Kissa-A-IPS: जीवन में सपने बदलने और उन्हें सच करने का अद्भुत जतन!

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KISSA-A-IPS: जीवन में सपने बदलने और उन्हें सच करने का अद्भुत जतन!

Kissa-A-IPS: जीवन में सपने बदलने और उन्हें सच करने का अद्भुत जतन!

जीवन में कुछ लोग बनना कुछ चाहते हैं और बन कुछ और जाते हैं! इसलिए कि ये लोग मल्टी टेलेंटेड होते हैं और जिस भी राह को पकड़ते हैं उसके लक्ष्य तक पहुंचने में इन्हें देर नहीं लगती। ऐसी ही कुछ कहानी आईपीएस अनुकृति शर्मा की है। उनकी लाइफ में भी कई मोड़ आए। बल्कि, ये कहना बेहतर होगा कि सपने भी उन्हीं ने देखे उन्हें पूरा करने का जतन भी किया और फिर नया सपना देखकर उसे साकार किया। वे साइंटिस्ट बनना चाहती थी, पर बन गई आईपीएस।

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अचानक उनका सपना क्यों बदला उसके पीछे
उनकी लाइफ में एक ख़ास बात ये भी कि यूपीएससी में उन्होंने ऑप्शनल के तौर पर जिओग्राफी विषय लिया, जिससे उनका दूर-दूर तक वास्ता नहीं था। लेकिन, इस विषय के लिए उनके पति टीचर बने और ऐसी तैयारी करवाई कि वे सीधा आईपीएस ऑफिसर बन गई। अनुकृति के पति ने परीक्षा की तैयारी के दौरान एक टीचर बनकर उनका काफी अच्छा साथ दिया। वे पत्नी अनुकृति के लिए एक को-एस्पिरेंट की तरह थे, जिन्होंने अनुकृति की स्ट्रेटजी और नंबरों को बेहतर बनाने में काफी मदद की। यही कारण है कि अनुकृति शर्मा अपनी सफलता का पूरा श्रेय पति को देती हैं।

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इन दिनों बुलंदशहर की सहायक पुलिस अधीक्षक अनुकृति शर्मा मूलतः राजस्थान की रहने वाली हैं। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे। अनुकृति ने साल 2007 में IIT JEE परीक्षा पास करके इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता (IISER) में ग्रेजुएशन करने के लिए दाखिला लिया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने यूजीसी नेट परीक्षा क्लीयर किया और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी चली गईं। अमेरिका में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करके भारत में प्रशासनिक सेवा में आने का मन बनाया। लेकिन, उनके टीचर ने कहा कि वे जो करना चाहती हैं, वो साइंटिस्ट बनने के बाद भी संभव है। उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान देना तो शुरू कर दिया। लेकिन, उनका मन नहीं लगा और वे भारत लौट आई। उन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदलने की तरफ काम करना शुरू कर दिया। अमेरिका से लौटते ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का ठान लिया।


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आखिरकार सपने को हकीकत में बदला
अनुकृति शर्मा यूपीएससी एग्जाम के पहले अटेम्प्ट में मेन्स तक पहुंचीं, लेकिन दूसरे अटेम्पट में प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं हुआ। इसके बाद भी उन्होंने तैयारी जारी रखी और तीसरे अटेम्प्ट में सफल रहीं। लेकिन, ऑल इंडिया में 355वीं रैंक आने से उन्हें IRS सेवा मिली। इससे वे संतुष्ट नहीं थीं। 2019 में उन्होंने चौथी बार यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी। इस बार उनकी 138वीं रैंक आई और वे आईपीएस बनने में कामयाब रहीं।

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इसलिए अचानक चर्चा में आई
अनुकृति को अपने कामकाज के दौरान लोगों की मुसीबतों को जानने और उन्हें हल करने में बहुत संतुष्टि मिलती है। इन दिनों वे एक ऐसी ही घटना की वजह से चर्चा में हैं। बुलंदशहर जिले के अगौता में रहने वाली बुजुर्ग विधवा महिला नूरजहां के घर में जब पहली बार बिजली का बल्ब रोशन हुआ, तो नूरजहां के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी। दरअसल, पैसे की कमी के चलते बुजुर्ग नूरजहां के घर में बिजली का कनेक्शन नहीं था। इस विधवा महिला के घर में ये रोशनी हुई बुलंदशहर की सहायक पुलिस अधीक्षक आईपीएस अनुकृति शर्मा की वजह से। इस घटना को मीडिया में जमकर जगह मिली।

