Adipurush: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन के संतों ने भी जताया फिल्म का विरोध

की मांग - सेंसर बोर्ड की पैनल में साधु- संतों का एक सलाहकार नियुक्त होना चाहिए

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Adipurush: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन के संतों ने भी जताया फिल्म का विरोध

उज्जैन से मुकेश भीष्म की रिपोर्ट

उज्जैन: बहुचर्चित एवं हाल ही में रिलीज हुई 500 करोड़ रुपये लागत से बनी प्रभास,कृति सैनन,सैफ अली खान अभिनीत विवादित फिल्म आदिपुरुष को लेकर देश के अलग अलग शहरों में में हो रहे विरोध के साथ ही भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन के संतों ने भी विरोध जताया है। संतों का कहना है कि फिल्म में माता सीता के पात्र को अमर्यादित तरीके से बताया गया। वहीं, राम और हनुमान जी का फिल्म में आवरण और आचरण दोनों ही ग्रंथों के अनुसार नहीं है। पैसा कमाने के उद्देश्य से आजकल फिल्म निर्माता फिल्म बना रहे हैं तथा हिंदुओं को भावनाओं को बार बार आहत कर रहे है।

संतो ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि हिंदू धर्म की फिल्मों पर सेंसर बोर्ड की कैंची नहीं चलती है। अन्य धर्मों की फिल्मों में अगर छेड़छाड़ हो जाए, तो तत्काल दृश्य काट-छांट कर दिए जाते हैं।

संतों ने सेंसर बोर्ड में साधु संत के प्रतिनिधि के तौर पर सलाहकार नियुक्त करने की मांग की है।महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरि महाराज ने कहना है कि आदिपुरुष के आवरण और आचरण दोनों में मिलावट की गई है। ग्रंथों में प्रभु श्रीराम मां सीता के वेशभूषा के बारे में एकदम स्पष्ट है कि उनका आवरण व आचरण कैसा था। सेंसर बोर्ड की केंची सिर्फ हिन्दू धर्म पर ही नहीं चलती है। बाकी धर्मों की बात पर तत्काल आपत्ति दर्ज हो जाती है।सेंसर बोर्ड की पैनल में साधु संतों का सलाहकार नियुक्त होना चाहिए।

क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि ये घोर आश्चर्य का विषय है पैसा कमाने के लिए भारतीय फिल्मों के निर्माता फिल्में बना रहे है।

फिल्म आदिपुरुष में जगत जननी मां सीता को फूहड़ तरीके से प्रस्तुत किया गया है, हिन्दू फ़िल्म को देखेगा उसकी भावनाएं आहत होंगी। जो ग्रंथ मर्यादाओं पर आधारित है भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है मां सीता शालीनता भक्ति का मर्यादा का स्वरूप है उनके इतने पवित्र चरित्र को इस प्रकार से अश्लीलता के साथ परोसा जाएगा तो हमारे धर्म संस्कृति का क्या होगा। कोई भी फ़िल्म निर्माता इस प्रकार का दुस्साहस करना बंद कर देवे। ये एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है हिन्दू देवी देवताओं को टारगेट कर पैसा कमाने वाली ऐसी फिल्म का विरोध करने की बात कही है।

वही फिल्म को देखने वाले दर्शकों को भी फिल्म के पात्रों के साथ किए प्रयोग एवं हिन्दी के ख्यात संवाद लेखक मनोज मुंतशिर के डायलॉग पर भी नाराजगी एवं आपत्ति है।