भारत का विदेशी निर्यात एवं मध्य प्रदेश की स्थिति

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भारत का विदेशी निर्यात एवं मध्य प्रदेश की स्थिति

भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी 3.5 ट्रिलियन डालर की आर्थिकी हो गयी है, जिसे भारत सरकार ने 2025 तक 5 ट्रिलियन , 2047 तक 21 ट्रिलियन व 2075 तक 51 ट्रिलियन डालर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
इस लक्ष को प्राप्त करने के लिए ठोस आर्थिक उपाय करने होंगे जिसमें विदेशी निर्यात को बढ़ावा देना सर्वाधिक ज़रूरी कदम है।

भारत की वर्तमान आर्थिकी मुख्यतया घरेलू बाज़ार से है। गुड्स का विदेशी निर्यात वर्ष 2022 में 422 बिलियन डालर है जो कि कुल आर्थिकी का मात्र 13% है।सेवाओं का निर्यात 254 बिलियन डालर है जबकि अमेरिका चीन जैसे देशों में विदेशी निर्यात उनकी आर्थिकी का 30% से ज़्यादा हो रहा है।

घरेलू बाज़ार की एक सीमा है। उसके बाद आर्थिकी के विकास के लिए विदेशी निर्यात एवं सेवा प्रदाय बढ़ाना ही होगा। विदेशी निर्यात के लिए मैन्युफ़ैक्चरिंग हब एवं निवेश को प्रोत्साहन ही एकमात्र विकल्प है।

इसी परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार ‘मेक इन इंडिया’ व अन्य कई योजनाओं को लागू कर रही है,जिससे देश अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।इसी उद्देश्य से नीति आयोग ने 302 पेज की एक रिपोर्ट “एक्सपोर्ट प्रिपेडनेस इंडेक्स 2022” जारी की है,जोकि बहुत ही विस्तृत रूप से प्रदेशवार व ज़िलेवार विदेशी निर्यात को बता रही है। साथ ही भविष्य की रणनीति बनाने के लिए मार्गदर्शन भी कर रही है।इससे देश में ज़िलेवार एक्सपोर्ट हब बन सकेंगे।इस रिपोर्ट के माध्यम से नीति आयोग से व्यवसायिक इकोसिस्टम बनाना चाहता है।रिपोर्ट के आधार पर राज्य समुचित निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं।

इस रिपोर्ट को सभी प्रदेशों के नीति निर्धानकर्ताओ व ज़िले में क्रियान्वयन करने वाली एजेन्सी को सूक्ष्मता से पढ़ना चाहिए,जिससे हम देश में विनिर्माण व निर्यात का ईकोसिस्टम बना सकें।

इस रिपोर्ट के अध्ययन से समझ में आता है की विदेशी निर्यात में देश के कुल दस राज्य ही योगदान दे रहें है जो की कुल निर्यात का 85% है।इसमें गुजरात(30%),महाराष्ट्र (17%),तमिलनाडु(8.5%),कर्नाटक (6%), उत्तरप्रदेश (5%),आँध्र प्रदेश (4.5%),उड़ीसा(4%),हरियाणा(4%),पश्चिम बंगाल (3.5%),तेलंगाना (2.6%) योगदान दे रहें हैं। शेष सभी राज्य मात्र 15% ही निर्यात कर रहें हैं। यह स्थिति इन सब राज्यों के लिए अत्यधिक चिंतनीय है,क्योंकि इससे राज्यों में रोज़गार और विकास का संकट खड़ा हो रहा है।

अकेला गुजरात 127 बिलियन डालर का निर्यात कर रहा है।महाराष्ट्र 73,तमिलनाडु, 35 बिलियन डालर का निर्यात कर रहा है।

भारत के 680 ज़िलों में से 100 ज़िले देश का 87% निर्यात कर रहें है। शेष 580 ज़िले मात्र 13% निर्यात करते हैं। इन 100 ज़िलों में से 66 ज़िले 7 राज्यों में ही है। देश का 38% निर्यात मात्र 9 ज़िलों से,जिनमे जामनगर (12%);सूरत(4.5%),मुंबई(7.5%),पुणे(2.73%),भरुच(2.37%),काँचीपुरम (2.37%),अहमदाबाद (2.28%),नॉएडा (2.18%),बैंगलोर (1.9%) ही हो रहा है।

