LIFE LOGISTIC: याद रखें, जीवन से जुड़ी परंपराएं एवं मान्यताएं

563

LIFE LOGISTIC: याद रखें, जीवन से जुड़ी परंपराएं एवं मान्यताएं

कई परंपराएं और मान्यताएं जिन्हें हम भूलते जा रहे हैं या यूं कहो की हमने उन पर ध्यान नहीं दिया।

आपको याद होगा पहले के जमाने में जब बाहर से व्यक्ति घर पर आता था तो बाहर पानी रखा रहता था जिससे वह अपने पैर और मुंह धोता था। वह इसलिए होता था कि ताकि आपका शारीरिक ब्लड प्रेशर एक समान रहे और अशुद्धियां घर से बाहर रहे।

पहले के जमाने में कांसे के बर्तन हुआ करते थे पानी पीने के लिए तांबे का लोटा होता था। ठंडे पानी के लिए मटके हुआ करते थे।

दांत साफ करने के लिए नीम की दातुन या चूल्हे की राख वापरते थे।

नमकीन और मिठाइयां और विभिन्न तरह के पकवान सब कुछ घर पर ही बनते थे। हमारे भोजन शैली में फास्ट फूड या चाइनीस नाम की चीज नहीं थी।

परिस्थिति अनुसार हमारा भोजन हुआ करता था। हर सीजन की सब्जी और फल फ्रूट हम नियमित खाते थे। हमारे खाने पीने, सोने, उठने बैठने का समय करीब करीब निर्धारित होता था।

आज की जीवन शैली में तनाव, भगदड़ बहुत ज्यादा है और हम दिमाग पर बेवजह अत्याधिक लोड अखबार टीवी मोबाइल देख कर ले लेते हैं।

अपने आप को छोटा बड़ा, ऊंचा नीचा और एक दूसरे की होड में अपनी जीवनशैली को हम तितर-बितर कर देते हैं।

जीवन शैली में इन बातों पर ध्यान दें —
सर्दी जुकाम कफ के समय गरारे जरूर करें।
एक दो बूंद सरसों का तेल जिसने थोड़ी सी हल्दी मिलाकर खाने के बाद दांतो पर लगाये।
सुबह उठते से ही बैठे हुए खूब पानी पिए।
सुबह का नाश्ता और लंच डेट कर खाये
रात का खाना हल्का-फुल्का खाएं।
देर रात तक जगने की आदत छोड़े। जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालें।
बाहर का खाना बहुत ही आवश्यक हो तब खाएं।
घर के बने नमकीन और मिठाई ही खाएं।
घरेलू नुस्खे और इलाज पर अधिक जोर दें।
आपको जानकारी ना हो तो किसी बुजुर्ग व्यक्ति से समझें।

अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)