज नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने कार्यालय पर प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि आज भी पुनर्वास के हजारों प्रकरण लम्बित पड़े हैं जिनको लेकर आयुक्त कार्यालय में हर दिन बात होती है लेकिन नतीजा कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि पुनर्वास से जुड़े अब जिस अधिकारी कर्मचारी का तबादला होता है उसकी जगह नया नहीं आता और उसका स्थान खाली पड़ा हुआ रह जाता है। पुनर्वास अधिकारी एसडीएम को बना दिया जाता है जिनके पास न समय है न उन्हें किसी मामले की जानकारी। ऐसे में जिन लोगों के प्रकरण अटके हैं वो अटके ही पड़े हैं।

मेधा पाटकर ने कहा कि जिन लोगों का पुनर्वास किया गया है वो भी अधूरा है। लोग समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिन्हें भूखण्ड आवंटित किए हैं उन्हें भी रजिस्ट्रियां नहीं दी हैं। उनका अधिकार नहीं है तो इसे कैसे पूरा पुनर्वास कहा जा सकता है?

मेधा ने कहा कि गुजरात चुनाव के दौरान सबने नर्मदा की बात की, कटाक्ष भी किये लेकिन अब कोई बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि गुजरात व मध्यप्रदेश के बीच विवाद है या नहीं? ये उनकी जानकारी में नहीं है लेकिन हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहेंगे कि वो गुजरात सरकार से बात क्यों नहीं करते? मेधा ने विस्थापितों को लेकर कहा कि महाराष्ट्र के तात्कालिक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विस्थापितों के हक में बात की। बाकी किसी भी मुख्यमंत्री ने विस्थापितों की बात नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए 5 न्यायाधीश नियुक्त करने के आदेश दिए थे मगर आज तक न्यायाधीशों के पद रिक्त ही रखे गए हैं। यह कोर्ट की अवमानना है। इस संबंध में मध्य प्रदेश न्यायालय के इंदौर खंडपीठ के समक्ष जानकारी 2023 में याचिका दाखिल हो चुकी है। शासन का अभी तक ना जवाब मिला है ना कोई कार्रवाई हुई है।

दूसरी ओर भूखंडों का मालिकाना हक विस्थापितों को देना बाकी है। कई परिवार तथा महिला खातेदार अपना जमीन का हक उसके बदले में सर्वोच्च अदालत से आदेशित 60 लाख रु का अनुदान नहीं पाये हैं। पुनर्बसाहट में सुविधा निर्माण का कार्य भी अधूरा है। कई स्थलों पर पीने के पानी की भी समस्या है। सबसे गंभीर हकीकत उन गरीब परिवारों की है जिन्हें 2019 की डूब में प्रभारी अधिकारी दल एवं पुलिस दल ने घरों से निकालकर कुछ महीनों में पुनर्वास कराने के आश्वासन के साथ तीन सेट में रखा कुछ महीने खाना खिलाने के बाद पानी बिजली की सुविधा के साथ खिलवाड़ करते हुए आज तक भूखंड और ₹580000 का अनुदान नहीं दिया।

देखिये वीडियो: क्या कह रहे हैं, पवन यादव (डूब प्रभावित)-

देखिये वीडियो: क्या कह रही हैं, मेधा पाटकर (नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख)-