Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:मुरलीधर राव को पार्टी ने हाशिए पर डाल दिया!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista:मुरलीधर राव को पार्टी ने हाशिए पर डाल दिया!

अभी कुछ माह पहले की ही बात है जब भाजपा में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव से पूछे बिना कोई निर्णय नहीं होता था, लेकिन अब यही मुरलीधर राव किसी भी महत्वपूर्ण बैठक में दिखाई नहीं देते हैं।

मध्य प्रदेश में चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को सारी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों में सारी कमान है। अमित शाह और जेपी नड्डा अब इन्हीं नेताओं से बात करते हैं।ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान संगठन के नेता मुरलीधर राव को हुआ। मुरलीधर राव का किसी भी बात में कोई हस्तक्षेप नहीं है।

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अभी तक राव सोशल मीडिया टीम के कामकाज की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने एक जन आकांक्षा कार्यक्रम तैयार किया था, जिसके लिए एक सरकारी बंगले को कार्यालय में बदला गया था। इसी बंगले में मुरलीधर भोपाल प्रवास के दौरान रहते भी है जहां किसी समय बहुत भीड़ दिखाई देती थी लेकिन अब यहां इक्का दुक्का लोग ही दिखाई देते हैं।
इसके अलावा चुनावी सर्वेक्षणों और पार्टी संगठन की कई अन्य गतिविधियों में भी राव का हस्तक्षेप था। राव की सारी जिम्मेदारियां अब दूसरे नेताओं को सौंप दी गई है।

राव ने चुनाव में कई एजेंसियों को शामिल कर लिया था। अब इन एजेंसियों को दिए गए काम दूसरों को सौंपे जा रहे है। एक बैठक में शाह ने पार्टी नेताओं से साफ कहा कि उन्हें कोई भी फैसला लेने से पहले यादव और तोमर से सलाह लेनी चाहिए।

बता दे कि राव पहले भी अनेकों बार अपने बयानों के कारण विवाद में आए थे, इसलिए उन्हें सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है। उन्हें प्रभारी पद से हटाया तो नहीं गया है लेकिन वे अब केवल नाम के प्रभारी रह गए हैं।

तीन नए मंत्रियों से जुड़े समीकरण

शिवराज सरकार में अब तीन मंत्री और शामिल हो गए। चुनाव से ठीक पहले होने वाला यह मंत्रिमंडल विस्तार अपने आपमें चौंकाने वाला इसलिए है कि लोधी और ओबीसी को मिलाकर प्रदेश की 45% आबादी को साधने के लिए राहुल लोधी और गौरीशंकर बिसेन को मंत्री बनाया गया।

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आश्चर्य की बात ये है कि जो समीकरण पार्टी को अब समझ में आए उन्हें पहले क्यों नहीं समझा गया। इसके अलावा राजेंद्र शुक्ला को विंध्य से इसलिए मंत्री पद दिया गया उसके राजनीतिक कारण तो अपनी जगह है ही लेकिन एक अन्य कारण यह भी है कि ‘आप’ पार्टी के बढ़ते असर को कंट्रोल किया जाए। पिछली बार विंध्य से भाजपा ने जो 24 सीट जीती थी, उन्हें बरकरार रखने की भी कोशिश है। ये सीटें शुक्ला की मेहनत और प्रभाव के कारण ही पूर्व में मिली थी। भाजपा को आशंका है कि इस बार उसे विंध्य से नुकसान हो सकता है।

आश्चर्य की बात यह है कि पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस मालवा-निमाड़ पर है, पर यहां से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया। इसमें इंदौर जैसा बड़ा शहर पिछले 5 साल से ज्यादा समय से मंत्री विहीन है। यहां से आखरी बार महेंद्र हार्डिया को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। उसके बाद किसी को मंत्री के लायक नहीं समझा गया और इस बार भी इंदौर मंत्री विहीन ही रहा।

तुलसी सिलावट और उषा ठाकुर जरूर मंत्री हैं लेकिन वे इंदौर शहर का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और इसीलिए कई मामलों में उनका दखल भी नहीं होता है।

कितनी फायदेमंद होगी अप्रवासी विधायकों की रिपोर्ट

भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने मौजूदा विधायकों और जहां से पार्टी चुनाव हारी थी, वहां के दावेदार उम्मीदवारों की स्थिति जांचने के लिए दूसरे राज्यों से विधायकों को बुलाकर उन्हें एक-एक सीट की जिम्मेदारी सौंपी। यह अपनी तरह की एक अलग कवायद है। लेकिन, लगता नहीं कि इससे पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा। क्योंकि, ये विधायक क्षेत्र की तासीर से अनजान है और उन्हें किससे मिलना है और किससे नहीं मिलना है, उन्हें खुद नहीं पता।

कई जगह से यह जानकारी मिली कि इन विधायकों से सिर्फ नाराज कार्यकर्ता ही मिल रहे हैं। वहीं उन्हें फीडबैक भी दे रहे। इससे सही स्थिति सामने नहीं आ पा रही। इसका सबसे सटीक उदाहरण है कि इंदौर में इन अप्रवासी विधायकों के कारण विद्रोह जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। क्षेत्र क्रमांक 4 और 5 के विधायकों के बारे में इन्हें विपरीत रिपोर्ट मिली। क्षेत्र-एक के दावेदार सुदर्शन गुप्ता के खिलाफ असंतोष सामने आया और टिकट न देने की बात कही गई।

राऊ विधानसभा के जिस उम्मीदवार मधु वर्मा के नाम की घोषणा हो चुकी है, उसके खिलाफ भी यहां आए अप्रवासी विधायक को नकारात्मक रिपोर्ट मिली। ऐसी स्थिति में कहा नहीं जा सकता है कि इनकी रिपोर्ट पार्टी को कितना फायदा देगी।

प्रहलाद पटेल से भारी रही उमा भारती!

शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल पुनर्गठन की राजनीति में एक बार फिर उमा भारती हावी रही। मंत्रिमंडल में राजेन्द्र शुक्ला और गौरीशंकर बिसेन के नाम तो पहले से तय थे। लेकिन, तीसरा नाम किसका हो, इसे लेकर कई दिनों तक मंथन चला। क्योंकि, प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह और उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी में से किसे शामिल किया जाए इसे लेकर संचय था।

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दोनों लोधी समाज के हैं और दोनों में से किसी एक को ही मंत्री बनाया जाना था। ऐसे में उमा भारती का ब्रह्मास्त्र काम आया और राहुल लोधी ने शपथ ली। जबकि, राहुल पहली बार के विधायक हैं और मुख्यमंत्री हमेशा कहते आए हैं कि पहली बार विधायक बने किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया जाएगा। लेकिन, फिर भी उन्हें उमा भारती की जिद के आगे पीछे हटना पड़ा।

इसलिए इसे फायर ब्रांड उमा भारती की जीत ही माना जाना चाहिए कि वो एक बार फिर हावी रही। इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए जब उमा भारती मुख्यमंत्री के फैसले बदलवाने में सफल रही।

एक ही विभाग के दो IAS अधिकारियों को हटाने का मामला

मध्य प्रदेश में वल्लभ भवन के गलियारों में इस बात को देखकर भारी चर्चा है कि एक ही विभाग के दो IAS अधिकारियों को एक साथ क्यों हटाना पड़ा! दरअसल नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग में पदस्थ अपर सचिव सतेंद्र सिंह और उपसचिव हर्षल पंचोली को एक साथ हटाया गया। ताज्जुब यह है कि इसकी भनक ना तो विभागीय मंत्री को लगी और ना ही प्रमुख सचिव को। यह कार्रवाई सीधे मुख्यमंत्री के आदेश पर की गई।

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पता चला है कि इन दोनों अधिकारियों को लेकर कुछ गंभीर शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची थी और अंदरूनी जांच पर वे सही पाई जाने पर मुख्यमंत्री ने तुरंत हटाने के आदेश दिए। सियासी गलियारों में इस मामले को मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच चल रहे रिश्तों से भी जोड़ा जा रहा है।

बता दें कि सतेंद्र सिंह 2009 बैच के और हर्षल पंचोली 2015 बैच के IAS अधिकारी हैं।

कलेक्टर की हो रही किरकरी, नहीं मालूम अपने कमिश्नर का सही नाम

झाबुआ जिले की कलेक्टर तन्वी हुड्डा की प्रशासनिक गलियारों में इस बात को लेकर किरकिरी हो रही है कि उन्हें अपने कमिश्नर का नाम ही नहीं मालूम है।

दरअसल जब इंदौर संभाग के कमिश्नर पहली बार झाबुआ पहुंचे तो उनके स्वागत में कलेक्टर ने एक ट्वीट कर उनका नाम लिखा माल सिंह भिड़े! जब किसी ने गलत सरनेम पर उनका ध्यान आकर्षित किया तो फिर उन्होंने ट्वीट में सुधार तो किया लेकिन उसमें कमिश्नर का नाम तो लिख दिया लेकिन सरनेम फिर भी नहीं लिखा। इससे यह साफ हो गया कि कलेक्टर को अपने कमिश्नर के पूरा नाम की जानकारी ही नहीं है!

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बता दे कि राज्य शासन द्वारा जारी मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारियों की सूची में इंदौर संभाग के कमिश्नर का पूरा नाम MAL SINGH BHAYDIYA (माल सिंह भयड़िया) लिखा है और वे 2006 बैच के IAS अधिकारी हैं। तन्वी हुड्डा 2014 बैच की IAS अधिकारी है।

चंद्रयान 3: सफलता का श्रेय लेने की राजनीतिक होड

केंद्र सरकार इन दिनों चंद्रयान 3 के चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर उतरने के जश्न में डूबी है। मनाना भी उचित है, आखिर पहली बार भारत को सफलता जो मिली है। यह सफलता वैज्ञानिकों के कारण मिली लेकिन राजनीतिक दल भी इस अभियान की सफलता का श्रेय लेने में पीछे नहीं है।

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कांग्रेस तो काफी पीछे चली गई और इस सफलता का श्रेय पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जोड़ दिया। गलियारों में इस राजनीतिक होड को लेकर तरह-तरह की चर्चा चल रही है।

CVC की रिपोर्ट ने करा दी केंद्र सरकार की किरकिरी

CVC की एक रिपोर्ट ने केंद्र सरकार की किरकिरी करा दी। सतर्कता आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है भष्टाचार की सर्वाधिक शिकायत गृह मंत्रालय से मिली है। इस महत्वपूर्ण मंत्रालय का नाम आने पर इस बात को लेकर ज्यादा उत्सुकता देखी जा रही है कि कि कथित भ्रष्टाचार के कारण मंत्रालय बदनाम हो रहा है?