रैगांव में हार का ठीकरा सांसद पर फोड़ रहे कार्यकर्ता, जोबट, पृथ्वीपुर में सत्ता-संगठन की रणनीति से जीत

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भोपाल:31 साल तक भाजपा के कब्जे में रही रैगांव विधानसभा सीट खोने के बाद भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं में भड़का आक्रोश सोशल मीडिया पर भी आ गया है। यहां हार का ठीकरा सांसद गणेश सिंह और उनके साथ काम करने वाली पूरी टीम पर फोड़ा जा रहा है। संगठन भी इस हार के कारण की तलाश में जुट गया है वहीं जोबट और पृथ्वीपुर में मिली जीत ने पार्टी को नई ताकत दी है क्योंकि यह दोनों ही सीट कांग्रेस का गढ़ रही हैं। खंडवा लोकसभा सीट पर परिवारवाद से अलग टिकट देने का पार्टी का फैसला सफल रहा है।
रैगांव में हार के  बाद सोशल मीडिया वार शुरू हुआ है। फेसबुक यूजर पंकज सिंह ने पोस्ट में लिखा कि सांसद गणेश सिंह के नेतृत्व में भाजपा दूसरा उपचुनाव हारी, पहला चित्रकूट और अब दूसरा रैगांव। पंकज मंत्री रामखेलावन पटेल के समर्थक बताए जाते हैं। इन पर पलटवार करते हुए पुनीत सिंह जो सांसद समर्थक बताए जाते हैं, ने लिखा कि भाजपा के लिए पनौती साबित हो रहे हैं मंत्री रामखेलावन पटेल। पहले दमोह और रैगांव में दिलाया पार्टी को गच्चा। दूसरी ओर सांसद द्वारा पूरे चुनाव की कमान अपने हाथ में लेना और पार्टी के बाकी नेताओं को नजरअंदाज करना भी हार की वजह बताई जा रही है। यहां बड़ा फैक्टर अलग-अलग मंडल में ब्राह्मण, वैश्य और ठाकुर वोटर का भाजपा से खिसकना बताया जा रहा है। इसके पीछे सांसद से इस वर्ग की नाराजगी को वजह बताया जा रहा है। यहां वोट तो सभी वर्ग के मिले लेकिन जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले ठाकुर, ब्राह्मण वोटर पार्टी से दूर रहे। शिवराजपुर, सिंहपुर और रौंड़, कोठी इलाकों में भाजपा को पूर्व की भांति लीड इस बार नहीं मिली। हालांकि इस मुद्दे को यह कहकर डायवर्ट किया जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी नहीं होने से बसपा के वोट कांग्रेस को मिले, इसलिए भाजपा हारी है।

पृथ्वीपुर में वीडी-शिवराज के दौरों के साथ मंत्री भार्गव, सारंग की मेहनत
पृथ्वीपुर विधानसभा में जीत के लिए सीएम शिवराज के साथ प्रदेश संगठन की रणनीति कामयाब रही। संगठन ने यहां ब्राह्मण नेता व मंत्री गोपाल भार्गव को जिम्मेदारी सौंपी और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कहा। भार्गव ने इसके बाद लगातार दौरे कर कांग्रेस के खांटी वोटर्स को तोड़ने की रणनीति पर काम किया।
प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने यहां लगातार दो-दो तीन-तीन दिन तक प्रवास किए। इसमें मंत्री भूपेंद्र सिंह और विश्वास सारंग व प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी की भूमिका पार्टी का वोट बैंक बढ़ाने में सहायक बनी। सीएम शिवराज ने लगातार दौरे किए। पिछली बार सिर्फ 12 हजार वोट ही मिले थे और इस बार जीत हासिल की है।

*जोबट में बदला आदिवासियों का भरोसा*
जोबट विधानसभा में मिली जीत पर मुख्यमंत्री चौहान केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को एक बड़ा फैक्टर मान रहे हैं। इस जीत के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने संगठनात्मक तौर पर बूथ और मंडल सेक्टर को मजबूत बनाने का काम किया जिसका असर यह हुआ कि अब तक भाजपा को अपना विरोधी मानने वाले आदिवासियों ने अपना पूरा प्यार भाजपा पर उड़ेल दिया और पार्टी ज्वाइन करने के बाद चार दिन में टिकट पाने वाली सुलोचना को जीत का ताज पहना दिया। खंडवा में भी मान्धाता और भीकनगांव को छोड़ बाकी जगह भाजपा जीत हासिल करने में सफल रही। यहां परिवार वाद को दरकिनार कर नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष वर्धन सिंह को टिकट देने की बजाय ज्ञानेश्वर पाटिल को टिकट दिया गया था।