राज-काज: सरकार की योजनाओं पर इस्तीफों का ग्रहण….!
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मेहनत पर भाजपा के ही इस्तीफा देने वाले नेता पानी फेरते नजर आ रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी सहित अन्य योजनाओं के जरिए मुख्यमंत्री चौहान ने काफी हद तक लोगों के बीच पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दिलचस्पी से पार्टी के अन्य नेता चुनावी जमावट में तेजी से जुटे हैं। हर कोई कहता नजर आने लगा था कि भाजपा की हालत में सुधार हो रहा है।
लेकिन पार्टी के दिग्गज नेताओं के इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन करने, भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाने से सरकारी योजनाओं को लेकर चलाए गए अभियान पर ग्रहण लगता दिख रहा है। एक दिन पहले विधायक वीरेंद्र सिंह रघुवंशी का इस्तीफ हुआ। अगले ही दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरन शर्मा के भाई पूर्व विधायक गिरिजा शंकर शर्मा ने इस्तीफा दे दिया। पार्टी के एक अन्य पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत ने भी भाजपा को टा.. टा.. बोल दिया। खबर है कि भाजपा के 4 और विधायक इस्तीफा देने वाले हैं। इसके पहले भी भाजपा के कई दिग्गज कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। साफ है कि शिवराज के साथ अन्य नेता पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करते हैं और इस्तीफों की यह झड़ी उनकी मेहनत पर पानी फेर रही है। कोशिश के बावजूद नाराज नेता संतुष्ट नहीं हो रहे हैं।
दिग्गजों के क्षेत्र में उलटफेर कर पाएंगे दिग्विजय….!
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का फोकस उन 66 सीटों पर लगातार है, जहां पार्टी कई चुनाव से हारती आ रही है। लगता है इनमें दिग्गजों की कुछ सीटों को उन्होंने चैलेंज के तौर पर ले लिया है। ये हैं प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह की खुरई, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह रापजूत की सुरखी और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की दतिया। इन सीटों में उलटफेर के उद्देश्य से ही भाजपा नेताओं को तोड़कर कांग्रेस में लाने की कोशिश हो रही है।
इसी अभियान के तहत सुरखी क्षेत्र के राजकुमार धनौरा और नीरज शर्मा, दतिया के पूर्व विधायक अवधेश नायक को भाजपा से तोड़कर लाया गया। अब खुरई के लिए ललितपुर के चंद्रभूषण सिंह बुंदेला ‘गुड्डू राजा’ को कांग्रेस में लाया गया। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में घटने वाली घटनाओं पर भी दिग्विजय की नजर है। सुरखी क्षेत्र में एक घटना घटी, बुलडोजर चला, दिग्विजय तत्काल वहां पहुंच गए। हाल ही में खुरई विधानसभा के बरोदिया नोनागिर गांव में एक दलित की हत्या हो गई और दलित महिला को निर्वस्त्र करके घुमाया गया, दिग्विजय न केवल वहां पहुंचे बल्कि पीड़ित परिवार की महिला से राखी भी बंधवाई। रक्षाबंधन पर हर वर्ष आने का आश्वासन भी दिया। इस कसरत से दिग्विजय इन दिग्गजों के क्षेत्रों में उलटफेर कर पाते हैं या नहीं, इस पर सबकी नजर है।
चमके नहीं, मुरझा गए इन विधायकों के चेहरे….
