अपनी भाषा अपना विज्ञान: चेतना का न्यूरो विज्ञान

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अपनी भाषा अपना विज्ञान: चेतना का न्यूरो विज्ञान

 

इतिहास साक्षी है कि एक के बाद एक चमत्कारों का पर्दाफाश विज्ञान ने किया है। तमाम Mythology, अब इतिहास और मनोरंजक कहानियों के रूप में रह गए हैं।

  • दिन और रात कैसे होते हैं?
  • मौसम परिवर्तन कैसे होता है?
  • भूकंप, ज्वालामुखी, सुनामी, आंधी, तूफान क्यों आते हैं?
  • सौरमंडल, धरती गृह आदि कैसे बने? कौन किसकी परिक्रमा करता है?
  • चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण क्यों पड़ते हैं?
  • चंद्रमा की कलाएं कैसे बनती है?
  • बिजली क्या होती है? उसे मनुष्य के उपयोग में कैसे ला सकते हैं?
  • जीवन क्या है? प्राणियों और पौधों की हजारों लाखों स्पीशीज कैसे बनी?
  • शरीर के तमाम अंग कैसे काम करते हैं?
  • बीमारियां क्यों होती है? उन्हें कैसे ठीक कर सकते हैं और कैसे रोक सकते हैं?

यह सूची अंतहीन है। लेकिन विज्ञान का काम कभी समाप्त नहीं होता। विज्ञान के सम्मुख हजारों Fronts, हजारों मोर्चे खुले रहते हैं, जहां उसका काम जारी रहता है। मोटे तौर पर दो प्रमुख, अंतिम Frontiers है जो विज्ञान द्वारा जीते जाने बाकी हैं। ऐसा लगता है कि हम गुत्थियों के सुलझने के करीब पहुंच चुके हैं।

  1. ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे और क्यों हुई?
  2. मानव चेतना की वैज्ञानिक व्याख्या जो कि आज की चर्चा का विषय है

चेतना या Consciousness का अध्ययन चिंतन वैज्ञानिकों के अलावा कुछ और लोग भी करते हैं जैसे कि

  1. Psychologist फ्रायड जैसे मनौवैज्ञानिकों की भाषा में वर्णित Id, ego, superigo आदि धारणाएं आजकल नहीं मानी जाती है।
  2. Theologist धर्म शास्त्री
  3. Philosophers दर्शन शास्त्री

चेतना,  Consciousness, होश इन शब्दों को सुनकर, मन मे और कौन-कौन से शब्द आते हैं? क्या विचार आते हैं? कैसी कल्पनाएं पैदा होती हैं?

[चेतन और अवचेतन]

[Conscious – Subconscious ]

[अचेतन Unconscious] [ Coma बेहोशी]

[जागरूक, सजक] [Awake, Alert ]

[Oriented बोथ युक्त] [ Disoriented बोधहीन]

[स्वयं की अनुभूति ][ A sense of Self]

[ ‘खुदी का एहसास’, ‘बेखुदी का नशा’]

गद्य, पद्य, Prose, Poetry, शेरो-शायरी में उपरोक्त शब्दों का बहुत उपयोग होता है। आध्यात्मिकता (Spirituality), रूहानी दुनिया में चेतन की चर्चा अलग-अलग अर्थों में होती है। कहते हैं “कण कण में भगवान”। पूरी प्रकृति की चेतना होती है। Cosmic consciousness। यह हमारा आज का विषय नहीं है। हालांकि अंत में मैं इसका संक्षिप्त उल्लेख करूंगा।


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एक न्यूरोलॉजिस्ट और बायोलॉजी के विद्यार्थी के रूप में मेरा सरोकार है –  मस्तिष्क और उसे धारण करने वाले शरीर से। मेरा दायरा नितांत भौतिक है। Physicalist है।  Materialistic है। Transcendental (इंद्रियातीत, अनुभवातीत) नामक शब्द से मेरा कम नाता है।

मेरी बातें Gross level लेवल की है। रुढ धरातल की है।

मै Supernatural को नहीं मानता। प्रकृति या नेचर के नियमों से परे किसी सत्ता या शक्ति में मैं विश्वास नहीं करता। चमत्कार नहीं मानता।

में अद्वैत मानता हूं। द्वैत नहीं मानता।

I believe in Monism. Not in Dualism.

