बार बार दल बदलने वाले राजेंद्र गुढ़ा का अगला कदम क्या होगा?
गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली।प्रदेश के बर्खास्त सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने विधान सभा में राज्य सरकार के विरूद्ध बयान देकर प्रतिपक्ष भाजपा को एक नया मुद्दा थमा दिया है ।
गुढा ने विधानसभा के पटल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अपनी ही कांग्रेस सरकार को घेरा और उसे कटघरे में खड़ा कर दिया जबकि कांग्रेस संसद के अंदर मणिपुर की घटना पर भाजपा को घेर रही है और अन्य प्रतिपक्षी दलों के साथ संसद के मानसून सत्र में इसे बहुत बड़ा मुद्दा बना रही है । मणिपुर में लम्बे समय से चल रही हिंसा के बाद मानवीयता को शर्मसार करने वाली और रुँह कंपा देने वाली दुर्भाग्य पूर्ण घटना पर पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसद परिसर में मीडिया के सामने एक बयान सुना गया जिसमें उन्होंने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकारों भी कौसा।
राजस्थान विधान सभा में सरकार के विरुद्ध बयान देने वाले राजेंद्र गुढ़ा के बयान को कांग्रेस हाई कमान ने बहुत गम्भीर मान कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफ़ारिश पर मंत्रिपरिषद से हटा दिया गया है। गुढ़ा बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे तथा प्रायः अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा का विषय रहते आयें हैं। उन्हें सचिन पायलट का कट्टर समर्थक भी माना जाता है। गुढा ने विधानसभा में यह बयान दिया था कि राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा देने के मामले में सरकार पूरी तरह से फेल है और उन्होंने मणिपुर का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर की बात तो अलग है लेकिन राजस्थान की स्थिति भी ठीक नहीं है और हमें पहलें अपने गिरेबान में झांकना चाहिये। उन्होंने मुख्यमंत्री को आगाह करते हुए कानून व्यवस्था सुधार करने की मांग भी रखी थी।
मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि मैं सच बोलता हूँ और सोमवार को विधानसभा में और भी बड़े खुलासे करूँगा। राजस्थान में सियासी संकट के समय कांग्रेस सरकार को बचाने और मुख्यमंत्री गहलोत का साथ वाले देने वाले गुढा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों में सबसे सीनियर हैं। विधानसभा चुनाव से पहले उनकी बर्खास्तगी चर्चा में है। चर्चा हैकि वे ओवैसी की पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
गहलोत सरकार पर विधानसभा में हमला करने के बाद बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा सुर्खियों में छाए हुए हैं। झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से बसपा के टिकट पर विधायक बने राजेंद्र गुढ़ा पहले सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाते थे। हालांकि मंत्री बनने के बाद अपना मनपसंद विभाग नहीं मिलने पर गुढ़ा गहलोत से नाखुश चल रहे थे। गहलोत और पायलट के बीच विवाद के बाद गुढ़ा ने पाला बदलते हुए पायलट का पक्ष लेना शुरू कर दिया। वहीं शुक्रवार को सरकार पर हमला करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत की सिफारिश पर गुढ़ा को बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से राजेंद्र गुढ़ा का जन्म 19 जुलाई 1968 को राजस्थान के पीलीबंगा, हनुमानगढ़ में हुआ। इनके पिता का नाम माधोसिंह है। इनके परिवार में इनके 12 भाई हैं। इन्होंने 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। राजेंद्र गुढ़ा के भाई रणवीर सिंह भी पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। बाद में 2003 में लोकजनशक्ति पार्टी से विधायक बने।
गुढ़ा शुरू से अपने बयानों के चलते सुर्ख़ियों में रहे हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने पहली बार 2008 में राजनीति में कदम रखा। गुढ़ा ने 2008 में बसपा के टिकट पर कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के भतीजे विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की। 2008 में बसपा से चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। वहीं साल 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राजेंद्र गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से उम्मीदवार पद पर खड़ा किया लेकिन तब गुढ़ा चुनाव हार गये। इस कारण से 2018 में कांग्रेस पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। इसके बाद फिर एक बार फिर 2008 की तरह बसपा ने गुढ़ा एक बार फिर टिकट देकर उदयपुरवाटी की सीट पर उम्मीदवार बनाया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में राजेंद्र गुढ़ा ने जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा बसपा छोड़ एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने इन्हें राज्यमंत्री बना दिया। राजेंद्र सिंह गुढ़ा राजस्थान की वतमान सरकार में सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा (स्वतंत्र प्रभार), पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री रहे।
पिछले दिनों राजेंद्र गुढ़ा की सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ जयपुर में मुलाकात हुई थी । इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया। इसके बाद गुढ़ा के ओवैसी की पार्टी ज्वॉइन करने के लगातार कयास लगाए जा रहे। इसे लेकर गुढ़ा ने भी संकेत दिए थे कि ओवैसी के साथ उनकी विधानसभा चुनाव के मुद्दों को लेकर बैठक हुई। इसको लेकर उन्होंने आने वाले दिनों में बड़े संकेत देने की बात भी कही। अब देखने वाली बात है कि कभी बसपा तो, कभी कांग्रेस से बार-बार नाता जोड़ने वाले राजेंद्र गुढ़ा का अगला कदम क्या होगा?