Do Not Eat Food Left By Others : यूं ही किसी का भी खा लेते है जूठा तो हो जाएं सावधान: जूठा खाना आपके सेहत के लिए भारी पड़ सकता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक लोग एक दूसरे का झूठा खा लेते है और इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि इस तरीके से झूठा खाने से आपस में प्यार बढ़ता है। लेकिन क्या आप जानते है कि कभी-कभी इस तरीके से झूठा खाना आपके सेहत के लिए भारी पड़ सकता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश इस रिपोर्ट के मुताबिक, एक छात्र ने अपने दोस्त का झूठा नूडल्स खा लिया था, ऐसे में वह काफी बीमार पड़ गया था और उसे अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ा था। बताया जाता है कि इस दौरान उसका पल्स 166 बीट प्रति मिनट हो गया था और उसका स्किन बैंगनी कलर का हो गया था
ऐसे में उसे तुरंत अस्पताल लाया गया है जहां उसे इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती करना पड़ा था क्योंकि उसकी नब्ज काफी धीमी चल रही थी। इस पर इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा है कि छात्र की हालत काफी गंभीर है और उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि वह एक आक्रामक बैक्टीरियल इन्फेक्शन के चपेट में आ गया है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि उसकी किडनी फेल हो गई थी और उसका खून भी जमने लगा था। ऐसे में जब उसके खून की जांच की गई तो डॉक्टरों ने छात्र के ब्लड में से ‘निसेरिया मेनिंगिटिडिस’ नाम के बैक्टीरिया को पाया था। बता दें कि छात्र बीमार होने से पहले अपने दोस्त का बचा हुआ खाना जिसमें वह झूठे चावल, चिकन नूडल्स आदि को खाया था। बताया जाता है उसके द्वारा यह खाना खाने के बाद उसके पेट में दर्द और मतली की समस्या पैदा होने लगी थी। ऐसे में उसे तुरन्त हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था।
इलाज के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि छात्र में ‘निसेरिया मेनिंगिटिडिस’ नामक बैक्टीरिया मौजूद है। इस निसेरिया मेनिंगिटिडिस बैक्टीरिया (Neisseria Meningitidis) को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि यह ऐसा बैक्टीरिया है जो किसी शख्स के नाक और गले के पिछले हिस्से में पाया जाता है। उनके अनुसार, 10 में एक व्यक्ति के अंदर ये बैक्टीरिया पाया जाता है। डॉक्टरों की माने तो यह शरीर पर कभी-कभी हमला बोलता है और ये दुनिया भर में ज्यादा बीमारियों को पैदा करते है।
ऐसे में छात्र के केस में बोलते हुए डॉक्टरों ने कहा है कि ब्लड में मौजूद ये बैक्टीरिया पूरे शरीर के ब्लड वैसल्स को चौड़ा कर देते हैं। यही नहीं यह छात्र के शरीर के ब्लड प्रेशर को कम कर दिया था जिस कारण शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा था। इस पूरे प्रभाव को ‘पुरपुरा फुलमिनंस’ (Purpura Fulminans) बोला जाता है। ऐसे में छात्र की जान बचाने के लिए अंत में जब उसका ब्लड प्रेशर संतुलित हुआ तो उसका ऑपरेशन कर उसकी 10 उंगलियों और दोनों पैरों को घुटने तक काटना पड़ा था।