BJP President Election : बदले हालात में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टला, नड्डा अभी कुर्सी पर बने रहेंगे!

पहलगाम हमले के बाद पार्टी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया!

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BJP President Election

BJP President Election : बदले हालात में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टला, नड्डा अभी कुर्सी पर बने रहेंगे!

New Delhi : बीजेपी ने अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टाल दिया। इसका असर ये हुआ कि जेपी नड्डा अभी पार्टी के मुखिया बने रहेंगे। वैसे तो मई में नए अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी थी, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद बनी हालातों को देखते हुए पार्टी ने ये फैसला बदल दिया। जेपी नड्डा 2020 से बीजेपी अध्यक्ष की कमान संभाले हुए हैं। 2019 में जब अमित शाह केंद्र में गृहमंत्री बने, तब नड्डा को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तब से लेकर अब तक नड्डा ने बीजेपी को कई बड़े चुनावी रणों में सफलता दिलाई है।

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश की राजनीतिक प्राथमिकताओं को बदल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों को धरती से मिटा देने की बात कही थी। ऐसे माहौल में बीजेपी ने संगठनात्मक चुनाव टालना जरूरी समझा, ताकि फोकस सरकार के कामकाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बना रहे।

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बीजेपी के संविधान के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष सिर्फ एक चेहरा नहीं, बल्कि संगठन की रीढ़ होता है। चुनावी रणनीति बनाना, उम्मीदवारों का चयन करना, राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करना और पार्टी के अनुशासन को संभालना – सब कुछ अध्यक्ष के हाथ में होता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए भी एक लंबी योग्यता लिस्ट है। किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य और चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य रहना जरूरी है। साथ ही, अध्यक्ष पद के लिए नामांकन तभी संभव होता है जब कम से कम पांच राज्यों की राष्ट्रीय परिषद इकाइयां उनका प्रस्ताव करें।

नए नाम चर्चा में, फैसला होना बाकी

पिछले कुछ महीनों से पार्टी गलियारों में नए अध्यक्ष के नामों को लेकर खूब चर्चाएं थीं। कई दिग्गजों के नाम सामने आए लेकिन अब जब चुनाव टाल दिया गया है, तो अगले अध्यक्ष के नाम पर मुहर कब लगेगी, इस पर सस्पेंस बना रहेगा। बीजेपी के इतिहास को देखें तो अब तक सभी अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए हैं। यानी पार्टी के अंदर आम सहमति से ही नेतृत्व बदलता है और इसमें आरएसएस की सलाह भी अहम मानी जाती है, भले ही आधिकारिक तौर पर इसका ज़िक्र न होता हो।

बीजेपी ने संकट के समय संगठन में स्थिरता को प्राथमिकता दी है। और जेपी नड्डा, जिन्होंने पिछले चार साल में कई बड़े चुनावों और मुद्दों को संभाला है, पार्टी को एक बार फिर मुश्किल दौर से निकालने के लिए तैयार हैं।