जानिए ज्योतिर्विद राघवेंद्ररविश राय गौड़ से
प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर
पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू होता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है. इसका प्रारम्भ महाराज विक्रमादित्य के काल से हुआ. इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है.
हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है. इस बार 22 मार्च को हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होगी.
इस नए साल में ब्रह्माण्ड में नई सरकार का गठन भी होता है. इस बार नए सरकार के राजा बुध और मंत्री शुक्र होंगे. जबकि नव संवत्सर 2080 का नाम ‘पिंगल’ होगा. मान्यताओं के मुताबिक, ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरंभ इसी तिथि से किया था.
नववर्ष में दुर्लभ संयोग में हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत हो रही है. 30 साल बाद शनि कुंभ राशि में प्रवेश किया है, तो दूसरे तरफ 12 साल बाद गुरु मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ज्योतिषी गणना के मुताबिक, इस नए साल में लोगों के पास धन,ऐश्वर्य की प्राप्ति के साथ अच्छे मौके भी होंगे. हालांकि इसके साथ ही महंगाई चरम सीमा पर होगी और धन खर्च भी होगा.इस साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन दो बेहद शुभ ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग भी बन रहा है
भारत का बढ़ेगा मान
इस नए साल में देश में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा और कई महत्वपूर्ण पद पर वे आसीन भी होंगी. इसके साथ ही राजा बुध और मंत्री शुक्र के कारण विकास कार्यों में बाधा की स्थिति भी देखने को मिल सकती हैं. हालांकि विदेशों में भारत का मान सम्मान और बढ़ेगा.
क्यों मनाते हैं नव वर्ष
हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी. इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है.
गुड़ी पड़वा 2023 मुहूर्त
गुड़ी पड़वा बुधवार, 22 मार्च, 2023 को मनाई जाएगी.
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 21 मार्च, 2023 को 10:52 पी एम बजे से.
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 22 मार्च, 2023 को 08:20 पी एम बजे तक.
गुड़ी पड़वा के पूजा का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक.
गुड़ी पड़वा का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी. इसी दिन संसार में सूर्य देव पहली बार उदय हुए थे. वहीं पौराणिक कथा है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने बाली का वध करके लोगों को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया था.
जिसके चलते इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. यही वजह है कि इस दिन लोग अपने घर के बाहर विजय पताका फहराकर उत्सव करते हैं. वहीं इसी दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को पराजित किया था. इस विजय का उत्सव शिवाजी महाराज और उनके साथियों ने गुड़ी फहराकर मनाया था.
नव संवत्सर 2080 संपूर्ण मास सूची
चैत्र माह 22 मार्च 2023 – 6 अप्रैल 2023
वैशाख माह 7 अप्रैल 2023 – 5 मई 2023
ज्येष्ठ माह 6 मई 2023 – 4 जून 2023
आषाढ़ माह 5 जून 2023 – 3 जुलाई 2023
श्रावण माह 4 जुलाई 2023 – 31 अगस्त 2023
(अधिक माह होने से यह महीना इस बार 60 दिन का होगा)
भाद्रपद माह 1 सितंबर 2023 – 29 सितंबर 2023
आश्विन माह 30 सितंबर 2023 – 28 अक्टूबर 2023
कार्तिक माह 29 अक्टूबर 2023 – 27 नवंबर 2023
मार्गशीर्ष माह 28 नवंबर 2023 – 26 दिसंबर 2023
पौष माह 27 दिसंबर 2023 – 25 जनवरी 2024
माघ माह 26 जनवरी 2024 – 24 फरवरी 2024
फाल्गुन माह 25 फरवरी 2024 – 25 मार्च 2024
चैत्र नवरात्री पर्व
जब हिन्दू नव वर्ष का आरंभ होता है तब बसंत ऋतु का भी आगमन होता है. चैत्र माह और हिन्दू नव वर्ष का पहला पर्व मां दुर्गा के स्वागत से आरंभ होता है चैत्र प्रतिपदा से ही चैत्र नवरात्रि शुरु होती हैं जो पूरे 9 दिन तक बाद नवमी को सामाप्त होते हैं.
इस बार चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023 से होगा. इस दौरान पंचक में भगवती पृथ्वी पर पधारेंगी लेकिन आदि शक्ति जगदंबा की पूजा में पंचक का असर नहीं होता. ऐसे में पहले दिन घटस्थापना सुबह 06.29 से लेकर 07.39 तक शुभ मुहूर्त में होगी. चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा नाव की सवारी कर पधारेंगी, जो बहुत शुभ माना जाता है.
चैत्र नवरात्रि के 9 दिन का महत्व
नवरात्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नव और रात्रि यानी की 9 रातें. ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन काल में शक्ति और शिव की उपासना के लिए ऋषि मुनियों ने दिन की अपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्व दिया है. पुराणों के अनुसार रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं. रात्रि का समय शांत रहता है, इसमें ईश्वर से संपर्क साधना दिन की बजाय ज्यादा प्रभावशाली है. इन 9 रातों में देवी के 9 स्वरूप की आराधना से साधक अलग-अलग प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करता है.
नवरात्रि में रात्रि की पूजा के लाभ
नवरात्रि में साधना, ध्यान, व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, तंत्र, त्राटक, योग आदि के लिए महत्वपूर्ण होती है.
