Mi-17 helicopter crash: यह हादसा सबसे बड़ा हत्यारा बन गया है
8 दिसंबर की यह तारीख देश के इतिहास में काली स्याही से लिखी जाएगी और यह दिन देश के लिए काले दिनों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है। एमआई-17 हैलीकॉप्टर का क्रैश होकर 13 जानों का लीलना भले ही महज हादसा हो लेकिन यह हादसा बहुत बड़ा हत्यारा बन गया है।
जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित सेना के काबिल अफसरों को मौत की नींद सुलाने वाला हादसा अब देश का सबसे बड़ा गुनहगार बन चुका है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत का यूं जाना निश्चित तौर पर आसानी से स्वीकार करने योग्य कतई नहीं है।
बहुत सारे सवाल सीने को चीरकर चीत्कार मचा रहे हैं। सेना का मामला होने के बावजूद भी इसे बहुत आसानी से दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
देश का एक हीरा देश की सेवा करते हुए ही जमीन से उठकर कहीं दूर आसमान में खो गया है और इस देश का दुर्भाग्य कि ऐसे हादसे को टाला नहीं जा सका।
अतिविशिष्ट हस्तियों में शामिल जनरल के जाने का दुःख वैसे तो हर दिल को दुःखी करने वाला है, लेकिन उनकी एमआई-17 की सवारी आज सबसे ज्यादा खल रही है।
चीन, पाक, म्यांमार सहित देश के दुश्मन राष्ट्रों के आंखों की किरकिरी रहे जनरल रावत की इस मौत में कहीं न कहीं लापरवाही की बू बहुत तेज आ रही है।
लापरवाही की लकीर भले ही किसी को छुए या बिना छुए निकल जाए, लेकिन वक्त लापरवाही भरे उन लम्हों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने देश के इस होनहार नायक को हमेशा-हमेशा के लिए हमसे दूर कर दिया है। यह काल भी कितना क्रूर हो सकता है, उसका सबसे भयावह गवाह यह हादसा है।
एक आम सोच वाले व्यक्ति के सीमित नजरिये से झांका जाए तो क्या दुनिया के बड़े लोकतंत्र और बड़ी सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के लिए एमआई-17 की यह सवारी उचित ठहराई जा सकती है?
सरकारी और उच्च स्तरीय जवाब इस हादसे को मानवीय भूल से रहित मान सकता है लेकिन एक सामान्य नजरिए से यह न्याय की कसौटी पर कोसों दूर तक खरा नहीं उतर रहा है।
गले के नीचे यह बात नहीं उतर पा रही है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ यानि थल सेना, जल सेना और वायु सेना का एकछत्र मुखिया क्या सरकारी आयोजन के लिए भी एक बेहद सुरक्षित सवारी का हकदार नहीं था?
जिस तरह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य अतिविशिष्ट की हर यात्रा सुरक्षा और संसाधनों की दृष्टि से पूरी तरह चाक-चौबंद होती है तो क्या चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की कोई भी यात्रा सुरक्षा के कड़े मापदंडों की अनिवार्यता की पात्रता नहीं रखती? बहुत सारे सवाल जेहन को छलनी कर रहे हैं।
न चाहते हुए भी यह शब्द आक्रोश के चलते हो सकता है कि अपनी हद पार कर रहे हों लेकिन सिर्फ मजबूर होकर अपना दर्द ही बयां कर खुद पर ही झल्ला रहे हैं।
अब महज यह खबर बनकर रह गई है कि तमिलनाडु में कुन्नूर के करीब सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया जिसमें कई लोगों की जान चली गई है। इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका भी शामिल हैं। पर यह देश की सबसे मनहूस खबर बन गई है। और यह हादसा देश के लिए सबसे मनहूस हादसा बन चुका है।
कुन्नूर में वायुसेना का दुर्घटनाग्रस्त हुआ यह हेलीकॉप्टर एमआई 17 वी 5 को काफी सुरक्षित समझा जाता है। इसके बावजूद विमान का क्रैश होना क्या चीख-चीखकर चिल्ला-चिल्लाकर यह गवाही नहीं दे रहा है कि यह झूठ है, झूठ है और केवल झूठ है।
इसी साल पिछले महीने ही 18 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश में यह हेलिकॉप्टर लैंडिंग करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था। इससे पहले एमआई-17 हेलिकॉप्टर केदारनाथ धाम में 23 सितंबर 2019 को हादसे का शिकार हो गया था।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में 27 फरवरी 2019 को एमआई-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। और इससे पहले केदारनाथ धाम में 03 अप्रैल 2018 को एम-आई-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था।
