फुल एक्शन में ‘मोहन’ और नए सिरे से कमर कसते ‘कमल!’

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फुल एक्शन में ‘मोहन’ और नए सिरे से कमर कसते ‘कमल!’

अब एक ओर जहां मौसम में शीतलहर का प्रकोप बढ़ता जायेगा वहीं दूसरी ओर राजनीति के मैदान में सियासत गर्म होकर उबाल मारती नजर आयेगी, क्योंकि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आयेंगे वैसे-वैसे राजनेताओं के बोल शोले बनते जायेंगे। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव पूरी तरह से एक्शन मोड में आकर अपनी सरकार का इकबाल बुलंद करने में भिड़ गये हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनावी हार से कार्यकर्ताओं और नेताओं में आई निराशा को दूर कर उन्हें चुनावी मैदान में पूरी ताकत से खड़े करने के लिए प्रदेशव्यापी दौरा करने वाले हैं। आत्मचिंतन-मनन और प्रदेश कांग्रेस संगठन में जहां जरुरी होगा वह फेरबदल कर सदन के अंदर भी सरकार को घेरने की पूरी तरह कोशिश कांग्रेस द्वारा की जाएगी।

हमारा संकल्प विकसित भारत और मोदी सरकार की गारंटी तथा एमपी के मन में मोदी की थीम पर विकसित भारत संकल्प यात्रा का उज्जैन से 16 दिसम्बर 2023 को मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में वर्चुअली प्रधानमंत्री मोदी ने आरंभ किया। यात्रा को उन्होंने पांच राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के लिए के लिए प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन प्रचार वाहनों द्वारा प्रधानमंत्री का आमजन को संदेश एवं विभिन्न योजनाओं पर आधारित फिल्मों का प्रदर्शन किया जायेगा। केंद्र व राज्य सरकार की जनहित योजनाओं का पात्र हितग्राहियों को शत-प्रतिशत लाभ मिले उसको करने का प्रयास भी किया जायेगा।

इस यात्रा के दौरान योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाना तथा मेरी कहानी मेरी जुबानी यानी लाभार्थियों के अनुभव से योजनाओं का प्रचार-प्रसार तथा शेष बचे हितग्राहियों को चिन्हित किया जायेगा। स्वास्थ्य कैंप, क्विज, सांस्कृतिक कार्यक्रम व ड्रोन प्रदर्शन जैसे जागरुकता कार्यक्रम भी चलाये जायेंगे तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की अनेक योजनाओं की भी जानकारी दी जायेगी।

मुख्यमंत्री यादव की सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा दी गई गारंटियों को सफलतापूर्वक जमीनी स्तर तक पहुंचाने की है। इसी मकसद से उन्होंने संकल्प-पत्र 2023 मंत्रालय में अफसरों को सौंप दिया है जिस पर अमल के लिए अफसरों ने कवायद भी शुरु का दी है और समय सीमा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है, इसलिए संकल्प-पत्र पर अमल का रोड-मैप एक सप्ताह में तैयार करने को कहा गया है।

संकल्प-पत्र को धरातल पर उतारने के प्रयासों की श्रृंखला में जहां सरकार किसानों से 3100 रुपये में धान तथा 2700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदेगी वहीं 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों को बिजली 100 रुपये में ही मिलेगी। इसके साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों को साधने का प्रयास भी किया जायेगा। पुलिस मुख्यालय में आला पुलिस अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री के तेवर काफी कड़े थे और उन्होंने दो-टूक लहजे में कहा कि खनन व शराब माफिया पर सख्त कार्रवाई की जाए। कार्रवाई ऐसी हो कि प्रदेश में कहीं से भी अवैध खनन और शराब तस्करी की कोई शिकायत ही न कर पाये। जिन जिलों में अपराध-दर अधिक है वहां विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाये तथा भविष्य की आवश्यकताओं का भी इसमें ध्यान रखा जाये।

