Kissa-A-IAS: पढाई छोड़ने के 10 साल बाद मां का सपना पूरा, बनी IAS !
यह माना जाता है कि सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बनाने वाले कॉलेज की पढाई के बाद ही UPSC परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन, यदि कोई पढाई छोड़ने के दस साल बाद, शादी होने के बाद, एक बच्चे की मां बनने के बाद इसकी तैयारी शुरू करे तो उसे क्या समझा जाएगा!
हरियाणा की अनु कुमारी ने यही सब किया और अपने दूसरे प्रयास UPSC में सेकंड रैंक लेकर IAS बन गई। अनु कुमारी की पोस्टिंग केरल कैडर में हुई।
जब कोई महिला कड़े संघर्ष, आर्थिक दिक्कतों से लड़ने और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए UPSC की परीक्षा न केवल पास करे, बल्कि टॉपर लिस्ट में उसका नाम हो, तो इससे बड़ी बात शायद ही कुछ और होगी। सपने देखने वाले हर युवा के लिए अनु कुमारी आदर्श भी है और प्रेरणा भी।
जाट परिवार की इस लड़की ने जब IAS बनने की ठानी तो पढ़ाई का तरीका ऐसा चुना कि सभी दंग रह गए। UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2017 की सेकंड टॉपर सोनीपत के विकास नगर की अनु कुमारी ने वास्तव में कमाल किया था।
अनु ने IAS बनने का सपना बचपन में जरूर देखा था, पर जीवन की आपाधापी में वो सपना कहीं खो गया था। सपने पूरा हो पाता उससे पहले उनकी शादी हो गई और एक बेटा भी।
ये जानते हुए कि UPSC आसान नहीं है, अनु ने हिम्मत नहीं हारी। परिवार ने भी सहयोग दिया, उसने अपने कदम आगे बढ़ाए। प्राइवेट नौकरी छोड़ी, ढाई साल के बेटे को मां के पास छोड़ा और खुद मौसी के घर रहकर पढ़ाई की। करीब डेढ़ साल के लिए अपनी सारी ममता भूल गई। जो करने की ठानी थी उसमें पूरी तरह जुट गई और अंततः लक्ष्य पूरा हो गया।
अनु का परिवार पानीपत के दिवाना गांव का रहने वाला है। लेकिन, उनके पिता कई साल पहले हॉस्पिटल में एचआर की नौकरी के कारण सोनीपत के विकास नगर में आकर बस गए थे। अनु की 12वीं तक की पढ़ाई सोनीपत के स्कूल से हुई। फिर उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज की फिजिक्स ऑनर्स किया। अनु ने आईएमटी नागपुर से एमबीए किया। अनु कुमारी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया, तब वे रोज सोनीपत से दिल्ली तक ट्रेन में अप-डाउन करती थी। उन्होंने होस्टल का आराम छोड़कर भाग-दौड़ वाली जिंदगी चुनी।
अनु ने एमबीए के बाद मुंबई में आईसीआईसीआई बैंक में नौकरी की। 2012 में अनु की शादी वरुण दहिया से हो गई, जो बिजनेसमैन हैं। शादी के बाद अनु कुमारी गुरुग्राम में रहने लगीं। इसके बाद 9 साल तक गुड़गांव की एक इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी की। लेकिन, जब लक्ष्य यूपीएससी बनाया तो सबसे पहले नौकरी छोड़ी। 2016 में अनु ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी। तब उनका फाॅर्म बड़े भाई ने बिना उन्हें जानकारी दिए भर दिया था। लेकिन उस समय एग्जाम का सिर्फ तरीका देखा था। दूसरे अटेम्प्ट में एग्जाम पूरी तैयारी के साथ दिया।
कोचिंग नहीं ली, खुद तैयारी की
अनु बताती हैं कि इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी अच्छी थी। लेकिन, मुझे संतुष्टी नहीं मिल रही थी। मैं कुछ अलग करना चाहती थी, इसलिए मैंने UPSC क्लियर करने का सपना पूरा करने की ठानी। मैंने कोई कोचिंग नहीं ली और खुद से पढ़ाई करके ही यह मुकाम हासिल किया। बस कभी अपने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा और सफलता हाथ लगी।
मां रही अनु की रोल मॉडल
अनु की मां उनकी रोल मॉडल रहीं। वे अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय उन्हें देती हैं। तैयारी के दौरान मुश्किलें जरूर आई, लेकिन परिवार ने पूरा साथ दिया। मेरा हौसला बढ़ाया। मेरे अंदर की तकलीफ मां जानती थी, लेकिन लक्ष्य बना लिया था, तो उससे पीछे भी नहीं हट सकती थी। अनु का मानना है कि हर किसी के जीवन में एक लक्ष्य जरूर होना चाहिए। कुछ ऐसा कि जिससे खुद के साथ अपने समाज के लिए भी कुछ कर सकें। कोई भी लक्ष्य तब तक मुश्किल है जब तक उसे ईमानदारी से हासिल करने की कोशिश नहीं हो। लक्ष्य को लेकर कोशिश निरंतर करो, असफलता को भी सफलता पाने का एक स्टेप समझो। खुद पर भरोसा हमेशा रखना चाहिए।
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UPSC की तैयारी के समय उनका बेटा सिर्फ चार साल का था. बेटे को संभालने के साथ साथ तैयारी करना काफी कठिन था. तो उन्होंने अपने बेटे को अपनी माँ के पास भेज दिया। दो साल अपने बेटे से दूर रहकर पढाई करना अनु के लिए काफी मुश्किल भरा समय था। लेकिन, अनु ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए अपना लक्ष्य सामने रखा। बेटे से छोटी-छोटी मुलाकात के दौरान दोनों खूब रोते, लेकिन यह सब त्यागना भी जरूरी था।
उन्होंने काफी हद तक सेल्फ स्टडी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएससी की थी, काफी सब्जेक्ट की नॉलेज थी। पढ़ाई छोड़े हुए भी काफी समय हो गया था। स्पेशल टॉपिक बनाकर अभ्यास किया, ऑनलाइन स्टडी भी की। इसलिए मुश्किल नहीं हुई। रोजाना सुबह 4 बजे उठकर पढाई करना, फ्री टाइम में राज्यसभा चैनल देखना, दिनभर करीब 10-12 घंटे प्रिपरेशन करना और रात को 10 बजे सो जाना। कामयाबी का तो पूरा भरोसा था, लेकिन रैंक के बारे में नहीं सोचा था। अच्छा लगा कि देश में दूसरा स्थान मिला। अनु कुमारी आज 2018 बैच की केरल कैडर की एक IAS अधिकारी है और वर्तमान में कन्नूर की सब कलेक्टर और जिला डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर के पद पर तैनात है।