DGP के सेल्यूट आदेश को लेकर भाजपा मीडिया प्रभारी का PCC अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पलटवार, कहा – “सैल्यूट“ अनुशासन और आदर की अभिव्यक्ति

552

DGP के सेल्यूट आदेश को लेकर भाजपा मीडिया प्रभारी का PCC अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पलटवार, कहा – “सैल्यूट“ अनुशासन और आदर की अभिव्यक्ति

भोपाल: DGP के सेल्यूट आदेश को लेकर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने PCC अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि – “सैल्यूट“ अनुशासन और आदर की अभिव्यक्ति है।

सोशल मीडिया में आशीष अग्रवाल द्वारा जीतू पटवारी को संबोधित पोस्ट में आशीष ने कहा है कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का सम्मान, उन्हें चुनने वाली जनता का सम्मान होता है। यह तथ्य कांग्रेस जैसे दल के नेताओं के लिए समझना कठिन हो सकता है, जो राजशाही, सामंतवाद या परिवारवाद के सिद्धांतों पर विश्वास रखते हैं।

-मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि पुलिस विभाग द्वारा जारी यह आदेश कोई नया आदेश नहीं है। यह 1950 से निरंतर चल रही सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा है, इसमें उचित सम्मान का उल्लेख किया गया है। “सैल्यूट“ अनुशासन और आदर की अभिव्यक्ति है।

आशीष ने कहा कि सैल्यूट के संदर्भ को समझने के लिए कृपया ‘BPRD GOI Police Drill Manual Chapter VII Para 4&5 का अवलोकन करेंः

पैरा-4ः
“प्रत्येक अधिकारी को सैल्यूट के महत्व का बोध होना चाहिए। यह उच्च अधिकारी के प्रति अभिनंदन का तरीका है और न कि चापलूसी। यह अनुशासन और आदर की आंतरिक भावना की बाहरी अभिव्यक्ति है। जब एक व्यक्ति सैल्यूट देता है, तो यह उस अधिकारी के प्रति सम्मान और पालन की भावना को प्रकट करता है।“

पैरा-5ः
“सैल्यूट, एक सामान्य अभिवादन के रूप में होता है, जो अनुशासन का बुनियादी प्रतीक है। जब एक अधीनस्थ, वरिष्ठ अधिकारी से मिलता है, तो सैल्यूट देना कर्तव्य और सम्मान की भावना को दर्शाता है।“

आशीष अग्रवाल ने आशा व्यक्त की कि अब आप सैल्यूट शब्द के संदर्भ में पूरी तरह से समझ पाएंगे।

देश का हर नागरिक जानता है कि कांग्रेस पार्टी का अपराध से गहरा नाता है। कांग्रेस ने राजनीति में अपराध को संस्थागत रूप से बढ़ावा दिया है।मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 66 विधायकों में से 38 (58 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले हैं। इनमें से 17 विधायक(26 प्रतिशत) गंभीर अपराधों में लिप्त हैं। सिर्फ विधायक ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेता, जैसे कि पार्टी अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भी गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।

-कांग्रेस पार्टी की जडे जब झूठ, भ्रष्टाचार और अपराध में गहरे तक समाहित हों, तो उस पार्टी का सच्चाई, नैतिकता और संवैधानिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना न केवल हास्यास्पद, अपितु राजनीतिक नाटक से अधिक कुछ और नहीं है।