अर्थात मानव काया और उसमें स्थापित मस्तिष्क के अंदर और उसी के द्वारा हमें चेतना को समझना है, उसकी व्याख्या करनी है।

शुरुआत तो ऐसे ही कर रहा हूं। देखते हैं,  बातें करते-करते मै कुछ जमीन छोड़ता हूं या नहीं।

हम अनेक प्रश्न उठाएंगे और उनके उत्तर ढूंढने की कोशिश करेंगे।

Q1. चेतना की परिभाषा क्या है?

Q2. चेतना के स्वरूप, चेतना के स्तर(Level of Consciousness), और चेतना की सामग्री(Content of Consciousness) क्या है?

Q3. मस्तिष्क में चेतना की Anatomy और  Physiology कहां है?

Q4. उक्त Anatomy  और   Physiology का अध्ययन /शोध करने की विधियां क्या है?

Q5. डार्विनियन विकास की गाथा में चेतना का आविर्भाव कब हुआ, किन प्राणियों में हुआ, कैसे हुआ? क्यों हुआ?
Q6. डार्विनियन विकास की दृष्टि से Does Consciousness confer any survival benefit

Q7. गर्भस्थ शिशु में चेतना कब आती है?

Q8.  सचेतन अनुभूति के नीचे ढेर सारा अवचेतन मन Subconscious Mind, कैसे एक आइसबर्ग के रूप में आधार प्रदान करता है?

Q9. Emotions,  भावना का चेतना में क्या योगदान है

Q10. मन क्या है?  What is Mind?
मन कैसे काम करता है? मन की न्यूरोलॉजी क्या है?

Q11. चेतना को महसूस करने वाला, संधारित करने वाला, उसके माध्यम से Free will (स्वतंत्र इच्छा) धारण करने वाला, कर्ता रूपी “स्व” [“Self”] [“खुद”] कौन है? ब्रेन में कहां रहता है? या वहां नहीं रहता है, शायद बाहर कहीं रहता है?

Q12. क्या ‘आत्मा’ नामक कोई चीज होती है जो जीवन, शरीर, मस्तिष्क और मन से भी परे होती है

Q.13 अनेक लोग मानते हैं की आध्यात्मिकता द्वारा ध्यान, साधना, योग, हठयोग, भक्ति, Meditation, Inner Engineering, तांत्रिक विधिया, विपासना द्वारा हमें अपने मन और चेतना को बेहतर और अनूठे तरीके से बुझ सकते हैं?
Q.14 मन मस्तिष्क पर असर डालने वाले पदार्थ शराब, गांजा, भांग, अफीम, LSD आदि से क्या कुछ जानने को मिलता है?

Q.15 फ्राइड के मनोविज्ञान में Conscious और Subconscious आदि धारणाओं को क्या आजकल माना जाता है?

Q.16 What are emergent Properties of Matter? Can consciousness & mind be conceived as emergent property & function of Brain?

क्या मन और चेतना, मस्तिष्क का एक प्रति उत्पन्न गुण और कार्य मात्र है?

Q.17 मस्तिष्क के रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों की चेतना, बुद्धि, स्मृति, स्वभाव, भाषा, व्यक्तित्व, विचार, emotions आदि में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करके हमें क्या समझ मिलती हैं?

न्यूरोलॉजी की दृष्टि से चेतना की परिभाषा है “जागृत और सजग अवस्था जिसमें व्यक्ति को अपने आसपास का और शरीर की आंतरिक स्थिति का एहसास रहता है और समस्त परिस्थितियों का सामना करने या उन पर प्रतिक्रिया देने में वह तत्पर व तैयार होता है।”

साइकोलॉजी व Cognitive Neuroscience (संज्ञानात्मक न्यूरो विज्ञान) के अनुसार चेतन अवस्था को तीन  Axis(अक्ष) पर वर्णित करते हैं –

