Shocking Temperature on Moon : चांद पर दर्ज तापमान चौंकाने वाला, वैज्ञानिक आश्चर्य में!
Bengaluru : चांद पर पहुंचकर विक्रम लैंडर ने अपना काम शुरू कर दिया। रविवार को उसने जो भेजा उसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया। उसने चांद की सतह पर तापमान में भिन्नता दर्ज की। यहां उच्चतम तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया। चांद को समझने के लिए यह बहुत बड़ी कड़ी है। इसलिए कि तक माना जाता था कि चांद की सतह पर तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है।
चाँद से ये चौंकाने वाले रिकॉर्ड उस दिन आए जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसी दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्हें मंदिर में ध्यान लगाकर प्रार्थना करते देखा गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया। अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य जताया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट) ने चांद की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा।
इसरो ने एक पोस्ट में कहा कि यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा।
अब तक कि वैज्ञानिक जानकारी से अलग टेम्परेचर ग्राफिक्स के बारे में इसरो वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने कहा कि हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है। लेकिन, यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से बहुत ज्यादा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।
इसरो ने एक बयान में कहा कि इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।
चांद को लेकर लगातार उत्सुकता बढ़ी
दारुकेशा ने कहा की जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है। जबकि, चंद्रमा यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है।
इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (SPL) के नेतृत्व वाली एक टीम ने विकसित किया था।