जी -20 की सफलता से भारत और दुनिया की राजनीति पर होगा दूरगामी असर

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जी -20 की सफलता से भारत और दुनिया की राजनीति पर होगा दूरगामी असर

जी – 20 देशों के दिल्ली  शिखर सम्मेलन से दुनिया को विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और विकास के रास्ते खुल रहे हैं , वहीं भारत और इसकी राजनीति पर दूरगामी असर रहने वाला है | खासकर अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व में प्रतिष्ठा की छवि तथा आर्थिक विकास के लिए अनेक देशों से समझौते से सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को लाभ मिल सकता है | पाकिस्तान और चीन भी अब दुनिया के दबाव में रहेंगे और भारत विरोधी उनकी गतिविधियों पर अंकुश लग सकेगा | वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका लगातार बढ़ रही है और भारत-अमेरिका संबंध परिणामी रिश्तों में से एक हैं। अमेरिका , यूरोप , आसियान  , लातिन अमेरिका और अफ्रीका के देश भारत द्वारा विश्व में शांति , पर्यावरण संरक्षण , स्वास्थ्य रक्षा आदि मानव कल्याण के कार्यक्रमों के लिए सहमत हुए हैं |

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  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय कूटनीति की सबसे बड़ी उपलब्धी यह है कि जी – २० सम्मलेन  में  अमेरिका , यूरोप के साथ रुस और चीन को किसी भी देश द्वारा परमाणु हथियारों की धमकी न देने , किसी देश की सम्प्रभुता का अतिक्रमण न करने और आतंकवाद के कड़े विरोध का घोषणा पत्र जारी करवा दिया | इसके साथ ही यूक्रेन की युद्ध की स्थिति पर चिंता और शांति पर जोर दिया गया , लेकिन आक्रामक  रुस के नाम तक का जिक्र नहीं किया गया | यह मोदी जयशंकर की चतुर राजनयिक क्षमता का परिणाम है | इससे रुस यूक्रेन के बीच शांति प्रयासों में भी सहायता   मिल सकती है |  दूसरी तरफ भारत पश्चिम एशिया मध्य पूर्व , यूरोप , जर्मनी , इटली  और अमेरिका के बीच आर्थिक कॉरिडोर के  ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने की | इससे समुद्री , वायु और थल मार्गों से विश्व व्यापार का नया अध्याय प्रारम्भ शुरू हो सकेगा | यह चीन द्वारा पाकिस्तान , श्रीलंका , म्यांमार के रास्ते यूरोप की तरफ आर्थिक कॉरिडोर मार्ग  के प्रयास का करारा जवाब है |

प्रधान मंत्री नरेंद्र    मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वंचितों, समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों की सेवा करने के उनके मिशन का अनुकरण करना महत्वपूर्ण है | उन्होंने प्रगति के मानव केंद्रित तरीके पर भारत के जोर को भी रेखांकित किया | श्री  मोदी ने कहा, ‘‘हम सतत भविष्य के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), हरित विकास समझौते की प्रगति में तेजी लाना चाहते हैं और 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करना चाहते हैं. हम तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे भविष्य के क्षेत्रों को अत्यधिक प्राथमिकता देते हैं. हम लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण और विश्व शांति सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे |जहां भारत को इस विभाजित दुनिया में अग्रणी भूमिका निभाना है, जिसकी लंबे समय तक छाप छोड़ना भी एक मूलभूत उद्देश्य है. साथ ही विकासशील देशों के सरोकारों को आगे बढ़ाना और उनके मुद्दों को प्राथमिकता से रखना भी भारत की जिम्मेदारी है | ‘

 

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने  तो इस यात्रा के दौरान    अपने हिंदू होने पर गर्व होने का भी जिक्र किया और यह भी कहा कि वह चरमपंथ को बर्दाश्त नहीं करेंगे | जी-20 पर भारत की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन विषय है. जब आप ‘एक परिवार’ कहते हैं तो मैं उस अविश्वसनीय जीवंत पुल का उदाहरण हूं, जिसका वर्णन प्रधानमंत्री मोदी ने यूके और भारत के बीच किया है- यूके में मेरे जैसे लगभग 20 लाख  भारतीय मूल के हैं. इसलिए, ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में उस देश में रहना मेरे लिए बहुत खास है जहां से मेरा परिवार है |” उनका यह सन्देश भारत के विपक्षी दलों के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश है |