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साइंटिस्ट बनने का सपना इसलिए बदला
साइंटिस्‍ट बनने का सपना देखने वाली अनुकृति ने अचानक अपना लक्ष्य इसलिए बदला कि उन्होंने एक नाबालिग लड़की का बाल विवाह होने की घटना को देख लिया था। बाल विवाह देखकर उनका दिल दुखी हो गया। इसके बाद अनुकृति ने आईपीएस ऑफिसर बनने की ठान ली। ये 2007 से 2012 के बीच की बात है जब वे बीएसएमएस (बैचलर डिग्री) लेने के लिए कोलकाता में थीं। उस दौरान कॉलेज के बाहर एक चाय की दुकान थी और उस चाय की दुकान मालिक की एक 15 साल की बेटी थी। उसने इस बेटी की शादी 30 साल के व्यक्ति से करा दी। इससे अनुकृति को बेहद दुःख हुआ। इस घटना के बाद अनुकृति शर्मा ने लोगों के साथ न्याय करने की ठान ली। इसके बाद उन्‍होंने बाल विवाह कराने वाले लोगों पर कार्रवाई शुरू कर दी। वे गांव में चौपाल करने के लिए पहचानी जाती हैं। पुलिस की मुस्तैदी वाली नौकरी का फर्ज निभाने के साथ समय निकालकर वे गांव में चौपाल करती हैं।

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चौपाल पर ‘पुलिस माई फ्रेंड’
अनुकृति शर्मा ने बाल विवाह की जानकारी लेने के लिए एक नई मुहिम शुरू की। ‘पुलिस माई फ्रेंड’ पहल के तहत गांव-गांव जाकर चौपाल लगाना शुरू किया। इस चौपाल में गांव में महिला और बच्चियों के साथ हो रही घरेलू हिंसा को लेकर उन्हें जागरूक करना और घरेलू हिंसा होने पर कार्रवाई करना शुरू किया। वे गांव के सरपंच की तरह गांव में चौपाल करती हैं। इस दौरान उनका जोर गांव में हो रहे महिला व बच्चियों पर ज्यादति के अलावा जुआ, सट्टा, शराब, गांजा समेत अन्य अपराधों का खात्मा करने पर जोर रहता है। इसलिए कि उन्होंने सुना था कि गांव के लोगों की हमेशा ही शिकायत रहती है कि पुलिस सुनती नहीं! लेकिन, अनुकृति कहती हैं कि हम आपकी सुनने आपके गांव में आए हैं, बताइए आपको क्या परेशानी है!

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ससुराल में रहकर सिविल सेवा की तैयारी
अनुकृति का जन्म 14 अक्टूबर 1987 को राजस्थान के अजमेर में हुआ। इन्होंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा जयपुर में पूरी की। इसके बाद बैचलर डिग्री ली। फिर पीएचडी करने 2012 में अमेरिका चली गई और अमेरिका के ह्यूस्टन शहर की राईस यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने लगीं। लेकिन, पीएचडी पूरी होने से पहले ही अनुकृति शर्मा का मन देश की तरफ मुड़ गया। उन्होंने यह सोच कर पीएचडी की पढ़ाई छोड़ दी, कि अब देश के लिए कुछ करना चाहिए। फिर वे भारत लौट आई और साल 2014 में ‘नेट जेआरएफ’ परीक्षा पास की और 23 वां स्थान हांसिल किया। जबकि, इसी परीक्षा में उनके पति वैभव मिश्रा को पहली रैंक मिली। इसके बाद बनारस में अपनी ससुराल में रहकर पति के साथ सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी।

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परिवार से अलग रास्ता चुना
साल 2013 में अनुकृति शर्मा वैवाहिक बंधन में बंधी। अनुकृति ने बनारस के वैभव मिश्रा के साथ सात फेरे लिए। अनुकृति के माता-पिता सरकारी नौकरी में थे। पिता 20 सूत्रीय विभाग के डायरेक्टर, तो मां टीचर थीं। जबकि, ससुराल में सास ससुर भी सरकारी शिक्षक ही मिले। उनके आईपीएस बनने पर भाई बेहद सपोर्ट किया करता था। अनुकृति ने कभी कोचिंग नहीं ली और वह कुछ ऑनलाइन मटेरियल एवं अपनी मेहनत और लगन से आईपीएस ऑफिसर बनी और देश की सेवा में जुट गई। अनुकृति शर्मा के पति वैभव मिश्रा (आरएयूएस फैकल्टी) में प्रोफेसर हैं।

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।