आयुष्मान योग में मनाया जाएगा रक्षाबंधन

जानिए मुहूर्त,तिथि निर्णय, भद्रा निर्णय,एवम वैदिक रक्षा सूत्र की विधि ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्ररवीश राय गौड़ से

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पर्व विशेष – रक्षाबंधन

आयुष्मान योग में मनाया जाएगा रक्षाबंधन

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की प्रस्तुति

त्यौहार और पर्वो से हमारे देश के समाज जीवन में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। हर त्यौहार और पर्व का अलग महत्व है तो यह वैज्ञानिक कसौटी पर भी प्रभाव रखता है। धर्म प्रधानता से इन पर्वो पर भिन्न भाषा भिन्न परिवेश के बाद भी एक दूसरे से जोड़ता है।

ऐसा ही पर्व है रक्षाबंधन और श्रावणी कर्म का। इस वर्ष 19 साल बाद पुरुषोत्तम अधिक मास सावन माह में आया है। इसके समापन भी श्रावणी कर्म के साथ हो रहा है। सनातन धर्म, पुष्टि मार्ग, हिंदू धर्म, जैन धर्म आदि में इसके महत्व को बताया गया है।

अभी बात रक्षाबंधन पर्व की करते हैं इस बार भद्रा के कारण कुछ संशय देखा जारहा है इसकी शास्त्रोक्त विवेचना में जो निष्कर्ष आया प्रस्तुत है – – –

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. सनातन पंचांग अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 बुधवार को 10:59 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी एवम रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में रक्षा पर्व मनाने का निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही रक्षा बंधन पर्व उपयुक्त रहेगा.

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ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्र रविशराय गौड़ बताते हैं कि शास्त्रोक्त आधार पर इस साल रक्षाबंधन श्रावणी पर्व कोई 700 साल बाद ऐसा आया है जब पंच महायोग बन रहा है। इसका महत्व त्यौहार पर और जीवन पर सकारात्मक रहेगा।

तिथि निर्णय

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 30 अगस्त, बुधवार 2023 को 10:58 प्रातः
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 31 अगस्त, 2023 को 07:05 प्रातः बजे
रक्षा बन्धन बुधवार, 30 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा.

रक्षा बन्धन पर्व

(राखी बांधने का समय) – 09:01 रात्रि के बाद.
रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय – 09:01 रात्रि.
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ – 05:30 सांयः से 06:31 सांयः.
रक्षा बन्धन भद्रा मुख – 06:31 सांयः से 08:11 पी एम.

भद्रा निर्णय

मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है. चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है. कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है.

भद्रा जिस लोक में रहती है वही प्रभावी रहती है. इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही. जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी.

रक्षाबंधन पर भद्रा का समय – 30 अगस्त 2023 को भद्रा काल सुबह 10.58 से शुरू हो जाएगी और रात 09.01 मिनट पर खत्म होगी. इस बार रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे इस कारण भद्रा का निवास पृथ्वी पर है जिसे अशुभ माना जाता है.

भद्रा में क्यों न बांधें राखी

रक्षाबंधन के दिन भद्रा रहित मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधनी चाहिए. इससे भाई को विजय प्राप्त का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही उसकी उन्नति होती है. भद्रा में राखी बांधना अशुभ है. भद्रा में किया गया शुभ कार्य सफल नहीं होता, मनुष्य को हानि होती है.

राखी बांधने की विधि

इस दिन बहनें पूजा की थाली में घी का दीपक जलाकर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें राखी अर्पित करें. इससे अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है. अब भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं. तिलक करें और दाएं हाथ पर राखी बांधें. मिठाई खिलाकर भाई और बहन दोनों एक दूसरे की उन्नति की कामना करें.

रक्षाबंधन पर्व पर की ग्रह गोचर की विशेषता

जहां देवगुरु मेष राशि में होंगे तो वही शनि देव कुंभ राशि में वक्री अवस्था में होंगे। साथ ही, इस दिन 30 अगस्त को रात 8:40 तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। इसके बाद, शतभिक्षा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। यह नक्षत्र 31 अगस्त को शाम 5:45 तक रहेगा। सूर्य देव भी स्वयं की राशि सिंह में ही विराजमान रहने वाले हैं। इस राशि में बुध भी वक्री अवस्था में विराजमान रहेंगे, जिस वजह से बुधआदित्य योग भी बनेगा।

मेष राशि देवगुरु बृहस्पति इसी राशि में वक्री होने वाले हैं, ऐसे में इस राशि के जातकों को विशेष लाभ होगा। अचानक ही धन लाभ होने के भी योग बनते हुए दिखाई देंगे। आय के नए- नए स्रोत खुल सकते हैं, नौकरी पेशा करने वाले जातकों को भी लाभ होगा। परिवार का पूरा सहयोग मिलेगा, जो लोग निवेश की प्लानिंग कर रहे निश्चित रूप से उन्हें लाभ होगा।

सिंह राशि में बुध आदित्य योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही, सूर्य मघा नक्षत्र में रहने वाले हैं। ऐसे में इस राशि के जातकों को भाग्य का भरपूर सहयोग मिलने वाला है, माता लक्ष्मी की कृपा भी इन पर बनी रहेगी। जिस वजह से इन्हें हर कार्य में सफलता मिलेगी, रुका हुआ पैसा भी मिलेग।

कुंभ राशि रक्षाबंधन का त्योहार इस राशि के जातकों के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है, इसी राशि में शनि वक्री अवस्था में भी रहेंगे। इस राशि के जातकों को धन होगा। इसी के साथ, लंबे समय से रुके हुए कार्य अब पूरे होते हुए दिखाई देंगे। जल्द ही, आपको विदेशी व्यापार में भी सफलता मिलेगी. नौकरी में भी आपकी स्थिति काफी प्रबल हो जाएगी।

रक्षाबंधन के शुभ योग

रक्षाबंधन के दिन आयुष्यमान योग, बुधादित्य योग, वासी योग और सुनफा योग भी रहेगा. आयुष्मान योग अपने नाम स्वरूप भाई-बहन को लंबी उम्र का वरदान प्रदान करेगा.

राखी बांधने की शास्त्रीय विधि

* राखी बंधवाने के लिए भाई को हमेशा पूर्व दिशा और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।

* बहन भाई की दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाएं।

* तिलक लगाने के बाद अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत के छींटें भी दें।

* इसके बाद दीपक से आरती उतारकर बहन और भाई एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।

* भाई वस्त्र, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।

* भारतीय परिधान पहन कर पर्व मनाना ज्यादा श्रेयस्कर है।

* बहन को काले रंग की कोई भी वस्तुएं रक्षा पर्व के निमित उपहार ना करे।

* कोई भी नुकीली वस्तु देने से मन भेद बढ़ता है।

वेदिक रक्षा सूत्र

रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है।प्रतिवर्षश्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस दिनबहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में भी उसका बड़ा महत्व है।

कैसे बनायें वैदिक राखी?

वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें।

(१) दूर्वा

(२) अक्षत (साबूत चावल)

(३) केसर या हल्दी

(४) शुद्ध चंदन

(५) सरसों के साबूत दाने

इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं।

वैदिक राखी का महत्त्व

वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं।

रक्षासूत्र बाँधते समय बोले जाने वाले श्लोक

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।

इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः