Office on Substitutes : मल्हारगंज तहसील कार्यालय में एवजियों के भरोसे काम!

कई गोपनीय कामकाज भी उनके पास, अधिकारी इस सबसे बेफिक्र!

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Office on Substitutes : मल्हारगंज तहसील कार्यालय में एवजियों के भरोसे काम!

Indore : मल्हारगंज तहसील जिले में सबसे बड़ी है और यहां काम भी ज्यादा है। मूल निवासी, जाति प्रमाण-पत्र और अन्य कई कार्य भी यहां अन्य तहसीलों की अपेक्षा ज्यादा बनते हैं। इस तहसील के कार्यालय में कम्प्यूटर और अन्य साधनों से जो काम किया जा रहा है, वे सभी एवजी यानी गैर-सरकारी लोग करते हैं। ये एवजी बगैर मांग पूरी किए कोई काम नहीं करते। जो आनाकानी करता है, उसके कामों में टाल मटोल की जाती है।

मल्हारगंज तहसील कार्यालय में जाति, मूल निवासी प्रमाण-पत्र समेत लगभग सभी कार्य एवजियों के भरोसे चल रहा है। ये कार्य इतना महत्वपूर्ण होने के साथ सरकारी फाइलों में दर्ज होने वाला महत्वपूर्ण दस्तावेज है। ये किसी प्राइवेट कर्मचारी से नहीं करवाया जाना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी यहां ये काम एवजी कर रहे हैं। इन्हीं एवजियों के भरोसे तहसील का सालों का दायरा रिकॉर्ड भी छोड़ दिया गया है।

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नाम नहीं छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि उसे जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए आवेदन पर दायरा नंबर दर्ज करवाने के लिए कहा गया। इस पर वह सारी प्रकिया पूरी करके आवेदन लेकर पहुंचा तो मौजूद एवजियों ने काम को टालते हुए दो-तीन दिन बाद आने के लिए कहा। वहां मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि तुरंत काम करवाना है तो सेवा शुल्क दे दो।

हर तहसील कार्यालय में एवजी

सिर्फ मल्हारगंज ही नहीं खुड़ैल, राऊ, कनाड़िया से लेकर लगभग हर तहसील कार्यालय में करोड़ों की जमीन के आदेश से लेकर कई कार्य ये एवजी ही कर रहे हैं। यहां तक की तहसीलदार कोर्ट में बोर्ड पर सुनवाई भी एवजी ही करवा रहा है। ऐसे में कई गोपनीय कार्य भी इन्हीं एवजियों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इन पर कलेक्टर कार्यालय के किसी भी उच्च अधिकारी का ध्यान नहीं है या अनदेखा किया जा रहा है।

बाबुओं की कमी का फायदा

कलेक्टर कार्यालय में वर्तमान में सरकारी बाबू सहायक ग्रेड-3 और ग्रेड-2 की कमी है। हाल ही में कई बाबुओं का रिटायरमेंट हो चुका है और अगले कुछ महीनों में कुछ और बाबू रिटायर हो जाएंगे। जिन बाबुओं को नई पदस्थापना दी भी गई, उनमें से अधिकांश को सरकारी कार्य का अनुभव नहीं है। इसी का फायदा एवजियों को मिल रहा है। बाबू भी इन एवजियों पर पूरी तरह निर्भर हो चुके हैं। इन एवजियों के बगैर बाबू भी कार्य नहीं कर सकते हैं और इससे गांवों से आने वाले काश्तकार और किसान परेशान हो रहे हैं।