  1. Level of Consciousness (चेतना का स्तर)
  • नींद में हमें होश नहीं होता लेकिन जगाया जा सकता है
  • Drowsiness (उनिनदापन) में जागे रहने के लिए प्रयत्न करना पड़ता है
  • Stupor (अर्ध बेहोशी) में आवाज या अन्य तरीके से क्षणिक जागृति आती है
  • Coma (कोमा) में जगाया नहीं जा सकता
  • Delirium (सन्निपात) में चेतना गड़बड़ रहती है, व्यक्ति बड़बड़ता है, भ्रमित रहता है, बोध की कमी होती है, Hallucination होते रहते हैं।
  • Vegetative State (जड़ अवस्था ) में व्यक्ति जागृत प्रतीत होता है, सोने और जागने का क्रम चलता है लेकिन होश नहीं होता
  • Brain Death (मस्तिष्क मृत्यु) यह  Coma  से भी परे की अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति सचमुच में मर चुका होता है, क्लीनिकल दृष्टि से और कानूनी दृष्टि से भी। हृदय की धड़कन जारी रह सकती है। मस्तिष्क को छोड़कर अन्य अंगों को रक्त संचार जारी रहता है।
  1. Content of Consciousness ( चेतना का कलेवर) व्यक्ति की आत्मकथात्मक स्मृति (Autobiographical Memory) उसकी चेतना का मुख्य कलेवर होता है – उसकी जिंदगी की पहचान, उसका परिवार, इतिहास, दुनिया का ज्ञान। उसका मन Mind जो भावनाएं (Emotions) महसूस करता है  मन जो बुद्धिमान है, सोचता है, निर्णय लेता है विचारधाराओं को अपनाता है, व्यक्तित्व गढ़ता  है, इंसान की पहचान बनाता है ।
  2. The Sense of Self (स्व का एहसास) वह कौन है अंदर जो जानता है कि यह मैं हूं –  जो इस काया और मस्तिष्क को धारण किए हुए हैं –  जो जानता है कि मैं चेतन हूं और मेरे मन का स्वामी हूं, जिसमें कर्ता भाव है (A sense of Agency), स्वतंत्र इच्छा शक्ति है(Free will),Intentionality अर्थात साभिप्रायिकता और सौद्देश्यता होती है। सेल्फ की न्यूरोलॉजी समझने को The Hard Problem of Consciousness कहते हैं बाकी सब The Easy Problems कहलाती है

फिलहाल हम यह मानकर चल रहे हैं कि पौधों, वृक्षों वनस्पतियों में चेतना नहीं होती हालांकि उनमें जीवन है। डार्विनियन विकास गाथा में प्राणियों में चेतना के चिन्ह पहली बार कब देखे गए? यूं तो एक कोशिकीय अमीबा भी छेड़े जाने पर अपने आप को सिकोड़ कर दूर हट जाता है, एक कॉकरोच को धमकाओ तो छिप जाता है, केंचुए को सुई चुभोओ तो अपने आप को घड़ी कर लेता है लेकिन इन्हें हम चेतन नहीं मानते। या कुछ वैज्ञानिक मानते भी हैं?

मछली, मेंढक और छिपकली के बारे में क्या कहा जाए?

इस स्तर तक के प्राणियों की समस्त हरकतें स्वतः मशीनवत, रिफ्लेक्स एक्शन(प्रतिवर्ती क्रिया) के रूप में होती है। “दिमाग नहीं लगाया जाता।”

कुछ नया नहीं सीखा जाता। सारा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जन्म से तैयार होकर आता है। जिसका कोडिंग जींस मे मौजूद डीएनए द्वारा किया जाता है।

पक्षियों में और स्तनधारी प्राणियों में चेतना का प्रादुर्भाव होता है। मस्तिष्क का रूप विकसित होने लगता है। अनुवांशिकता द्वारा जितना मिलता है, उससे थोड़ा सा अधिक जीवन में सीखा जाता है। लेकिन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अंतरित नहीं होता। सर्कस में प्रशिक्षित जानवरों की संतानों को फिर से ट्रेनिंग देना पड़ती है। एक जानवर अपना हुनर दूसरे को नहीं पढ़ा सकता। चिंपांजी जिन्हें हम बुद्धिमान मानते हैं उनके बारे में जेन गुडाल का कहना है – “वह अपने आपके कैदी हैं – They are trapped inside their body”

प्राईमेट्स और Apes में आरंभिक स्तर का माइंड होता है लेकिन सेल्फ या “स्व” की पहचान शायद नहीं होती। या कौन जाने होती भी हो ?मालूम करने का क्या तरीका?

