खोने और पाने के भंवर में फंसा गांधी परिवार…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
भारत के छठवें प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी (जन्म – 20 अगस्त 1944) की आज जयंती है। अगर वह आज जिंदा होते तो 79 साल के हो गए होते। इन्दिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र और जवाहरलाल नेहरू के दौहित्र राजीव का विवाह सोनिया से हुआ था जो उस समय इटली की नागरिक थी।विवाहोपरान्त उनकी पत्नी ने नाम बदलकर सोनिया गांधी कर लिया। राजीव की शादी 1968 में हुई थी। राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं, पुत्र राहुल गांधी का जन्म 1970 और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ। राजीव गांधी के जन्म दिन 20 अगस्त को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राजीव गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे। परन्तु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद मां इन्दिरा गाँधी को सहयोग देने के लिए सन् 1981 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया। वो अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने और 31 अक्टूबर 1984 को अंगरक्षकों द्वारा प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने और अगले आम चुनावों में सबसे अधिक बहुमत पाकर प्रधानमन्त्री बने रहे। राजीव गांधी ने 1985 में मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में ‘संदेश यात्रा’ की घोषणा की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने इसे पूरे देश में चलाया था। प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) और पार्टी के नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राएं कीं। तीन महीने से अधिक समय तक चली यह यात्रा दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई।
राजीव गांधी भारत में सूचना क्रान्ति के जनक माने जाते हैं। देश के कम्प्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रान्ति का श्रेय उन्हें जाता है। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को 33% रिजर्वेशन दिलवाने का काम उन्होंने किया। मतदाता की उम्र 21 वर्ष से कम करके 18 वर्ष तक के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार राजीव गांधी ने दिलवाया।
1990 में, राजीव गांधी ने विभिन्न तरीकों से भारत यात्रा की। पदयात्रा और एक साधारण यात्री ट्रेन की दूसरी श्रेणी की गाड़ी में उन्होंने अपनी ‘भारत यात्रा’ की। इसकी शुरुआत उन्होंने चंपारण से की थी। राजीव गांधी ने 19 अक्टूबर 1990 को हैदराबाद के चारमीनार से सद्भावना यात्रा शुरू की थी। चुनावों का प्रचार करते हुए 21 मई, 1991 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम नामक आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों ने राजीव गांधी की एक बम विस्फ़ोट में हत्या कर दी।
राजीव गांधी के निधन के बाद कांग्रेस तो सत्ता में रही, पर गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री नहीं बन सका। अब गांधी परिवार से पीएम पद की विदाई को 33 साल का लंबा अरसा गुजर चुका है। और अब भी यह दावा नहीं किया जा सकता है कि गांधी परिवार प्रधानमंत्री पद को हासिल कर पाएगा या नहीं। हालांकि पिता राजीव गांधी की तर्ज पर पुत्र राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को खूब सराहना मिली है। दक्षिण से उत्तर की यात्रा पूरी होने के बाद अब पश्चिम से पूर्व की यात्रा प्रस्तावित है। हालांकि इसका भी कितना लाभ राहुल और कांग्रेस को मिल पाएगा, यह देखना होगा। राहुल को पारंपरिक संसदीय सीट अमेठी को भी खोना पड़ा और सांसद बने रहने के लिए केरल की वायनाड संसदीय क्षेत्र का सहारा लेना पड़ा। उसके बाद मानहानि मामले में हुई दो साल की सजा के बाद संसद की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो गई। गांधी परिवार को खोई हुई अमेठी संसदीय सीट और पीएम पद के परिवार में लौटने का इंतजार है। सद्भावना दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के द्वारा विशेष आयोजन होता है। देश भर में पार्टी सदस्य अपने पूर्व नेता राजीव गांधी को श्रद्धांजली देते है, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। दिल्ली में स्थित समाधी स्थल वीरभूमि में राजीव गाँधी का पूरा परिवार, करीबी मित्र, रिश्तेदार और कांग्रेस पार्टी के मुख्य लोग इक्कठे होते हैं। राजनीति में अब पत्नी सोनिया, पुत्र राहुल और पुत्री प्रियंका तीनों सदस्य सक्रिय हैं। वीरभूमि पर पहुंचकर राजीव को याद कर परिजनों की आंखें नम होंगीं तो आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर परफोर्मेंस की कामना करेंगे या भरोसा दिलाएंगे। वैसे राजीव के बाद गांधी परिवार खोने और पाने के भंवर में फंसा है…बहुत कुछ खोया तो बहुत कुछ पाने का इंतजार भी
है…।