Ramnavmi Special: परदे की दुनिया पर रामजी की महिमा का गान

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Ramnavmi Special: परदे की दुनिया पर रामजी की महिमा का गान

हिन्दी सिनेमा के सौ साल से ज्यादा लम्बे इतिहास में शुरुआत में धार्मिक फिल्मों का दौर रहा। सबसे पहले दादा साहेब फाल्के ने मूक दौर में सन 1917 में ‘लंका दहन’ से राम नाम का जो पौधा लगाया था, उसे जीवी साने ने 1920 में राम जन्म से आगे बढ़ाया। फिर वी शांताराम ने 1932 में ‘अयोध्या का राजा’ से इस परम्परा को आगे बढाया तो विजय भट्ट ने 1942 में ‘भरत मिलाप’ और 1943 में ‘रामराज्य’ से इसे सिनेमा के लिए एक अनिवार्य विषय ही बना दिया। ‘रामराज्य’ ऐसी फिल्म थी, जो महात्मा गांधी ने भी देखी थी। इसके बात तो कई फिल्मकारों ने समय समय पर हिन्दी फिल्मों में राम जी की महिमा का मंडन किया।

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राम नाम का फिल्मों में बोलबाला कुछ यूं चला कि फिल्मों के शीर्षक से लेकर गीतों और अभिनेताओं में राम नाम का जादू चला। यदि फिल्मों के शीर्षकों की बात की जाए तो राम राज्य, सम्पूर्ण रामायण, रामलीला, सीता विवाह, राम सेतु से लेकर ऐसी फिल्मों में भी राम को शामिल किया गया जिसका भगवान राम से कोई लेना देना तक नहीं था। ऐसी फिल्मों में राम और श्याम, हे राम, राम अवतार, आज का एमएलए राम अवतार, राम बलराम, आज की रामायण, हेलो राम, राम तेरी गंगा मैली हो गई चर्चित रहीं।

Ramnavmi Special: परदे की दुनिया पर रामजी की महिमा का गान

राम के किरदारों को निभाने वाले अभिनेताओं में ‘राम राज्य’ के नायक प्रेम अदीब को सबसे ज्यादा पसंद किया गया। दर्शक उन्हें इतना पसंद करते थे कि उनके फोटो को फ्रेम करवा कर उस पर माला चढाया करते थे। उसके बाद ‘सम्पूर्ण रामायण’ में राम की भूमिका निभाकर महिपाल भी लोकप्रिय हो गए। वैसे एक फिल्म में चाकलेटी हीरो विश्वजीत भी राम की भूमिका निभा चुके है और ऋतिक रोशन को लेकर भी अफवाह चलती रहती है कि वे एक बड़ी फिल्म में राम की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्मों के बाद जब दूरदर्शन पर ‘रामायण’ का प्रसारण आरंभ हुआ तो राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोहिल को देशभर में राम के अवतार के रूप में ही देखा जाने लगा था। इस साल प्रदर्शित होने वाली ‘आदि पुरुष’ में बाहुबली फेम प्रभास राम की भूमिका निभा रहे हैं, जिसे लेकर एक लम्बा विवाद छिड़ा हुआ। ऐसे कई फिल्मकार भी हुए हैं जिनके नाम में राम आता है। जैसे वी शांताराम, आत्माराम, सी. रामचन्द्र, राम लक्ष्मण, राम मोहन, पंडित शिवराम।
राम के नाम ने हिन्दी फिल्मों के गीतों में भी उतना ही योगदान दिया। भक्ति संगीत की परम्परा को आगे बढ़ाने वाले गीतों में रोम रोम में बसने वाले राम, राम चन्द्र कह गये सिया से, रामजी की निकली सवारी, मेरी बिनती सुनो तो मानू तुझे मै राम, जब से शरण तेरी आया मेरे राम, जय रघुनंदन जय सियाराम, तुझमें राम मुझमें राम सबमे राम समाया, राम से बड़ा राम का नाम, तुम धरती आकाश हमारे राम, जब जब राम ने जन्म लिया तब तब पाया बनवास, देखो ओ दीवानों ये काम न करो राम का नाम बदनाम न करो,सुख के सब साथी दुख में न कोय मेरे राम तेरा एक नाम साचा दूसरा न कोय जैसे गाये गए तो राम करे ऐसा हो जाए, राम तेरी गंगा मैली हो गई, राम राम जपना पराया माल अपना, हाय रामा ये क्या हुआ, राम करे बबुआ हमारे फुलवा को, बलराम ने बहुत समझाया पर राम ने धोखा खाया, राम कसम बुरा न मानूंगी, वाह वाह रामजी जोड़ी क्या बनाई, राम चाहे लीला चाहे और रामा रामा गजब हुई गवा रे जैसे गीतों को श्रोताओं ने गुनगुनाया है।

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सतयुग में तो राम ने समाज में विवाद को दूर कर शांति का राज स्थापित किया। लेकिन, इस साल प्रदर्शित होने वाली भगवान राम पर आधारित फिल्म ‘आदि पुरुष’ के टीजर के प्रदर्शित होते ही एक लम्बी बहस आरंभ हो गयी है। इस फिल्म में रावण और हनुमान के रूप रंग को लेकर तो खूब विवाद हुआ। लेकिन, टीजर में दिखाए गए राम के स्वरूप को लेकर भी विवाद छिड़ा है। लोगों का मानना है कि मर्यादा पुरुष राम तो सौम्य और शांत थे, जबकि टीजर के राम उग्र दिखाई देते है।

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इस विवाद के चलते 500 करोड़ रूपए की लागत से बन रही ‘आदि पुरूष’ के निर्माता ओम राउत और लेखक मनोज मुंतजिर ने विभिन्न टीवी चैनलों पर आकर अपनी सफाई भी पेश की। सबसे पहले उनका कहना है कि वे स्वयं सनातनी और राम के उपासक हैं, इसलिए उनके कभी भी यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह मर्यादा राम के चरित्र चित्रण मे कोई मर्यादा लांघेंगे। वह यह भी दलील देते हैं कि अभी फिल्म पूरी बनी ही कहां है? केवल 96 सेकंड का टीजर देखकर कोई कैसे अनुमान लगाता है कि राम की मर्यादा या सीता की पवित्रता को कम कर प्रदर्शित किया है। अभी तो फिल्म प्रदर्शित ही नहीं हुई है। इसके प्रदर्शन पर क्या होगा यह तो राम ही जानें!