Contractors Demand for Dues : निगम पर ठेकेदारों के एक हजार करोड़ बाकी, महापौर से मिले ठेकेदार!

हाल ही में एक निगम ठेकेदार ने 50 करोड़ बकाया न मिलने पर आत्महत्या कर ली!

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Contractors Demand for Dues : निगम पर ठेकेदारों के एक हजार करोड़ बाकी, महापौर से मिले ठेकेदार!

 

Indore : नगर निगम के ठेकेदार बकाया भुगतान की मांग को लेकर परेशान हैं। मंगलवार को ठेकेदारों ने महापौर से इस मुद्दे पर मुलाकात की। लेकिन, बताया गया कि कोई संतोषजनक हल नहीं निकला। ठेकेदारों का निगम पर करीब एक हजार करोड़ रूपया बाकी है। बकाया न मिलने से परेशान एक ठेकेदार ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली थी।

ठेकेदारों ने महापौर से मिलने के लिए समय लिया, पर बताया गया कि महापौर खुद पौन घंटा देरी से निगम कार्यालय पहुंचे। शाम 4 बजे से ही निगम मुख्यालय पहुंचे ठेकेदार काफी देर तक परेशान होते रहे। बताया जा रहा है कि महापौर और निगम ठेकेदारों में करीब डेढ़ घंटा चली मीटिंग बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।

जानकारी अनुसार ठेकेदारों का निगम पर एक हजार करोड़ रुपए के लगभग बकाया है। इतनी बड़ी धनराशि को प्राप्त करने के लिए ठेकेदार लगातार निगम के चक्कर लगा रहे हैं। हाल ही में करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के बकाया होने और निगम से भुगतान नहीं किए जाने पर एक ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया उर्फ पप्पू भाटिया ने आत्महत्या भी कर ली। इसके बाद मामला बहुत गर्मा गया है।

निगम ठेकेदारों ने निगम का कार्य रोक दिया है। इसके बाद निगम ठेकेदार अपना बकाया भुगतान प्राप्त करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव से मिलने के लिए पहुंचे थे। महापौर से करीब डेढ़ घंटे से अधिक तक चली मीटिंग बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। बताया जा रहा है कि महापौर ने निगम का खजाना खाली होने की बात कहते हुए ठेकेदारों को पेमेंट आने पर भुगतान करने का आश्वासन दिया है।

 

डेढ़ घंटे से ज्यादा देर चली मीटिंग

करीब 5 बजे शुरू हुई महापौर और ठेकेदारों की मीटिंग लंबी देर तक चलती रही। करीब डेढ़ घंटे से भी अधिक तक चली मीटिंग बिना किसी नतीजे के ही समाप्त हो गई। बताया जाता है कि महापौर ने यह कहा है कि फिलहाल निगम के खजाने में पेमेंट नहीं है और पेमेंट आने पर ही ठेकेदारों को भुगतान किया जा सकेगा।

रॉयल्टी का भी मुद्दा उठाया

जानकारी अनुसार निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली खनिज संपदा मुरम आदि पर निगम द्वारा काटी जा रही रॉयल्टी को भी बंद करने के लिए ठेकेदारों ने महापौर के समक्ष मांग रखी है। बताया जा रहा है कि महापौर ने इस मुद्दे पर भी कोई स्पष्ट बात नहीं कही है। निगम ठेकेदारों का कहना है कि निर्माण कार्यों में मुरम आदि जो प्रयुक्त की जाती है, उस पर रॉयल्टी खनिज विभाग और खदान ठेकेदारों से ली जानी चाहिए निगम ठेकेदारों से नहीं।