चैत्र नवरात्रि 2023 तिथियां
पहला दिन – 22 मार्च 2023 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना): मां शैलपुत्री पूजा
दूसरा दिन – 23 मार्च 2023 (द्वितीया तिथि): मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन – 24 मार्च 2023 (तृतीया तिथि): मां चंद्रघण्टा पूजा
चौथा दिन – 25 मार्च 2023 (चतुर्थी तिथि): मां कुष्माण्डा पूजा
पांचवां दिन – 26 मार्च 2023 (पंचमी तिथि): मां स्कंदमाता पूजा
छठा दिन – 27 मार्च 2023 (षष्ठी तिथि): मां कात्यायनी पूजा
सांतवां दिन – 28 मार्च 2023 (सप्तमी तिथि): मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन – 29 मार्च 2023 (अष्टमी तिथि): मां महागौरी पूजा
नौवां दिन – 30 मार्च 2023 (नवमी तिथि): मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी
चैत्र नवरात्रि दिवस अनुसार नौ देवियों के लिए भोग
नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं. रोग, दोष एवं संकट दूर होंगे.
नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं. लंबी उम्र का आशीष मिलेगा.
नवरात्रि का तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. धन एवं वैभव में वृद्धि होगी.
नवरात्रि का चौथा दिन: मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं. मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
नवरात्रि का पाचवां दिन: मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. करियर में सफलता एवं रोग दूर होते हैं.
नवरात्रि का छठां दिन: मां कात्यायनी मीठा पान चढ़ाएं. सौंदर्य एवं सकारात्मकता बढ़ेगी.
नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि को गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं. आरोग्य प्राप्त होगा.
नवरात्रि का आठवां दिन: देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाएं. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
नवरात्रि का नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री हलवा, पूड़ी एवं चना का भोग लगाएं. सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी.
देवी पुराण (भागवत्) वर्णन के अनुसार करें राशि अनुरूप माँ भगवती पूजा
🔸मेष राशि के व्यक्ति मां भगवती के स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको लाल फूल और दूध या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम रहेगा। ऐसा करने से मां की आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहेगा और सभी संकटों से मुक्ति भी मिलेगी।
🔸वृषभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको सफेद चंदन, सफेद फूल और पंचमेवा अर्पित करें। मां को सफेद बर्फी और मिश्री का भोग लगाना चाहिए। साथ ही ललिता सहस्त्रनाम और सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सभी समस्याओं का अंत होगा।
🔸मिथुन राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की फूल, केला, धूप, कपूर से पूजा करें। नवरात्र के दिनों में तारा कवच का हर रोज पाठ करें और ओम शिव शक्त्यै नम: मंत्र का 108 बार जप करें। ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और घर में सुख-शांति का वास रहेगा।
🔸कर्क राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें। साथ ही मां को बताशा, चावल और दही का अर्पण करें। नवरात्र में हर रोज लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। और दूध से बनी मिठाई को भोग लगाएं। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
🔸सिंह राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कूष्माण्डा देवी स्वरूप की पूजा व उपासना करें और उनको रोली, चंदन और केसर अर्पित करें व कपूर से आरती उतारें। साथ ही दुर्गा सप्तशति का पाठ हर रोज करें और मां के मंत्र की कम से कम सुबह-शाम 5 माला का जप अवश्य करें। ऐसा करने से आपको सभी क्षेत्रों में सफलतता मिलेगी।
🔸कन्या राशि के व्यक्ति मां भवानी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें और मां को फल, पान पत्ता, गंगाजल अर्पित करें। दुर्गा चालिसा का पाठ करें और हर रोज एक माला लक्ष्मी मंत्रों का जप करें। साथ ही मां को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से व्यापार व नौकरी की समस्या खत्म होगी और कोष में वृद्धि होगी।
🔸तुला राशि के व्यक्ति मां भगवती के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको लाल चुनरी उठाएं और देसी घी से बनी मिठाई और मिश्री का भोग लगाएं। साथ ही कपूर व देसी घी से आरती उतारें। साथ ही नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपकी घर-परिवार में सुख-शांति का वास होगा।
🔸वृश्चिक राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको गुड़हल के फूल, गुड़ और चंदन अर्पित करें। मां कालरात्रि की सुबह-शाम कपूर से आरती उतारें और हर रोज दुर्गा सप्तमी का पाठ करें। ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।
🔸धनु राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज पीले फूल, हल्दी, केसर और तिल का तेल अर्पित करें और श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही केला व पीली मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से कारोबार की समस्या खत्म होगी और हर संकट से मुक्ति मिलेगी।
🔸मकर राशि के जातक मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें और उसको लाल फूल व कुमकुम अर्पित करें। नवरात्र में हर रोज नर्वाण मंत्र का जप करें। साथ ही मां को नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको मां का आशीर्वाद प्राप्त होगा और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
🔸कुंभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज लाल फूल, कुमकुम, फल अर्पित करें और तेल का दीपक जलाएं। साथ ही हलवा का भोग लगाएं और देवी कवच का पाठ करें। ऐसा करने से बुरी नजर से मुक्ति मिलेगी और आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
🔸मीन राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करें और मां को हल्दी, चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें। नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशति का पाठ करें और बगलामुखी मंत्र का एक माला जप करें। ऐसा करने से आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी और सभी परेशानियों का अंत होगा।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽतूस्तूते।
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदी न्नुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥
नववर्ष, वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा की बधाई-मंगलकामना।