महाकाल मंदिर के बढ़ते व्यवसायीकरण को लेकर संतों में नाराजगी

सरकार शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए साधु संतों के साथ विचार कर बनाए योजना, मौन तीर्थ पर साधु संतों का किया गया सम्मान

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महाकाल मंदिर के बढ़ते व्यवसायीकरण को लेकर संतों में नाराजगी

उज्जैन से मुकेश व्यास की रिपोर्ट

उज्जैन। उज्जैन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री महंत हरिगिरि जी महाराज साधु संतों के साथ गंगाघाट स्थित मौनतीर्थ पीठ पहुंचे। संतों की यहां निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरी से भेंट हुई तथा आगामी सिंहस्थ मोक्षदायिनी शिप्रा के सतत प्रवाह तथा श्री महाकाल मंदिर में बढ़ते व्यवसायीकरण पर चर्चा की गई।इस दौरान अखाड़ा परिषद ने इस बात पर सहमति जताई है कि शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए शासन और प्रशासन को अभी से प्रयास करना चाहिए। सिंहस्थ से पहले शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाया जाए और इसके लिए सरकार साधु संतों के साथ विचार विमर्श कर योजना बनाए ताकि सिंहस्थ में साधु संत पर्व और शाही स्नान शिप्रा के जल में कर सकें। इसके लिए साधु संतों के साथ बैठक कर विचार विमर्श भी करना चाहिए।
मौनतीर्थ पीठ पर साधु संतों का सम्मान किया गया एवं महाकाल मंदिर के बढ़ते व्यवसायीकरण को लेकर भी संतों ने नाराजगी व्यक्त की। महाकाल मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन और प्रोटोकॉल दर्शन लिए शुल्क अनिवार्य कर दिया है। गर्भगृह में जल चढ़ाने के लिए भी राशि निर्धारित की गई है। इसको लेकर भी साधु संत प्रशासन से चर्चा करेंगे।

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उल्लेखनीय है कि महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद गिरी जी ने शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को सौंपा था।