मैदान में उतरेंगे कमलनाथ

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की अब क्या भूमिका होगी, इस तरह के कयास इन दिनों लगाये जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में यही सवाल उत्तर की तलाश में है कि क्या हारी हुई कांग्रेस में जान फूंकने के लिए वे कोई रणनीति बनायेंगे या 77 साल की उम्र में फिर से दिल्ली को अपना आशियाना बनायेंगे। जहां तक उनकी तात्कालिक प्रतिक्रिया का सवाल था उन्होंने कहा था कि वह मध्यप्रदेश में ही रहने वाले हैं और कहीं नहीं जाने वाले हैं। लेकिन वे दिल्ली में रहकर राजनीति करेंगे या मध्यप्रदेश में कमान संभाले रहेंगे यह बहुत कुछ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इच्छा पर निर्भर करेगा, जिसे फलीभूत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे। वैसे जहां तक कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति का सवाल है अभी फिलहाल कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का ऐसा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है जो कांग्रेस को नये सिरे से खड़ा कर सके। जो भी करना होगा वह इन दोनों को ही करना होगा। छिंदवाड़ा का अपना गढ़ यदि उन्हें बचाना है तो भाजपा के बुलंद हौसलों के सामने उन्हें स्वयं ही चुनावी मुकाबले में उतरना होगा और अपनी खाली की गयी विधानसभा सीट पर अपने बेटे नकुलनाथ को उतारकर उन्हें राज्य में राजनीति करने का मौका देना होगा, इसलिए हो सकता है कि वह लोकसभा चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाले रहें। शायद यही कारण है कि बिना देर किए छिंदवाड़ा में कमलनाथ काफी सक्रिय हो गये हैं। विधानसभा में कांग्रेस सरकार की किस ढंग से घेराबंदी करती है यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि पिछले तीन सालों में उसकी भूमिका केवल रस्म अदायगी की रही है। जहां तक कमलनाथ का सवाल है राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा का कहना है कि कमलनाथ खुद तय करें कि अब उन्हें क्या करना है, जहां तक नये चेहरे का सवाल है उनका मानना है कि नया चेहरा आने से नई ऊर्जा मिलती है। उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही युवाओं को दरकिनार कर यह चुनाव लड़ा तथा इसे सरकारी योजनाओं का चुनाव बना दिया जबकि चुनाव युवाओं पर केंद्रित होना चाहिये था।

आम आदमी पार्टी का मंथन

विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के साथ अपना कोई असर न छोड़ने वाली आम आदमी पार्टी में चिंतन-मनन का दौर जारी है। आप की प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल ने कार्यकर्ताओं की एक प्रकार से क्लास ही ले डाली तो वहीं कार्यकर्ताओं ने भी खरी-खरी बातें सामने रखीं। रानी अग्रवाल का कहना था कि परिणाम भले ही हमारे अनुरुप नहीं आये हों लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी है। जिन्हें पद मिला है उन्हें काम करना होगा और जो निष्क्रिय होंगे वहां बदलाव किया जायेगा, पद लेकर काम करना अनिवार्य होगा अन्यथा काम न करने वाले पदाधिकारी को बदल दिया जायेगा।

 

और यह भी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पहली केबिनेट के फैसलों से साफ संकेत दे दिया है कि वह कट्टर हिंदुत्व व सनातन की राह पर ही चलेंगे। इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि अगले लोकसभा चुनाव तक तो सनातन धर्म और उसका पालन एक प्रमुख मुद्दा रहेगा। उन्होंने शपथ ग्रहण के पहले भोपाल के खटलापुरा के हनुमान मंदिर मे जाकर पवनपुत्र का आशीर्वाद लिया और शपथ ग्रहण के बाद उज्जैन में भगवान महाकाल के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। उसके बाद उसी दिन अपने मंत्रिमंडल की बैठक में खुले में चल रही मांस व अंडे की दुकानों पर सख्ती करने तथा धार्मिक स्थलोे में तेज आवाज में बजने वाले लाउडस्पीकरों पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव पर मोहर लगा दी।

मोहन यादव ने जहां हनुमानजी का आशीर्वाद लिया तो वहीं कमलनाथ भी सबसे बड़े हनुमान भक्त हैं यह कांग्रेसी कहते रहे हैं। आने वाले कुछ माह तक कौन बड़ा एवं सच्चा हनुमान भक्त है इसको लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा होती रहेगी।