 ऋषि सुनक ने कहा, “जी-20 भारत के लिए एक बड़ी सफलता रही है. भारत इसकी मेजबानी के लिए सही समय पर सही देश है |  प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा, “मोदी जी और मैं दोनों हमारे दोनों देशों के बीच एक व्यापक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौते को पूरा होते देखना चाहते हैं… व्यापार सौदों में हमेशा समय लगता है, उन्हें दोनों देशों के लिए काम करने की आवश्यकता होती है. हालांकि, हमने काफी प्रगति की है, लेकिन अभी भी कड़ी मेहनत बाकी है.”

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खालिस्तान मुद्दे पर ऋषि सुनक ने यह विश्वास दिलाया कि मैं,  इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा |यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण प्रश्न है और मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यूके में किसी भी प्रकार का उग्रवाद या हिंसा स्वीकार्य नहीं है. इसीलिए हम विशेष रूप से  खालिस्तान समर्थक उग्रवाद से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं |उन्होंने कहा, ”हमारे सुरक्षा मंत्री हाल ही में भारत में अपने समकक्षों से बात कर रहे थे. हमारे पास खुफिया जानकारी और जानकारी साझा करने के लिए एक साथ कार्य करने वाले समूह हैं, जिससे हम इस तरह के हिंसक उग्रवाद को जड़ से खत्म कर सकें. यह सही नहीं है और मैं इसे यूके में बर्दाश्त नहीं करूंगा |” यह सन्देश कनाडा और अमेरिका में भी सक्रिय  आतंकी खालिस्तानी तत्वों पर अंकुश लगाने का सन्देश भी है |

क्षेत्रीय- वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया का अगुआ देश भारत ही है \ इस वजह से दक्षिण एशिया के बाकी देशों के हितों को (जो जी20 का हिस्सा नहीं है) आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी भारत की ही है |  पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है | सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भी भारत की जरूरत है| ऐसे में दुनिया भर में भारत की बढ़ती हैसियत की घरेलू माहौल में पुष्टि करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है | भारत अपनी पूरी ताकत के साथ दुनिया के प्रमुख 20 देशों का नेतृत्व कर रहा है | भारत से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर चर्चा का नेतृत्व करने की जो उम्मीद विश्व ने रखी , भारत उस पर खरा उतरा है  |  इस साल जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत के कई राज्य जैसे- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में भारी तबाही मची है. इसमें जान-माल का काफी नुकसान हुआ है | भारत के अलावा कई और देश भी जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है | भारत का ध्यान विकासशील देशों को उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए विकसित देशों की आवश्यकता पर केंद्रित करने पर है |

भारत दुनिया के लिए एक देश के साथ  एक बड़ा  बाजार है, जहां अपनी दुकान लगाने के लिए बाकी देशों में होड़ मची हुई है. इसी का नतीजा है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है |  भारत ने विकास को बढ़ावा देने के लिए हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों की एक श्रृंखला लागू की है | दुनिया के सभी देशों को इसका फायदा मिल सके इसके लिए भारत वित्तीय विनियमन के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक समन्वय के लिए जोर दे रहा है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उपायों की मांग को मजबूत कर रहा है |दुनिया की आधी आबादी के पास डिजिटल सुविधाएं नहीं हैं और भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी है | सम्मेलन में भारत से टेक्नोलॉजी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग पर जोर  दिया गया है | भारत जन धन-आधार-मोबाइल  के जरिए अपने समावेशी डिजिटल क्रांति की विशेषता का लाभ भी दूसरों को दे सकता है | यूपीआई पेमेंट सिस्टम इसका एक बेहतरीन उदाहरण है | इससे अमेरिका यूरोप के नेता और अन्य अधिकारी भी चकित हुए हैं |

