राहुल की सांसदी बहाल होना मुश्किल

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राहुल की सांसदी बहाल होना मुश्किल

लोकसभा सचिवालय द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के सांसद राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जाने के रास्ते खुले हुए हैं पर विधि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। एक बार सांसदी या विधायकी रद्द होने के बाद उस की बहाली की प्रक्रिया आसान नहीं होती है।

इस तरह का सबसे ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश विधानसभा का है, जहां 27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने विषाक्त बयानबाजी करने के मामले में समाजवादी पार्टी के आजम खान को 3 साल की सजा सुनाई थी। इसके ठीक अगले दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी।इतना ही नहीं इसके अगले दिन ही चुनाव आयोग ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया था कि 10 नवंबर को उपचुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।

आजम खान ने विधि विशेषज्ञों से राय लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में गुहार की थी। उनकी अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिव और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि उन्होंने मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सेशंस कोर्ट में सुनवाई पूरे होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशंस कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खां की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि, बाद में सेशंस कोर्ट ने आजम खान की सजा पर कोई राहत नहीं दी थी।

Rahuls MP is difficult to restore

वर्तमान 17वीं लोकसभा में राहुल गांधी दूसरे सांसद हैं, जिनको लोकसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। इसके पहले लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र से एनसीपी के सांसद फैजल पी पी मोहम्मद को 11 जनवरी 2023 को अयोग्य घोषित किया गया था। एनसीपी सांसद फैजल को कवरत्ती की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। फैजल पर आरोप था कि उसने कांग्रेस कार्यकर्ता मोहम्मद सालेह की हत्या करने का प्रयास किया था। आपको बता दें कि मोहम्मद सालेह पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद का दामाद है और यह घटना 2009 के लोकसभा चुनाव के दिन घटित हुई थी। कवरत्ती सेशंस कोर्ट के फैसले बाद लोकसभा सचिवालय ने फैजल की सदस्यता रद्द कर दी थी। उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी 2023 केरल हाईकोर्ट ने फैजल को दी गई सजा पर रोक लगा दी थी।

केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बीके थॉमस ने अपने आदेश में कहा था कि दोबारा चुनाव कराना एक खर्चीला मामला है और अभी उपचुनाव होने पर नए सांसद को मात्र 15 महीने का कार्यकाल मिलेगा इसलिए इन विशेष परिस्थितियों में फैजल को दी गई सजा को निलंबित करने का फैसला किया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि न्यायालय द्वारा 2 वर्ष या इससे ऊपर की सजा दिए जाने पर संसद की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द करने का प्रावधान है। केंद्र सरकार का कहना था यदि कोर्ट स्थगन आदेश भी जारी कर देता है तो भी लोकसभा की सदस्यता बहाल नहीं की जा सकती। केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तुत इन तर्कों को केरल हाईकोर्ट में स्वीकार नहीं किया था और कवरत्ती सेशंस कोर्ट द्वारा दी गई सजा को निलंबित कर दिया था। केरल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विधि मंत्रालय ने फैजल की सांसदी बहाल करने के लिए लोकसभा सचिवालय को पत्र भेजा हुआ है। मामले पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।

एनसीपी के पूर्व सांसद फैजल पीपी मोहम्मद ने आज राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने पर उन्हें पूरा सहयोग देने का ऐलान किया है। आखिर सहयोग करें भी क्यों न, क्योंकि दोनों का दर्द तो एक ही है। फैजल का कहना है की लोकसभा सचिवालय सांसदी खत्म करने में तो बहुत तत्पर रहता है पर बहाली को लेकर इतनी तत्परता नहीं दिखाता है।

उपरोक्त पूर्व प्रसंगों के संदर्भ में ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी को न्यायिक राहत मिल भी जाए तो सांसदी बहाल होना आसान नहीं होगा।