Netflix Movie Darlings: फुर्सत में देखी तीन फिल्में, डार्लिंग्स घरेलू हिंसा की दिलचस्प केस स्टडी है !
मैं यहाँ जिन तीन फिल्मों पर बात कर रही हूँ ,उस शृंखला में आज हम तीसरी फिल्म डार्लिंग्स पर बात करेंगे ,इन तीनों फिल्मों में पहली समानता है इनका निर्देशन तीन महिलाओं ने पहली बार किया है ,और तीनों ही फिल्मों में महिलाओं के किरदार जीवंत और अपेक्षाकृत सशक्त हैं । तीनों ही महिला निर्देशकों ने यह प्रमाणित किया है कि पुरुषप्रधान फिल्म इंडस्ट्री में भी महिलायें केवल प्रदर्शन की वस्तु नहीं बल्कि वे बहुत अच्छा काम कर रही है और कर सकती है ,आज हम जिस फिल्म की बात कर रहे है उसकी तो ना केवल डायरेक्टर बल्कि प्रोड्यूसर भी महिलायें ही है । फिल्म “डार्लिंग्स “ को आलिया भट्ट ने प्रोड्यूस किया है । बॉलीवुड स्टार आलिया भट्ट की फिल्म ‘डार्लिंग्स’ ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स{Netflix Movie Darlings} पर उपलब्ध है । इस फिल्म का निर्देशन जसमीत के रीन ने किया है.जसमीत के. रीन का डायरेक्शन अच्छा है. उन्होंने एक साधारण स्टोरी को अच्छे ट्रीटमेंट से उम्दा बना दिया है. वो छोटे-छोटे मोमेंट्स पैदा करती हैं,जो इतने सहज और संवेदना के चरम पर ले जाते है . आपके अंदर किरदारों की क्रूरता भर देते हैं,फिर उनके प्रति सहानुभूति जगाती हैं. फ़िल्म पितृसत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह छेड़ती है. पर बिना तमाशा दिखाए शांति से अपना विरोध दिखा देती है । बिच्छू और कछवे की कहानी का सुंदर प्रयोग किया गया है .
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह कोई नई कहानी नहीं है सदियों से भारतीय समाज में महिलाओं के साथ उत्पीड़न होता रहा है. फिल्म की कहानी मुंबई पर बेस्ड है. फिल्म में एक पुराना मुस्लिम बहुल इलाका दिखाया गया है, जहां एक प्रेमी और प्रेमिका शादी कर लेते हैं. लेकिन शादी से पहले लड़का रेलवे विभाग में टिकट कलेक्टर लग जाता है. फिल्म में दिखाया जाता है कि लड़का अपनी बीवी पर धौंस जमाता है. वह उसका उत्पीड़न करता है और उसकी बीवी चुपचाप सहती है. लड़का भी अपने ऑफिस में उत्पीड़न का शिकार है,और घर आकर पत्नी पर हिंसा करते हुए अपना आक्रोश निकालता है ।
Netflix MovieTribhanga :फुर्सत में देखी तीन फिल्में ,आज बात स्त्री के त्रिभंग की
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब लड़की अपने साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ खुद खड़ी होती है ,वह कहती है यह उसकी लड़ाई है. वह किसी कानून का सहारा नहीं लेती और खुद ही बदला लेती है. वहीं, लड़की की माँ की कहानी भी सामने आने लगती है ।
आलिया भट्ट ने बदरू के रोल में एक बार फिर साबित किया है कि वो सिर्फ़ स्टार नहीं हैं, बल्कि एक अच्छी अदाकारा भी हैं. उनका रोना, उनका चिल्लाना, उनका भोलापन सब रियल लगता है. शेफ़ाली शाह ने बदरू की मां के रोल में अभिनय नहीं किया है, बल्कि उस रोल को जिया है. किरदार की कुंठा, उसकी फ्रस्ट्रेशन वो उम्दा तरीके से सामने लाती हैं.दोनों अभिनेत्रियाँ अपनी आँखों से बोलती हैं, और कभी-कभी अपने उत्कृष्ट अभिनय और केमिस्ट्री से फिल्म के अनकहे दृश्यों की भरपाई करती हैं। रोशन मैथ्यू ने ज़ुल्फ़ी के रोल में बहुत कुछ करने की कोशिश नहीं करते,उनके रोल में संभावनयें थी , जो कि एक अच्छी बात है. विजय वर्मा की नायक होकर भी खलनायक की भूमिका ही इस फ़िल्म की जान हैं. हमज़ा की क्रूरता उन्होंने ख़ुद में आत्मसात की है. एक समय के बाद हमें उनसे नफ़रत हो जाती है.उन पर हो रहे अत्याचार भी उस नफरत को कम नहीं कर पाते , कलाकार के तौर पर ये उनकी सफलता है. राजेश शर्मा कसाई के छोटे से रोल में भी प्रभावित करते हैं.
फ़िल्म की सबसे अच्छी बात है कि ये महिलाओं को पीड़ित दिखाने के लिए पूरी पुरुष जाति को हिंसक जानवर की तरह पेश नहीं करती. सिर्फ़ उन्हें ही विलेन बनाती हैं, जो स्त्रियों के लिए हिंसक हैं. माने ये पितृसत्ता के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करती है, पर पुरुषों के खिलाफ कोई भाव नहीं भरती , माने फ़िल्म में अति किसी चीज़ की नहीं है. इसे अच्छी या बुरी फ़िल्म कहना बेईमानी होगा डार्लिंग्स घरेलू हिंसा की दिलचस्प केस स्टडी है ।जैसे आपने बहुत पास से देखी है कोई घटना । बस आपके सामानेवाली खिड़की या सीढ़ियों के पास वाले किसी घर में ।
- Release Date5 August 2022
- LanguageHindi
- GenreComedy, Drama, Thriller
- Duration2h 14min
- Cast
Alia Bhatt, Shefali Shah, Vijay Varma, Roshan Mathew, Rajesh Sharma, Vijay Maurya, Kiran Karmarkar, Pooja Swaroop, Santosh Juvekar
- Director
Jasmeet K. Reen
- Writer
Parveez Sheikh, Jasmeet K. Reen
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