Fukushima Wastewater Fears: दक्षिण कोरिया में लोग घबराकर क्यों कर रहे नमक की खरीद? क्या है मामला
दक्षिण कोरिया में इन दिनों जनरल स्टोर्स में नमक खरीदने वालों का तांता लगा है, यदि किसी की क्षमता 5 किलो नमक खरीदने की है तो वह 5 से 10 गुना ज्यादा तक अपने पास स्टॉक कर लेना चाहता है, सिर्फ नमक ही नहीं बल्कि मछली को भी बड़ी मात्रा में खरीदा जा रहा है.
इसका कारण है जापान. अब आप सोच रहे होंगे कैसे? तो आइए समझते हैं.
का कारण है जापान. अब आप सोच रहे होंगे कैसे? तो आइए समझते हैं. (फोटो-Pixabay) दरअसल जापान ने अपने फुकुशिमा परमाणु फेसिलिटी से लाखों टन ट्रीटेड रेडियोएक्टिव वाटर को समुद्र में डालने का निर्णय लिया है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस पानी का प्रयोग 2011 में भूकंप और सुनामी के बाद क्षतिग्रस्त हुए परमाणु रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए किया गया था. जापान के इस फैसले पर पड़ोसी देश उसकी आलोचना कर रहे हैं, खास तौर से चीन ने इस निर्णय को दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ और समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. यही कारण है कि दक्षिण कोरिया में नमक और मछली खरीदने वालों की तादाद एक दम से बढ़ी है.
नमक की खरीद का आलम यह है कि लोग अपनी क्षमता से कई-कई गुना अधिक नमक खरीदकर स्टोर कर लेना चाहते हैं. यही कारण है कि पिछले दो माह में नमक की मांग और कीमतों में 27 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है. जापानी सरकार ने इस बावत आश्वस्त किया है कि पानी ट्रीटेड है, लेकिन लोगों को चिंता है कि ये पानी हाइड्रोजन आइसोटोप से प्रदूषित हो सकता है, जो बाद में समुद्री नमक और शंख जैसी चीजों तक पहुंच सकता है. जापान का दावा है कि उसने आइसोटोप हटाकर पानी को ट्रीट कर दिए हैं, सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इलिनोइस विवि के प्रोफेसर ब्रेंट ह्यूसर का दावा है कि इस पानी में ट्रिटियम बहुत कम मात्रा में है, इसलिए ये ज्यादा हानिकारक नहीं है.
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