राज-काज: बीजेपी में इन्होंने घोषित कर दिया खुद को भावी मुख्यमंत्री….!

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राज-काज: बीजेपी में इन्होंने घोषित कर दिया खुद को भावी मुख्यमंत्री….!

– भाजपा नेतृत्व ने तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों के साथ एक पार्टी महासचिव को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है लेकिन इनमें एक ही ऐसे हैं जिन्होंने खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया। बात इतनी ही होती तो ठीक है, इन महोदय ने अपने कार्यालय का उद्घाटन किया तो बैनर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फोटो ही हटा दिया। उनके स्थान पर अपना फोटो लगवाया।

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कुलांचे भर रहे ये नेता हैं केंद्रीय मंत्री और प्रदेश में भाजपा के आदिवासी चेहरा फग्गन सिंह कुलस्ते। चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन के समय उनके समर्थक कुलस्ते को मुख्यमंत्री बताते हुए नारे भी लगा रहे हैं। भरोसा नहीं होता, लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा में बड़े स्तर पर आदिवासी मुख्यमंत्री को लेकर कोई चर्चा हुई हो या कुलस्ते को कोई संकेत दिया गया हो और वे फार्म में आ गए हों। नेतृत्व की आदिवासी क्षेत्रों की ज्यादा सीटें जीतने के लिए यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। बावजूद इसके बैनर से मुख्यमंत्री का फोटो ही हटा दिया जाए, यह समझ से परे है। हालांकि कुलस्ते की इच्छा लंबे समय से पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष अथवा मुख्यमंत्री बनने की रही है। इसे लेकर कई बार वे बगावती तेवर अख्तियार कर चुके हैं। उनकी मुख्यमंत्री चौहान के साथ पटरी भी नहीं बैठती।

 

 क्या इसलिए सीट बदलना चाहते हैं राजेंद्र शुक्ल…. 

– प्रदेश के एक ताकतवर मंत्री अपनी सीट बदलने के इच्छुक बताए जाते हैं। ये हैं हाल ही में मंत्री बने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास राजेंद्र शुक्ल। शुक्ल इस बार रीवा विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान के साथ संगठन के नेताओं से मिल कर कहा है कि उन्हें रीवा जिले की मऊगंज विधानसभा सीट से टिकट दिया जाए। उनकी मांग पूरी होगी या नहीं, नहीं मालूम लेकिन उन्होंने अचानक सीट बदलने का निर्णय क्यों लिया, इसे लेकर कई तरह की अटकलें हैं।

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शुक्ल रीवा से लगातार चार बार से जीत रहे हैं। हर बार उनकी जीत का अंतर अच्छा खासा रहा है। 2018 में वे कांग्रेस के अभय मिश्रा को 18 हजार से भी ज्यादा वोटों से हरा कर जीते थे। अभय भाजपा में वापसी कर चुके हैं। रीवा में उन्हें कोई चुनौती नहीं है। ऐसा तो नहीं कि वे भाजपा में आए अभय मिश्रा के लिए सीट खाली करना चाहते हैं। अभय की पत्नी नीलम मिश्रा 2013 में सेमरिया से विधायक रहीं हैं। वहां इस समय शुक्ल के खास केपी त्रिपाठी विधायक हैं। शुक्ल की कोशिश त्रिपाठी को सुरक्षित करने की है। शुक्ल मऊगंज चले जाएंगे तो अभय को रीवा से टिकट मिल सकेगा और सेमरिया में त्रिपाठी सुरक्षित हो जाएंगे। वर्ना भाजपा नीलम को सेमरिया से टिकट दे सकती है।

 

  प्रहलाद की विदाई, मलैया परिवार की पौ-बारह….

– केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद एक तीर से कई निशाने साधे गए हैं। प्रहलाद की दमोह से विदाई के कारण जयंत मलैया परिवार की पौ-बारह है। मलैया परिवार की प्रहलाद के साथ पटरी नहीं बैठ रही थी। प्रहलाद के प्रयास से राहुल लोधी भाजपा में आए थे और उप चुनाव में मलैया परिवार की वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा था।

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राहुल की शिकायत पर भाजपा नेतृत्व ने जयंत के बेटे सिद्धार्थ मलैया के खिलाफ कार्रवाई की थी और जयंत को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मलैया भाजपा के प्रदेश में फाउंडर नेताओं में से एक हैं। लिहाजा, मलैया भारी पड़े और सिद्धार्थ की भाजपा में वापसी हो गई। इसके बाद से कई मुद्दों को लेकर प्रहलाद-मलैया के बीच टकराहट चल रही थी। प्रहलाद के नरसिंहपुर जाने से मलैया परिवार का रास्ता साफ हो गया है। दूसरा, प्रहलाद के भाई विधायक जालम सिंह पटेल के बेटे की पत्नी ने प्रहलाद, जालम के साथ अपने पति के खिलाफ प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यह मामला भोपाल से लेकर दिल्ली तक गूंजा था। इस मामले के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज थे। इसलिए उन्होंने जालम की सीट से उनके ही बड़े भाई प्रहलाद को विधानसभा चुनाव लड़ा दिया।

 

 बुंदेलखंड में कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे मुन्ना राजा….!

– भाजपा और कांग्रेस के बीच ‘करो-मरो’ की तर्ज पर लड़े जा रहे विधानसभा चुनाव में शह- मात का खेल जारी है। बड़ी तादाद में भाजपा के नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं तो कांग्रेस के भी असंतुष्ट अपना नया ठौर ठिकाना तलाश रहे हैं। बुंदेलखंड अंचल के छतरपुर जिले में ऐसे ही कांग्रेस के एक दिग्गज हैं शंकर प्रताप सिंह ‘मुन्ना राजा’। मुन्ना राजा दो बार विधायक के साथ राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के 10 साल तक अध्यक्ष रहे हैं। जैसे ही उन्हें आभाष हुआ कि राजनगर सीट से उन्हें या उनके बेटे सिद्धार्थ शंकर बुंदेला को टिकट नहीं मिल रहा तो उन्होंने नए ठिकाने की तलाश शुरू कर दी। इसी के तहत उन्होंने प्रदेश के दौरे पर आए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से खजुराहो में मुलाकात की।

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खबर है कि सपा के साथ उनकी बात लगभग पक्की हो गई है। कांग्रेस ने यदि उनके या बेटे के नाम पर विचार न किया तो वे इस बार राजनगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। मुन्ना राजा का छतरपुर के साथ टीकमगढ़ और पन्ना जिले में भी अच्छा संपर्क है। इसलिए इस अंचल में वे कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं। खबर यहां तक है कि अखिलेश बुंदेलखंड के इन तीन जिलों में मुन्ना राजा की सिफारिश पर टिकट देकर सपा को मजबूत करने की तैयारी में हैं।

 

  ‘कटोरी के अंदर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा’….

– पुरानी कहावत है, ‘कटोरी के अंदर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा’। यह कहावत प्रदेश के कद्दावर मंत्री नेता गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक ने भी चरितार्थ कर दी। राजनीति में भार्गव की पहचान इसलिए भी है क्योंकि वे भेदभाव की राजनीति नहीं करते। संकट के समय अपने विरोधियों की भी मदद करते हैं। उनका बेटा दीपू अर्थात अभिषेक उनसे भी एक कदम आगे निकल गया।

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हुआ यह कि जब भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली से कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा निकली तो कांग्रेस के एक नेता गोविंद सिंह ठाकुर की एक्सीडेंट में मौत हो गई और दूसरा घायल होकर अस्पताल पहुंच गया। आप ताज्जुब करेंगे, घायल की खैर खबर लेने पहुंचने वाले पहले सख्श अभिषेक दीपू थे। उन्होंने अस्पताल में रुककर घायल के इलाज की पूरी व्यवस्था कराई। चर्चा क्षेत्र में आग की तरह फैली। लोग कहते नजर आए ‘कटोरी के अंदर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा’। गोपाल भार्गव भी ऐसे ही भाव और मदद के लिए जाने जाते हैं। भोपाल स्थित उनके बंगले में बीमार लोगों के ठहरने, खाने-पीने की पूरी व्यवस्था रहती है। कोई भी मुसीबत का मारा हो, उसकी मदद के लिए हर समय स्टाफ तैयार रहता है। यह नहीं देखा जाता कि पीड़ित किस दल या समाज का है। शायद इसीलिए भार्गव आज तक अपराजित हैं।

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