हर शावक की मौत दिल को दर्द से भर देती है…

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हर शावक की मौत दिल को दर्द से भर देती है…

दो दिन के अंदर कूनो नेशनल पार्क में तीन चीता शावकों की मौत हो गई है। वहीं एक चीता शावक की स्थिति अभी खराब है। मादा चीता ज्वाला ने दो महीने पहले चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें तीन की मौत हो गई है। और चौथा शावक भी मरने की कगार पर है। मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने शावकों की मौत पर रिलीज जारी कर कहा है कि एक शावक की मौत के बाद तीन अन्य शावकों की देखभाल की जा रही थी। दिन के समय चीता ज्वाला को सप्लीमेंट दिया गया था। दोपहर के बाद निगरानी की गई तो तीनों शावकों की स्थिति ठीक नहीं लगी। वन विभाग ने यह भी कहा कि 23 मई को यहां सबसे अधिक गर्मी पड़ी है। दिन का तापमान यहां 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा है। साथ ही पूरे दिन अत्याधिक गर्म हवाएं और लू चलती रही हैं। गर्मी को देखते हुए तीनों शावकों का रेस्क्यू किया गया और उनका उपचार शुरू किया गया। वन विभाग ने कहा कि उपचार के दौरान दो शावकों की स्थिति ज्यादा ही गंभीर हो गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका है। एक शावक को गंभीर स्थिति में पालपुर स्थित अस्पताल में रखा गया है। यहां उसका इलाज जारी है। इसके साथ ही नामीबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है।

कूनो नेशनल पार्क से चीता प्रोजेक्ट के लिए यह कतई अच्छी खबर नहीं है। मादा चीता ज्वाला के दो शावकों की मौत हो गई है। दो दिन पहले भी ज्वाला के एक शावक की मौत हुई थी। ज्वाला ने करीब दो महीने पहले चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें से तीन की मौत हो गई है। वहीं एक शावक की भी तबीयत खराब है। इससे पहले तीन बड़े चीतों की भी कूनो नेशनल पार्क में मौत हो चुकी है। वहीं, मादा चीता ज्वाला यानि इन शावकों की मां अभी स्वस्थ है। उसकी निगरानी की जा रही है। जांच के दौरान सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम वजन और डिहाइड्रेटेड पाए गए हैं। वहीं मादा चीता ज्वाला हैंड रियर्ड चीता है जो पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र आठ हफ्ते की थी। वन विभाग ने कहा कि शावकों ने आठ-दस दिन पहले ही मां के साथ घूमना शुरू किया था। इसके साथ ही चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम होता है।

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से 25 मई की यह बुरी खबर दिल तोड़ने वाली है। कोई भी वन्य प्राणी प्रेमी ऐसी खबर को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। ज्वाला ने कुल 4 शावकों को जन्म दिया था मगर अब यह कुनबा खत्म होने की कगार पर है। 4 में से बचे हुए 1 शावक की हालत गंभीर है। मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क से बीते दिनों देशभर के लिए बड़ी खुशखबरी आई थी। यहां नामीबिया से सितंबर में लाई गई एक मादा चीता ने एक दो नहीं, बल्कि एक साथ चार शावकों को जन्म दिया था। ये चारों शावक पूरी तरह स्वस्थ थे। मादा चीता के चार शावकों के जन्म देने की खबर जैसे ही नेशनल पार्क से बाहर आई, देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई थी। इस खबर के दिल को सुकून देने की एक वजह यह भी थी कि कुछ ही दिन पहले इसी पार्क में एक मादा चीता की मौत हो गई थी। इसके बाद चार शावकों के जन्म से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी थी। मगर यह खुशी अब पूरी तरह से गम में बदल गई है। 26 मार्च को साशा मादा चीता की मौत हुई थी। 23 अप्रैल उदय नर चीता की मौत हुई थी। 9 मई दक्षा मादा चीता की मौत हुई थी। और 23 मई ज्वाला चीता के पहले शावक की मौत हुई और अब 25 मई को दो और शावकों की मौत ने वन्य प्राणी प्रेमियों के दिल को तोड़कर चकनाचूर कर दिया है। हे ईश्वर अब उसके आखिरी जीवित शावक को ही प्राणदान दे देना। क्योंकि यह भारतीय वन्यजीव प्रेमी ही हैं जो हर जीव के मरने पर उतने ही दुखी होते हैं, जैसे अपना ही कोई अकाल मौत का ग्रास बन रहा हो।
मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क से बीते दिनों देशभर के लिए बड़ी खुशखबरी आई थी। यहां नामीबिया से सितंबर में लाई गई एक मादा चीता ने एक दो नहीं, बल्कि एक साथ चार शावकों को जन्म दिया था। ये चारों शावक पूरी तरह स्वस्थ थे। मादा चीता के चार शावकों के जन्म देने की खबर जैसे ही नेशनल पार्क से बाहर आई, देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई थी। इस खबर के अच्छी खबर होने की एक वजह यह भी थी कि कुछ ही दिन पहले इसी पार्क में एक मादा चीता की मौत हो गई थी। पर अब यह तीन शावक दुनिया में नहीं हैं। यह वही मादा चीता है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर पिछले साल 17 सितंबर को कूनो में छोड़ा था। इसके साथ 7 और चीते छोड़े गए थे जो सभी नामीबिया से विशेष विमान के जरिए यहां लाए गए थे। उसके बाद 18 फरवरी को 12 और चीते यहां छोड़े गए थे। इन बीस चीतों का जीवन सुखमय होगा, यह उम्मीद थी। पर यह उम्मीद अब निराशा बन गई है।

सवाल यह है कि क्या एक आईएफएस अधिकारी को यह पता नहीं होना चाहिए कि विदेशी मेहमानों का ख्याल किस तरह रखा जाना चाहिए। ताकि वह नहीं तो कम से कम उनकी संतानों की लंबी आयु की उम्मीद तो पूरी हो सके। क्या वन्यजीव अफसरों को यह भी नहीं पता था कि नामीबिया से आए चीतों को किस तापमान पर रखा जाना चाहिए ? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर पिछले साल जिन आठ चीतों को रिहा किया था, अब उनके हाल आमजन को भी बेहाल कर रहे हैं। वैसे तो गिर के शेर यहां आ गए होते तो शायद ही चीतों को यह दिन देखना पड़ता। पर अब चीते आ ही गए तो क्यों न इनके स्वस्थ जीवन की कल्पना की जाए…। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि हर शावक की मौत दिल को दर्द से भर देती है…।