नीति आयोग ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में एक मेथॉडॉलॉजी तैय्यार की थी।जिसमें म. प्र. 56 अंक के साथ 12वें स्थान पर है और तमिलनाड 81 अंक के साथ पहले स्थान पर।

पॉलिसी केटेगरी में ग्यारवें,बिजनेस इकोसिस्टम में अठारवें,एक्सपोर्ट इकोसिस्टममें आठवें एवं एक्सपोर्ट परफ़ारमेंस में सोलवें स्थान पर है।प्रदेश में सबसे बड़ा निर्यातक ज़िला इंदौर है जो की राज्य के कुल निर्यात का 18% निर्यात कर रहा है।

नीति आयोग ने प्रदेश की निर्यात नीति की प्रशंसा की है। साथ ही सभी ज़िलों के एक्सपोर्ट प्लान,एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी,संस्थागत फ़्रेमवर्क,डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल,इज़ आफ डूइंग बिजीनेस,सिंगल विंडो क्लीयरेंस,ऊर्जा की उपलब्धि,वेयर हाऊस की उपलब्धता की भी तारीफ़ की है।

लेकिन इसके बाद भी प्रदेश मात्र 7 बिलियन डॉलर का निर्यात कर पा रहा है। इस बावत आयोग चिंतित भी है। उनके अनुसार इसका मुख्य कारण एक्सपोर्ट पॉलिसी का प्रभावी क्रियान्वयन ना होना,एक्सपोर्ट इंडस्ट्रीयल पार्क ना होना,एक्सपोर्टर की कपैसिटी बिल्डिंग ना होना,ट्रेड फ़ेयर ना लगना,आर. एंड डी. मी काम ना होना,एक्सपोर्टर को लोन ना मिलना,बिजली की दर ज़्यादा होना,औद्योगिक पार्क की कमी, इंटरनेट सुविधा की कमी,कोल्ड स्टोरेज कम होना,लज़िस्टिक पार्क ना होना,एयर कार्गो ना होना,जी.आइ. प्रोडक्ट कम होना,एक्सपोर्ट व इंडस्ट्रीयल ईकोसिस्टम कमजोर होना है।

एम.पी.से सबसे ज़्यादा दवाइयाँ,कॉटन से सम्बंधित उत्पाद,ओईल केक एवं चावल का निर्यात हो रहा है।
नीति आयोग के उपरोक्त प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि भारत सरकार निर्यात के विषयों पर अत्यधिक गम्भीर है और विस्तृत मार्गदर्शन दे रही है।अब आवश्यक यह है कि राज्य सरकारें इन निर्देशों का गम्भीरता से अध्ययन करे। सम्पूर्ण इच्छाशक्ति से क्रियान्वन्यन करे।राज्य स्तर पर प्रभावी एक्सपोर्ट काउन्सिल हो जिसकी सहायता के लिए पूर्णकालिक अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी हो।इस विषय में केंद्र सरकार व राज्य सरकार के विभिन्न विभागों का समन्वय आवश्यक होगा इस कारण वरिष्ठ अधिकारी होना आवश्यक है। ज़िला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट ऐक्शन प्लान डायनामिक बनाते हुए डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट काउन्सिल व वन डिस्ट्रिक्ट वन हब योजना को प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।

राज्य स्तर पर निर्यात मंत्रालय बनाते हुए ज़िला स्तर पर जनप्रतिनिधियों की प्रभावी भूमिका को महत्व देना आवश्यक है।विधानसभा के चुनावों में राजनीतिक दलों को अपने मैनिफ़ेस्टो में निर्यात सम्बन्धी विषयों को समाहित करने की ज़रूरत है।विधानसभा में निर्यात सम्बन्धी प्रतिवेदन अलग से प्रस्तुत करना चाहिये।तभी राज्यों के विकास में प्रगति होगी तथा देश की आर्थिकी 3.5 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 51 ट्रिलियन डॉलर हो सकेगी जिससे भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।