और अरुणाचल प्रदेश के तवांग के पास 06 मई 2017 को एमआई-17 हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सवाल यह है भी और नहीं भी कि इन दुर्घटनाओं में कितने लोग सुरक्षित बच गए या कितने लोग असमय काल के गाल में समा गए।
पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब समय-समय पर यह सबसे सुरक्षित विमान एमआई 17 दुर्घटनाग्रस्त होकर बार-बार यह गवाही दे रहा था कि
अब और ज्यादा भरोसा करना ठीक नहीं है और अंतिम बार 20 दिन पहले ही चीख-चीखकर बोला था कि सेना अब तुम आंख मूंद कर यह भरोसा करना बंद करो कि मैं यानि एमआई 17 सबसे ज्यादा सुरक्षित विमान हूं।
फिर सीडीएस रावत को इस विमान पर सवार कर खराब मौसम, घने जंगलों वाले क्षेत्र में ले जाना कितना सुरक्षित और सोचा समझा कदम माना जा सकता है?
क्या चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ की सुरक्षा में कहीं न कहीं लापरवाही हुई है और चूक हुई है…क्या यह हादसा खुद-ब-खुद यह गवाही नहीं दे रहा है?
16 मार्च 1958 को देहरादून में जन्मे सीडीएस बिपिन रावत के पिताजी एलएस रावत भी फौज में लेफ्टिनेंट जनरल थे। सीडीएस रावत सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र थे।
उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की और मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा लिया था। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें नियुक्त किया गया।
उन्हें यहां ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ से भी सम्मानित किया जा चुका था। जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव था।
वह 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफेंट्री बटालियन के प्रमुख की भूमिका निभा चुके थे।
इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इंफेंट्री डिवीजन की अगुआई भी की थी। वह कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी कर चुके थे।सीडीएस बिपिन रावत की अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को भी अंजाम दिया था।
उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर किया था।
तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। इसके अलावा 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त करते हुए कई आतंकियों को मार गिराया था।
उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी।
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस का नया पद बनाने का एलान किया था। और भारतीय सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद बिपिन रावत ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पदभार ग्रहण किया था।
जनरल रावत खुद आप भी सीडीएस के बतौर जिंदा होते, तब भी ऐसे हादसों की परवाह नहीं करते। क्योंकि जाबांज सैनिक के बतौर साहस और हौसला सबसे बड़ी पूंजी है। और एमआई 17 की सवारी करते वक्त भी तुम्हारे माथे पर सिकन नहीं होगी क्योंकि तुम शौर्य, साहस और वीरता में सिरमौर थे।
और इस हादसे में भी भले ही कोई चूक न हुई हो…लेकिन यह दिल तुम्हारे ऐसे हादसे में शहीद होने से बहुत बेचैन है। अगर सीमा पर रणक्षेत्र में मोर्चा संभाले तुम सीने पर गोली खाकर शहादत को चूमते, तो दिल को कोई शिकायत न होती।
लेकिन दिल अब ताउम्र दर्द के आगोश में रहकर सिर्फ इसलिए बिलखता रहेगा कि यह देश तुम जैसे राष्ट्रभक्त, राष्ट्र के गौरव और श्रेष्ठतम सेनानायक को सुरक्षित नहीं रख पाया और इस तरह खोने को मजबूर हो गया।
सैल्यूट...चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल बिपिन रावत। यह देश तुम्हें कभी अलविदा कहने की हिम्मत नहीं जुटा सकता। यह देश बार-बार तुम्हारा इसी धरा में जन्म हो, यही परमपिता परमात्मा से विनती करता रहेगा और बार-बार तुम्हारा स्वागत करने का गौरव पाने के लिए हर पल तैयार रहेगा।
फिर जल्दी लौटकर आना जनरल रावत … यह देश अपनी भूल सुधारेगा और फिर तुम्हें इस तरह कतई नहीं खोएगा…।