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा 39 प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर चुकी है, दूसरी जल्दी आने की संभावना है। कांग्रेस भी पहली सूची जारी करने की तैयारी में है। दोनों दलों में उन विधायकों की धड़कनें तेज हैं, जिन्हें पहले ही बता दिया गया था कि आपके खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी है, इसलिए समय रहते क्षेत्रों में अपनी स्थिति सुधार लें। अगस्त में अंतिम सर्वे कराया जाएगा, तब तक चेहरे न चमके तो चेहरा बदल दिया जाएगा। हालात ये है कि भाजपा के लगभग 50 विधायकों के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी कम नहीं हुई है। इनमें सरकार के 15 मंत्री शामिल हैं।
कांग्रेस में भी लगभग 35 विधायक खतरे में बताए जा रहे हैं। इनके चेहरे भी चमके नहीं, मुरझाए दिख रहे हैं। खतरा टिकट कटने का जो है। भाजपा हर चुनाव में अपने सिटिंग विधायकों के टिकट काटती रही है, इसलिए उसे कैेंची चलाने में ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। वैसे भी भाजपा के मतदाता या कार्यकर्ता नेता के साथ कम, पार्टी के साथ ज्यादा जुड़े होते हंै। कांग्रेस में ऐसा नहीं है। यहां आस्था पार्टी से ज्यादा, अपने नेता में होती है। कांग्रेस टिकट काटने में भी घबराती है क्योंकि उसे मालूम है कि विधायक चुनाव भले नहीं जीत सकता लेकिन वह पार्टी को हराने में भूमिका निभा सकता है। देखिए, पार्टियां इन मुरझाए चेहरे वाले विधायकों के साथ क्या सलूक करती हैं?
प्रीतम, राहुल से सध पाएगा लोधी मतदाता….!
– विधानसभा के पिछले चुनाव में लोधी मतदाताओं ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था, जबकि लंबे समय से यह समाज पार्टी का परंपरागत मतदाता बन चुका है। इस बार भी यह समाज भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा रहा था। समाज की सबसे बड़ी नेता पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती नाराज थीं। उनके रिश्तेदार ग्वालियर अचंल के प्रीतम लोधी ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इधर जयंत मलैया को महत्व मिलने से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल नाराज थे। लिहाजा, पहले पार्टी ने प्रीतम लोधी को पार्टी में वापस लिया और फिर पहली सूची में ही उन्हें पिछौर से टिकट दे दिया।
उमा भारती के भतीजे को मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई। फिर भी उमा-प्रहलाद दोनों नाराज बताए जाते हैं। उमा ने कहा कि पार्टी ने मेरी सलाह नहीं मानी और भाई जालम पटेल को मंत्री न बनाने से प्रहलाद नाराज हैं। इसलिए सवाल है कि क्या नई कवायद से लोधी मतदाता भाजपा के पाले में आ जाएगा? बुंदेलखंड में ही पिछले चुनाव में सागर जिले की बंडा, दमोह, छतरपुर जिले की मलेहरा सीटें कांग्रेस के लोधी प्रत्याशियों ने जीत ली थीं। यह भाजपा के लिए खतरे का संकेत था। चंबल- ग्वालियर अंचल में भी लोधी मतदाताओं ने भाजपा का साथ नहीं दिया था, इसकी वजह से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ। इस बार समाज के रुख पर सभी की नजर है।
क्या फिर फिरेगा मानक की उम्मीदों पर पानी….?
– पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के भाई पूर्व विधायक गिरिजा शंकर शर्मा के भाजपा से इस्तीफा देने के बाद दो तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं। पहला, क्या होशंगाबाद-इटारसी में ‘भाई का भाई से’ मुकाबला होगा? और दूसरा, क्या इस बार भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल की उम्मीदों पर पानी फिरेगा? गिरिजा शंकर के इस्तीफे के साथ उनके बयान से साफ है कि वे कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो कांग्रेस उन्हें सीताशरण शर्मा के मुकाबले मैदान में उतार सकती है। तो मानक फिर रह जाएंगे। वे लंबे समय से होशंगाबाद- इटारसी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 2018 में भी उनका नाम लगभग फायनल हो रहा था। अचानक भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह को कांग्रेस में लाकर टिकट दे दिया गया। सरताज सिंह चुनाव हार गए। हालांकि अब वे वापस भाजपा में हैं। सरताज को कांग्रेस में लाकर टिकट दिलाने का काम ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था, अब वे भी कांग्रेस में नहीं हैं। मानक इस बार फिर उम्मीद में थे लेकिन गिरिजा शंकर के इस्तीफे से उनका टिकट फिर संकट में पड़ता नजर आ रहा है। इससे पहले वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के साथ पटरी न बैठ पाने के कारण उनका टिकट कटता रहा है। हालांकि खबर है कि मानक ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है।