मनुष्य और प्राणियों के मध्य जो खाई है, Gap है वह कितना सकरा/छोटा है या कितना बड़ा-चौड़ा है। कुछ लोग मानते हैं कि Gap कम है। एक निरन्तरता है। इंसान भी अंततः एक Ape है। दूसरे लोग कहते हैं – मनुष्य का दर्जा एकदम अलग है। वह खासमखास है। भगवान ने ऐसा बनाया है या अपने आप बना है, इस बहस में यहां नहीं पड़ेंगे। मानव का एक अपवाद होना दो कारणों  से हुआ  –

  1. चार पैरों के बजाय दो पैरों पर चलना। हाथ मुक्त हो गए। अनेक बारीक काम सुघड़ता से संभव हुए। औजार बनाना और उन्हें उपयोग करना सीखा । उंगली से किसी व्यक्ति या वस्तु को इंगित करने की मुद्रा ने This and That (यह और वह) का भेद करना सिखाया। जो आगे चलकर मैं और तुम और वह का आधार बना। सेल्फ या स्व की जमीन तैयार हुई।
  2. भाषा का उद्गम। मुंह से निकलने वाली ध्वनियों में इतनी वैरायटी पैदा हुई कि उनके क्रमिक संयोजन से हजारों शब्दों का जन्म हुआ। शब्द जो संकेत या चिन्ह बने किसी वस्तु, व्यक्ति या अनुभूति के।

भाषा के माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति मिली और वह लगातार समृद्ध होते चले गए। भाषा वाहन बनी ज्ञान और कौशल को एक इंसान से हजारों इंसानों तक साझा करने के लिए। चेतना का स्तर ऊंचा उठना गया।

क्या अभी भी ऊंचा उठ रहा है। क्या भविष्य में और ऊंचा उठ सकता है। मैं कहता हूं हां।

एनाटॉमी –  फिजियोलॉजी –  पैथोलॉजी

Evolution (बायोलॉजिकल विकास) की दृष्टि से मस्तिष्क का सबसे पुराना भाग है –  Brain Stem (मस्तिष्क स्तंभ)। यदि गोभी का फूल मस्तिष्क का गोलार्ध हो तो ब्रेन स्टेम उसका डंठल है। शेष शरीर और Brain को स्पाइनल कॉर्ड के माध्यम से जोड़ने वाला हाईवे है, पूल है। आवक और जावक के तंतु मार्ग है। देह से इंद्रिय जन्य जानकारियां प्राप्त होती है। मस्तिष्क से निकलने वाले आदेश नीचे की दिशा में संचारित किए जाते हैं।

आने वाले संदेश सीधे-सीधे हाई-कमांड  के पास नहीं पहुंचते। बीच में स्टेशन पड़ते हैं। ब्रेन स्टेम पहला पड़ाव है। इसके तीनों खंड है – Medulla Oblongata मेडुला ऑबलोगेटा (नीचे की तरफ), Pons पाँस ( बीच में), Midbrain मिड ब्रेन (ऊपर की तरफ)

मिडब्रेन के ऊपर हाइपोथैलेमस और थैलेमस होते हैं।

ब्रेन स्टेम के अग्रभाग में(Ventral,Anterior) तंतुओं के उभय मार्गी महापथ होते हैं। पश्च भाग में (Dorsal, Posterior) अनेक नाभिक होते हैं। न्यूक्लियस। न्यूरॉन कोशिकाओं के छोटे-छोटे पुंज या समूह।

जीवन के लिए अनिवार्य आधारभूत काम यहां से नियंत्रित होते हैं –  सांस लेना, हृदय को धड़कवाना, ब्लड प्रेशर को थामे रखना। हाइपोथैलेमस के साथ मिलकर ब्रेन स्टेम सोने जागने के चक्र का, शरीर के तापमान का और समस्त आंतरिक अंगों (फेफड़े, हृदय, आंतें, लीवर आदि) की मेटाबॉलिक (चयापचयी – रासायनिक) क्रियाओं का संचालन करता है। पांस के ऊपरी पश्च भाग में मिडब्रेन के पश्च भाग में तथा थैलेमस की मध्य रेखा के समीप न्यूरॉन कोशिकाओं के पुंज और भी छोटे तथा छितरे हुए होते हैं – Ascending Reticular Activating System उर्ध्वगामी जालीदार सक्रियात्मक प्रणाली। A.R.A.S.

