सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया

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जबलपुर। हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश में पांच राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है और सरकार के निर्णय को सही ठहराया है। अक्टूबर 2018 में सरकार ने राजकुमार माथुर, सुरेंद्र सिंह, डीपी अहिरवार, अरुण कुमार पांडे और विजय मनोहर तिवारी को सूचना आयुक्त के रूप में चयनित किया था। याचिकाकर्ता रूपाली दुबे ने सरकार के निर्णय के विरुद्ध दायर याचिका में आयुक्तों की योग्यता पर भी सवाल उठाए थे। रूपाली दुबे ने भी सूचना आयुक्त के लिए अपना आवेदन दिया था।

गौरतलब है कि इन पदों के लिए दो बार में प्रकाशित विज्ञापनों के बाद कुल 187 प्रविष्टियां सरकार के पास आईं थीं। सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों के अनुसार चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्यपाल ने पांच आयुक्तों को नियुक्त किया था। तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री थे। लेकिन समिति के एक सदस्य तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सुझाया था कि आयुक्तों के चयन का निर्णय विधानसभा चुनावों के बाद लिया जाए। वे समिति की पूर्व निर्धारित बैठकों में भी उपस्थित नहीं हुए थे।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा कि सरकार ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का भी पालन नहीं किया। इसलिए ये नियुक्तियां अवैध हैं। याचिकाकर्ता रूपाली दुबे संस्कृत में एमए है। आयुक्तों की ओर से सुनवाई में वकीलों ने कहा कि वे सूचना आयुक्त पद के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रखती थीं, केवल नेता प्रतिपक्ष की ओर से उठाई गई आपत्तियां सरकार के निर्णय को अवैध ठहराने के लिए काफी नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा गया कि याचिकाकर्ता किस तरह सूचना आयुक्त के पद के लिए अपनी अर्हता पूरी करती हैं, लेकिन वे इसका उत्तर नहीं दे सके। उल्लेखनीय है कि सूचना आयुक्त पद के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम में ही प्रशासन, प्रबंधन, समाज सेवा, पत्रकारिता, कानून, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दीर्घ अनुभव की योग्यता निर्धारित हैं। इस मापदंड पर याचिकाकर्ता अपनी योग्यता सिद्ध करने में असफल रहीं।

जस्टिस संजय द्विवेदी ने दोनों पक्षों की ओर से उपस्थित वकीलों के तर्क सुनने के बाद सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के शासन के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका में उठाई गई आपत्तियों को खारिज कर दिया। नियुक्त आयुक्तों की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर, समरेश कटारे, काजी फखरुद्दीन और प्रवीण दुबे, याचिकाकर्ता रूपाली दुबेे की ओर से जगतसिंह ने पैरवी की। सरकार का पक्ष उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने रखा। अक्टूबर 2018 में नियुक्त पांच सूचना आयुक्तों में से राजकुमार माथुर और सुरेंद्र सिंह इस साल अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। यह प्रकरण हाईकोर्ट में तीन साल चला।

कौन हैं याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता रूपाली दुबे भी सूचना आयुक्त के लिए एक आवेदक थीं। वे संस्कृत में एमए हैं। अपना चयन न होने पर उन्होंने इस याचिका के जरिए सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके पति अजय दुबे आरटीआई एक्टीविस्ट के रूप में शुरू सेे ही प्रदेश में सक्रिय रहे हैं।