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भारत को आजाद हुए 76 साल हो चुके हैं. इस दौरान देश ने कई उपलब्धियां हासिल की है | हम आज कई क्षेत्रों में टॉप-5 में हैं, कई में टॉप-3 तो कुछ जगहों पर टॉप पर हैं.  इसके बावजूद भारत को विकासशील देशों में गिना जाता है. इसलिए जी20 एक ऐसा फोरम है  जहां भारत अपनी श्रेष्ठता को और बेहतर ढंग से बता सका है |प्रधान मंत्री नरेंद्र  मोदी का भी लक्ष्य है कि जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा |  दुनिया को बताने की जरूरत है कि भारत दुनिया का वैश्विक नेता बनने के लिए पूरी तरह तैयार है | भारत ने समय-समय पर दिखाया है कि विकसित देश उन्नत संसाधनों के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते, जो भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ कर लेता है | चाहे मंगलयान हो या कोविड जैसी महामारी में 140 करोड़ देशवासियों की रक्षा करना या फिर चंद्रयान-3  हर मामले में भारत औरो  से बेहतर है | दुनिया के अन्य  देश भी अगर भारत के साथ मिलकर काम करेंगे तो मानव समाज की उन्नति और पृथ्वी संरक्षण के प्रयास में तेजी लाई जा सकती है |

    जी20 में 19 देश- भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल रहे | अब भारत के प्रयासों और नेतृत्व से अफ़्रीकी यूनियन को जी – 20 का सदस्य बना लिया गया | यह ऐतिहासिक निर्णय भारत की ताकत बढ़ाएगा | हर साल अध्यक्ष देश कुछ देशों और संगठनों को मेहमान के तौर पर भी आमंत्रित करता है |इस बार भारत ने बांग्लादेश, मिस्र , मॉरीशिस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मेहमान के तौर पर बुलाया | वहीं नियमित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठनों (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठों के अलावा जी20 के अध्यक्ष के रूप में भारत की ओर से आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया गया \ दुनिया  भर के आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार-विरोध और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई | भारत ने सहमति बनवाई |

भारत में G20 से का सफल आयोजन हुआ  और एक भी घोटाले की खबर सामने नहीं आई है। भारत ने  पर्यटन को भी खूब बढ़ावा दिया  | इन देशों के संस्कृति मंत्रियों की अलग से बैठक हुई। टूरिज्म वर्किंग ग्रुप्स से लेकर फाइनेंस वर्किंग ग्रुप्स तक की बैठकें हुईं।  भारत का सबसे हाईटेक कन्वेंशन सेंटर बना कर दिल्ली में तैयार किया गया 123 एकड़ में, लेकिन कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। न सिर्फ इसमें कर्नाटक के भगवान बसवेश्वर से प्रेरित होकर इसका नाम ‘भारत मंडपम’ रखा गया, नटराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई जो तमिलनाडु के चिदंबरम मंदिर के प्रमुख देवता हैं। 2700 करोड़ रुपए में बने इस परिसर के निर्माण में कहीं कोई घपले को लेकर आरोप तक नहीं लगे। प्रधान मंत्री  मोदी ने मजदूरों को सम्मानित किया सो अलग, यहाँ मजदूरों को समस्या वाली कोई बात भी सामने नहीं आई।बड़ी बात ये है कि जिस कॉमनवेल्थ गेम्स में देश की छवि बिगड़ी थी, आज उसी कॉमनवेल्थ की सेक्रेटरी पैट्रिका स्कॉटलैंड G20 समिट के समय भारत की तारीफ की । उनका कहना है कि इससे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। यही नहीं, उन्होंने ISRO के ‘चंद्रयान 3’ और ‘आदित्य एल1’ मिशन की भी प्रशंसा की। साथ ही डिजिटल क्रांति को लेकर भी भारत की वो कायल हैं। उन्होंने कहा कि भारत अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रहा है।

किसी भी देश को जब किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी मिलती है तो उसके बाद मौका होता है अपनी ताकत दिखाने का, अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का और अपने यहाँ चल रही जन-कल्याणकारी योजनाओं से दुनिया को सीख देने का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  भारत की G20 अध्यक्षता का इस्तेमाल ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ को बढ़ावा देने के लिए किया । भारत ने ग्रीन डेवलपमेंट से लेकर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को अपनी G20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में गिनाया ।भारत अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों की गैर जरूरी नाराजगी की कोई परवाह नहीं करता। देश की एकता, अखंड़ता और इसकी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारत न तो दबता है, न झुकता है। अपने रास्ते पर चलता रहता है। उन्होंने इसी प्रतिबद्धता के साथ जी-20 का नारा वसुधैव कुटुम्बकम् पर भी अपना पक्ष रखा।

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।