Brachytherapy Machine : बीपीसीएल की मदद से कैंसर अस्पताल को ब्रैकीथेरेपी मशीन मिलेगी!

मशीन के लिए 2 करोड़ बीपीसीएल, 2.17 करोड़ राज्य सरकार देगी!

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Brachytherapy Machine : बीपीसीएल की मदद से कैंसर अस्पताल को ब्रैकीथेरेपी मशीन मिलेगी!

Indore : शासकीय कैंसर अस्पताल में स्थापित की जाने वाली एचडीआर ब्रेकीथेरेपी मशीन के लिए दो करोड़ के सीएसआर अनुदान के लिए भारत पेट्रोलियम और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बीच एमओयू साइन हुआ है। मशीन के लिए बीपीसीएल दो करोड़ रुपये की राशि दे रहा है। वहीं राज्य सरकार द्वारा 2.15 करोड़ की राशि इसकी खरीदी के लिए दी जाएगी।\

संभावित आठ माह में यह मशीन अस्पताल में आ जाएगी। कैंसर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रमेश आर्य ने अनुदान के लिए बीपीसीएल से संपर्क किया और उनके प्रयासों से अनुदान मिला है। सीएसआर बीपीसीएल हेड रमन मलिक, डीन डॉ. संजय दीक्षित ने घनश्याम शेर, डॉ. प्रीति जैन और डॉ ओपी गुर्जर की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। डॉ गुर्जर ने बताया कि इस विधि से रेडियोएक्टिव सोर्स को शरीर के किसी भी अंग के संपर्क में अथवा गुहा में रखकर उपचार किया जाता है।

ब्रैकीथेरेपी दो प्रकार से होती है। पहला इंटरस्ट्रीस्यिल (इसमें नीडल टिश्यू के अंदर डालते हैं जहां पर ट्यूमर है), है। इसमें रेडियोएक्टिव सोर्स को ठोस अंग के सीधे संपर्क में रखते हैं। दूसरा तरीका एण्ट्रालुमिनल (इसमें शरीर के अंदर पहले से मौजूद छेद जैसे खाने की नली आदि में सीधे पाइप डालते हैं है। कंप्यूटर से संचालित इस थेरेपी के माध्यम से ट्यूमर या उसके आसपास में रेडिएशन डाला जाता है, जो जरूरत के अनुसार वहां पर रेडिएशन डोज प्रदान करती है। ओटी के माध्यम से विकिरण सोर्स का एप्लीकेटर ट्यूमर के अंदर डाला जाता है।

2020 में खराब हुई थी मशीन

कैंसर अस्पताल में पूर्व में स्थापित ब्रेकीथेरेपी मशीन की लाइफ वर्ष 2020 में समाप्त हो गई थी। इसके बाद से ही मरीजों को यहां असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन भी लंबे समय से मशीन की मांग कर रहा था। जिसके बाद अब मशीन मिलने वाली है। वहीं इस मशीन का इस्तेमाल निजी अस्पतालों में भी ज्यादा नहीं किया जाता है। क्योंकि इसका खर्च अधिक होता है। अधिकारियों के अनुसार हम जल्द ही इसका टेंडर जारी करेंगे। उम्मीद है कि आठ-10 माह में मशीन अस्पताल आ जाएगी।