व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयामों पर हुई व्याख्यानमाला

व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयामों पर हुई व्याख्यानमाला

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Mandsaur News – आत्मविश्वास ही सफलता की बुनियाद है – डॉ सोहोनी

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । जिले के लीड कॉलेज राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर में अंग्रेजी विभाग द्वारा शुक्रवार को संस्था प्रमुख एवं प्रिंसिपल डॉ.एलएन शर्मा के मार्गदर्शन में ‘व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयाम’ विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित हुई ।

प्रख्यात लेखक एवं साहित्यकार राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक डॉ रविंद्र कुमार सोहोनी का व्याख्यान हुआ ।
अंग्रेजी संकाय विभागाध्यक्ष डॉ वीणा सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया जिसमें उन्होंने हमारी जीवन शैली में व्यक्तित्व निर्माण हेतु की जाने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया की यदि उत्तम वक्त हमारे समक्ष हो तो रोम रोम को कान बनाकर ज्ञान ग्रहण करना चाहिए। डॉ सिंह ने अतिथि स्वागत किया और छात्रों को प्रेरित किया ।

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मुख्य वक्ता डॉ रविन्द्र कुमार सोहोनी द्वारा अपने वक्तव्य के माध्यम से विद्यार्थियों को विस्तृत रूप से जीवन के विभिन्न आयामों एवं व्यक्तित्व के चहूँमुखी विकास की संभावनाओं के बारे में बताया।
डॉ सोहोनी ने कहा युवाओं को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते हुए आगे बढ़ना चाहिए तभी कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जासकता है ।
अपने वक्तव्य में उन्होंने संस्कृत श्लोक

” नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः,विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता “

का उल्लेख कर विद्यार्थियों को समझाया कि जिस प्रकार जंगल में पशु शेर का संस्कार करके या उस पर पवित्र जल का छिडकाव करके उसे राजा घोषित नहीं करते बल्कि शेर अपनी क्षमताओं और योग्यता के बल पर खुद ही राजत्व स्वीकार करता है। ठीक उसी प्रकार अगर हमें अपने अंतस से अपनी क्षमता पर यकीन हो जाए तो कोई भी लक्ष्य आसानी से पाया जा सकता हैं।

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डॉ सोहोनी ने इसका उन्होंने पिछले वर्ष हुए फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल का उदाहरण देते हुए बताया किस प्रकार एक नया देश सऊदीअरब ने लियोनेल मेसी जैसे हर बार की विजेता टीम को हराया था।
जिसने यह सिद्ध किया कि आत्मविश्वास भीतर की ऐसी शक्ति होती है जो अपार ऊर्जा के प्रवाह से हमें अपनी क्षमता को पहचानने और अपने मुकाम तक जाने के लिए सम्बल प्रदान करती हैं। वहीं उन्होंने कहा कि इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास करते रहने से व्यक्ति एक दिन सफलता प्राप्त कर लेता है। क्योंकि सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता , हर व्यक्ति के लिए जीवन में सफलता का अलग-अलग मंत्र है। जीवन में हर कठिनाई व परीक्षा को चुनौती के रूप में स्वीकार करना व पूरे मनोभाव दृढ़इच्छा शक्ति से किसी कार्य को करना व्यक्ति को उसकी सफलता की मंजिल तक पहुंचा सकता है।

इस संदर्भ में आपने पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि आप अपने को जैसा सोचेंगे, आप वैसे ही बन जाएंगे। यदि आप स्वयं को कमजोर मानते हैं तो आप कमजोर ही होंगे। और यदि आप स्वयं को मजबूत सोचते हैं तो आप मजबूत हो जाएंगे।

डॉ सोहोनी ने कहा हम लोग अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जब कोई रोल मॉडल चुनते हैं, तो हमे उनके गुणों से प्रेरणा लेनी चाहिए। जिससे हम आगे चलकर उनकी तरह एक सफल व्यक्ति बन सके। हम सभी के जीवन में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति होता है जो हमें बहुत प्रेरित करता है, यह हमारे माता-पिता, शिक्षक, दोस्त या कोई भी हो सकता है। कभी-कभी वे हमारे जीवन में बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें अपने जीवन में बहुत अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें एक सफल व्यक्ति बनने के लिए एक महान इंसान को आदर्श रखना जरूरी है । जिससे हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहे लेकिन सिर्फ उनकी प्रेरणा जरूरी नहीं बल्कि उस महान व्यक्ति की तरह आत्मविश्वास से अपनी सफलता के लिए मेहनत करना भी जरूरी है।

डॉ सोहोनी ने बताया कि सनातन धर्म में चार पुरुषार्थ स्वीकार किए गए हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष। सनातन धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्देश्य से है। त्याग भाव से पदार्थ का भोग करना चाहिए। जिस तरीके से सदियों से हमारे घरों में प्रथम रोटी गाय और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए रखी जाती है। इस तरह से हमारे जीवन में इन चारों पुरुषार्थों के महत्व को समझ कर हम अपना जीवन सरल, नियमित और अनुशासनात्मक बना सकते हैं। इस तरह हमें ऋग्वेद के इन चारों गुणों का भी पालन करना चाहिए।

आपने कहा “आई कांट डू इट “को “आई केन डू इट ” में अपनी मेहनत और खुद पर विश्वास के बल पर उसे बदला जा सकता है। रतन टाटा, नारायण मूर्ति जैसे उदाहरण हैं कि पैसा बनाना और पैसा कमाना दोनों में अंतर होता है।

उन्होंने यह भी कहा जिस तरह से एक तितली ककून से बाहर निकलती है और पूरी तितली बनने तक उसका खुद का संघर्ष होता है, उसी तरह व्यक्ति को भी अपने हिस्से का संघर्ष खुद करना चाहिए।
इसी के साथ स्वस्थ जीवन शैली अपनाये एवं अपनी इम्यूनिटी बढ़ाएं। भय से ज्यादा हमारे मस्तिष्क में जिज्ञासाएं होनी चाहिए। जीवन के हर पल को बेहतरीन बनाना एवं हर क्षण को जीना सीखें।

हर कार्य को पूरे मन,पूरी शिद्दत के साथ करें। अपने सोचने समझने की तार्किक क्षमता को विकसित कर जीवन में काम आने वाले मोतियों को इकट्ठा करिए। परिवार, धन, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, हमारा सामाजिक दायरा, गतिविधियां और हमारी आध्यात्मिकता हमारी सफलता में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

कार्यक्रम का संचालन प्रो.आभा मेघवाल ने किया एवं कार्यक्रम में प्रो.संतोष कुमार शर्मा, प्रो. दीप्ति शक्तावत, एवम बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।