A.R.A.S. चेतना की प्रथम सीढी है। जागृति और ध्यान का आधार है। Alertness and Attention. ARAS की न्यूरॉन कोशिकाएं पूरे शरीर से संवेदनाएं –  Sensory Information ग्रहण करती है – स्पाइनल कॉर्ड या मेरुरज्जु के माध्यम से। केवल सिर और चेहरा शेष रह जाता है। वहां की  सूचनाएं, पांचवें नंबर की क्रेनियल नाड़ी Trigeminal Nerve द्वारा पांस के मध्य भाग में प्रवेश करती है।

सूचनाओं संवेदनाएं ग्रहण करके ARAS  के न्यूरोपुंज उद्दीप्त होते हैं और ऊपर की दिशा में Relay संदेश भेजते हैं  – पूरी Cerebral Cortex को दोनों गोलार्धों के Grey Matter या भूरे पदार्थ को जागृत करते हैं। जब हमें नींद आने वाली होती है या बेहोशी और नींद वाली औषधियां का सेवन करते हैं तो ARAS की कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती है, उनका फायरिंग बंद हो जाता है, मस्तिष्क के गोलार्ध की लाइट डिम हो जाती है, हाइपोथैलेमस में नींद वाला तंत्र प्रभावशील हो जाता है।

यदि किसी रोग अवस्था में ऊपरी पांस, मीडब्रेन और थैलेमस का ARAS क्षतिग्रस्त हो जावे तो व्यक्ति Coma में चला जाता है। ब्रेन स्टेम का अग्रभाग में पैथोलॉजी होने से व्यक्ति कोमा में नहीं जाता, भले ही चारों हाथ पांव, गला, जीभ, जबड़ा और चेहरा लकवा ग्रस्त हो जाए। Locked-in-Syndrome तालाबंद अवस्था।

ऊपर से प्रतीत होता है कि व्यक्ति बेहोश है लेकिन अंदर से होश में रहता है। कृपया इस किताब को पढ़िएगा The Diving Bell and Butterfly  और मेरी इस कहानी को “अरे कोई सुनो में बेहोश नहीं हूं”।

https://neurogyan.com/main-behosh-nahi-hun

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निम्न स्तर के प्राणियों में केवल ब्रेन स्टेम विकसित होता है – उसके ऊपर के भाग अत्यंत अल्प विकसित रहते हैं। जैसे की अकशेरुकी प्राणी Invertebrates  मछलियां इन प्राणियों में सिर्फ Core-Consciousness रहती है। “मूल चेतना”।

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इस आलेख के दुसरे भाग में मै निम्न बिन्दुओं पर चर्चा करूँगा : –

  1. न्यूरोइमेजिंग के प्रति अति उत्साह और उसकी सीमाएं
  2. डार्विन के विकासवाद के प्रति अतिउत्साह और उसकी सीमाएं
  3. भौतिक व्याख्याओं के प्रति अति उत्साह और उसकी सीमाएं
  4. उपरोक्त स्वीकृतियों के बावजूद ईश्वर के आम लोकप्रिय स्वरूप वाली धारणा से इन्कार
  5. क्याI. युक्त मशीनों में मानव जैसी चेतना आ सकती है?
  6. क्या मनुष्य अपनी चेतना का उन्नयन कर सकता है

दिनांक दस सितम्बर 2023, रविवार, दोपहर 12 बजे, जाल आडिटोरियम में इसी विषय पर न्यूरोज्ञान व्याख्यान माला का प्रथम सत्र रखा गया है। तदुपरांत इस आलेख का दूसरा भाग यहाँ post किया जावेगा।

बाद में यह भाषण मय स्लाइड्स के यू-ट्युब पर उपलब्ध रहेगा।

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