सूर्यास्त के बाद बनती शाही रणनीति…

606
AMIT SAH

सूर्यास्त के बाद बनती शाही रणनीति…

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का मंजर बहुत ही दिलचस्प रहने वाला है। एक तरफ भाजपा अपने शाही नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। पंद्रह दिन में पार्टी में नंबर दो पर काबिज दिग्गज राजनैतिक योद्धा अमित शाह दूसरी बार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल आए। वह सूर्यास्त के बाद भोपाल आकर दिग्गजों संग विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाते हैं। महत्वपूर्ण यह भी है कि प्रदेश भाजपा कार्यालय में ही विशिष्ट रणनीतिकार ही इस महत्वपूर्ण मंथन का हिस्सा बनते हैं। 11 जुलाई को शाह के आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के बतौर सक्रिय धारा में एंट्री हुई है। अब ठीक एक पखवाड़े में दूसरी बार 26 जुलाई 2023 को अमित शाह ने फिर मिशन 2023 पर मंथन किया। शाह की पहली यात्रा में ही साफ हो गया था कि भाजपा 2023 जीतने के लिए शाही रणनीति की शरण में है। मप्र में कार्यकर्ताओं को साधने और उत्साह जगाने के लिए शाह ने सीधा संदेश दिया था कि मप्र में विधानसभा का चुनाव उनके मार्गदर्शन में ही लड़ा जाएगा। शाह का उत्साह का रंग मध्यप्रदेश भाजपा पर साफ नजर आ रहा है। नेताओं की बयानबाजी पर पूर्णविराम लग गया है। बदलाव की बातें बंद हो चुकी हैं। लाड़ली बहना योजना का असर भाजपा का उत्साह बढ़ा रहा है। विकास पर्व में सौगातों की गंगा जिलों में बह रही है। और रणनीति बनाकर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेरने की कोशिश जारी है‌।

शाह संग बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव, चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, शिवप्रकाश, बीएल संतोष, मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत पार्टी के दिग्गज मंथन कर शाही रणनीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है और दो सौ पार का लक्ष्य संधान करने पर जोर दिया जा रहा है।

चुनाव प्रबंधन के लिए समितियों की सूची जारी होनी है, जिसको लेकर शाह के पहले दौरे से दूसरे दौरे तक कयास लगते रहे। पर अब सूचनाओं का संकेंद्रण सीमित दायरे में है, इसलिए अंतिम निष्कर्ष की थाह लेना बहुत आसान नहीं है। मध्यप्रदेश में भाजपा जिन समितियों का गठन करने जा रही है, उनमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को लेकर अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। इस काम के लिए सात नेताओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है। केंद्रीय नेतृत्व के प्रवास कार्यक्रम, विशेष संपर्क अभियान,घर-घर झंडा, कमल दीपावली, प्रचार प्रसार, विधानसभा फीडबैक, वाहन सत्कार, मीडिया, मीडिया मॉनिटरिंग, सोशल मीडिया, कॉल सेंटर,चुनाव आयोग, हर प्रत्याशी को विधानसभा नामांकन भरने के लिए जरूरी निर्देश सहायता उपलब्ध कराने वाली समिति, प्रदेश कार्यालय में निर्वाचन संबंधी शिकायतों की समिति, कंट्रोल रूम के इंचार्ज,माइक्रो मैनेजमेंट कार्यालय संबंधी समिति, मतदान अभियान, चुनाव प्रबंधन कार्यालय समिति शामिल हैं और अब वॉर रूम की तैयारी तक सभी कदमों को सुनियोजित रणनीति के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है।

इन पंद्रह दिन में नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही बीजेपी प्रदेश कार्यालय में ऊपरी मंजिल पर चुनाव प्रबंधन कार्यालय शुरू हो चुका है। बीजेपी के प्रदेश चुनाव सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव ने सीएम शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, शिवप्रकाश सहित तमाम नेताओं की मौजूदगी में इसका विधि विधान से पूजन कर शुभारंभ किया था। अब इलेक्शन वॉर रूम मूर्त रूप लेने जा रहा है। सोशल मीडिया और आईटी टीम काम कर रही है।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में करीब चार महीने का समय ही बचा है। भाजपा चुनाव की कमान इस बार पूरी तरह से दिल्ली के हाथों में होगी। घोषणा पत्र समिति का काम रणनीति का सबसे अहम हिस्सा है। शाह मध्य प्रदेश में हर 15-20 दिन में आएंगे तो हर कदम पर उनकी सीधी नजर रहेगी। शिवराज सरकार के नेतृत्व में जो काम हुआ है, उसे जनता के बीच पहुंचाया जा रहा है। विजय संकल्प को अभियान के तहत सिद्ध करने पर भाजपा अमल कर रही है।

प्रभारी भूपेन्द्र यादव द्वारा गुजरात में अपनाई गई सूक्ष्म कार्ययोजना के आधार पर मध्यप्रदेश में दो सौ पार की आर-पार जंग का तैयारी भाजपा की रणनीति है। बूथ स्तर से राज्य स्तर पर अब तक की गई चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जा चुकी है। कांग्रेस व अन्य दलों वाली 103 विधानसभा सीटों पर फोकस है। इन सीटों पर कांग्रेस की कमजोरियों और बूथ स्तर पर तैयारियों की जानकारी को विधानसभावार तैयार किया जा चुका है। हर बूथ पर वोट प्रतिशत 51 करने पर भाजपा की निगाह है।

तो कमलनाथ के नेतृत्व में विपक्षी दल भी रणभूमि में हिसाब-किताब करने के लिए उत्साहित है। उधर असल परीक्षा नाथ की है, तो इधर शाह के नेतृत्व में सूर्यास्त के बाद रण जीतने की नीति पर लगातार मेहनत जारी है…।