Guddu Muslim: गुड्डू मुस्लिम कौन हैं, जिसका नाम अतीक़ के भाई अशरफ़ ने गोलियां चलने से पहले लिया

830

Guddu Muslim: गुड्डू मुस्लिम कौन हैं, जिनका नाम अतीक़ अहमद के भाई अशरफ़ ने गोलियां चलने से पहले लिया

त्तर प्रदेश के प्रयागराज में पूर्व सांसद अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ अहमद की शनिवार रात पुलिस की मौजूदगी में तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

ये हत्या उस वक्त हुई जब पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल चेक-अप के लिए काल्विन अस्पताल ले जा रही थी. पुलिस ने तीनों हमलावरों को हिरासत में ले लिया है.

दोनों की हत्या से महज़ दो दिन पहले ही अतीक़ अहमद के बेटे असद और उनके साथी ग़ुलाम मोहम्मद का यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने झांसी में कथित एनकाउंटर कर दिया था.

गोली चलने के चंद सेकेंड पहले ही अतीक़ अहमद ने मीडिया से बात की थी. इसके बाद उनके भाई अशरफ़ ने कैमरे पर गुड्डू मुस्लिम नाम के एक व्यक्ति के बारे में कुछ कहना शुरू ही किया था कि इतने में एक हमलावर ने अतीक़ अहमद की कनपटी पर पिस्तौल चला दी.

अतीक़ नीचे गिरे और दूसरे ही पल अशरफ़ अहमद पर भी कई राउंड फ़ायरिंग की गई. बताया जाता है कि उमेश पाल हत्या मामले में बम फेंकने वाला व्यक्ति गुड्डु मुस्लिम ही था.

‘बमबाज़’ के नाम से जाने जाते हैं गुड्डू मुस्लिम

जिस गुड्डू मुस्लिम का नाम अशरफ़ अहमद ले रहे थे उन्हें बम बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है.

गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के बड़े-बड़े माफ़िया गिरोहों के लिए काम किया है. बाद में उन्होंने अतीक़ अहमद के ख़ास बुलावे पर उनके साथ काम किया.

ये भी कहा जाता है कि महज़ 15 साल की उम्र में गुड्डू मुस्लिम ने छोटी-मोटी चोरियों से अपराध की दुनिया में कदम रखा. लेकिन कुछ समय बाद बाहुबलियों की पनाह मिलने के बाद उन्होंने बम बनाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे इन गिरोहों के बीच वो इतने मशहूर हो गए कि उत्तर प्रदेश में होने वाले हर बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा.

उमेश पाल हत्या मामले में मिले सीसीटीवी फुटेज में गुड्डु मुस्लिम

गुड्डू मुस्लिम ने प्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह और अभय सिंह सहित कई कथित माफ़ियाओं के लिए लगभग 2 दशक तक काम किया है.

हालांकि, अब गुड्डू मुस्लिम को अतीक़ अहमद का दाहिना हाथ माना जाता था. गुड्डू का नाम लखनऊ पीटर गोम्स मर्डर केस में भी सामने आया था.

फ़रवरी महीने में हुई उमेश पाल की हत्या के बाद आए सीसीटीवी फुटेज में भी गुड्डू मुस्लिम को मौक़े पर बम फेंकते हुए देखा गया था.

आरोप है कि उमेश पाल हत्या कांड में अतीक़ अहमद के बेटे असद अहमद और उनके सहयोगी ग़ुलाम के साथ गुड्डू मुस्लिम भी शामिल थे. उमेश पाल की हत्या के बाद से गुड्डू मुस्लिम लगातार फ़रार चल रहे हैं. पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम पर उमेश पाल के हत्याकांड के बाद 5 लाख का इनाम भी घोषित किया हुआ है.

अतीक़ अहमद पर थे 100 से अधिक मुक़दमे

वहीं अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ भी कई मामले चल रहे थे. उनको साबरमती जेल में रखा गया था और उनके ख़िलाफ़ एमपीएमएलए अदालत में चल रहे 50 से अधिक मामलों में सुनवाई वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही थी.

अतीक़ देश उन नेताओं में से एक हैं जो अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति की गलियों में आए. हालांकि, राजनीति में भी उनकी बाहुबली वाली छवि बनी रही और वो किसी न किसी कारण से सुर्ख़ियों में रहे.

लेकिन अतीक अहमद के आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज थे.

प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के मुताबिक़, अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमे विचाराधीन थे.

अभियोजन पक्ष का कहना था कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ के वकीलों ने अर्ज़ियां दाख़िल की थीं जिससे केस में आरोप तय नहीं हो पाए.

अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त थे. इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है.

इस साल 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्र कै़द की सज़ा सुनाई थी.

उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह थे, लेकिन बाद में मामले की जांच संभाल रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था. इसी साल 24 फ़रवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े गोलियों से हत्या कर दी गई थी.

अतीक़ के भाई अशरफ़ का आपराधिक इतिहास

अशरफ़ उर्फ़ खालिद आज़मी पर पहला आपराधिक मुक़दमा साल 1992 में दर्ज हुआ था. उनके ख़िलाफ़ 52 मुक़दमे दर्ज थे. इसमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा (उपद्रव) और अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज थे.

इसी साल फरवरी में हुई उमेश पाल की हत्या के मामले में अशरफ़ को अभियुक्त बनाया गया था. उमेश पाल की हत्या से पहले साल 2006 में उनका अपहरण हुआ था.

ग़ौर करने वाली बात यह है कि उमेश पाल के अपहरण वाले मामले के फै़सले में अशरफ़ निर्दोष पाए गए थे. इसी मुक़दमे में अतीक़ और दो अन्य को दोषी पाया गया और 6 अभियुक्त बरी हुए. प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उम्र कै़द की सज़ा सुनाई थी.

अशरफ़ बसपा विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या के भी अभियुक्त थे और इनका मुक़दमा लखनऊ की सीबीआई अदालत में चल रहा था.

अशरफ़ को बरेली जेल में रखा गया और उन्हें पेशी के लिए प्रयागराज लाया जाता था.

बीबीसी हिंदी के सहयोगी पत्रकार प्रभात वर्मा ने कुछ जानकारों के हवाले से बताया कि अतीक़ अहमद जिस घटनाओं को अंजाम देते थे, उनकी योजना ज़्यादातर अशरफ़ अहमद ही बनाते थे.

25 सिंतबर 2015 को धूमनगंज इलाक़े के मरियाडीह गाँव में अतीक़ के क़रीबी माने जाने वाले आबिद प्रधान के ड्राइवर सुरजीत और अलकमा की हत्या की गई. शुरुआत में इस मामले में कई लोगों पर हत्या का मुक़दमा दर्ज किया गया. प्रभात वर्मा बताते हैं कि बाद में पता चला की मामले में नामजद लोगों ने हत्या को अंजाम नहीं दिया, बल्कि अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ के गुट का इस हत्या के पीछे हाथ था.

साल 2004 के आम चुनाव में फूलपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर अतीक़ अहमद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई और इसके लिए उपचुनाव हुए.

इस उपचुनाव में सपा ने अतीक़ के छोटे भाई अशरफ़ को टिकट दिया, वहीं बहुजन समाज पार्टी ने राजू पाल को उम्मीदवार बनाया.

उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक़ अहमद के भाई अशरफ़ अहमद को हरा दिया था.

पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी. दो और भी लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.

इस हत्याकांड में सीधे तौर पर उस समय सांसद रहे अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ का कनेक्शन सामने आया था.

हाल ही में हुए उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता भी अशरफ़ को ही बताया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अतीक़ अहमद ने बरेली जेल में बंद भाई अशरफ़ को ही उमेश पाल की हत्या की जिम्मेदारी सौंपी थी.

इतना ही नहीं, जानकार बताते हैं कि तीन बार नाकाम होने के बाद चौथी बार की कोशिश में उमेश पाल की हत्या हुई थी.

source: bbc