भजन लाल शर्मा सरकार ने एक महीने में क्या पाया-क्या खोया?

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भजन लाल शर्मा सरकार ने एक महीने में क्या पाया-क्या खोया?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट

राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार को बने सोमवार को पूरा एक महीना हो गया। इस एक महीने में भजन लाल शर्मा सरकार ने क्या पाया क्या खोया? इसका लेखा जोखा करने में दिनभर विभिन्न मीडिया समूह आकलन कर रहें हैं। भजन लाल ने पिछले 15 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य कई नेताओं की मौजूदगी में जयपुर के रामनिवास बाग के ऐतिहासिक एलबर्ट हाल के सामने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ दो उप मुख्यमंत्रियों दिया कुमारी और डा प्रेम चंद बैरवा ने भी शपथ ली थी। कालान्तर में उनके मंत्रिपरिषद का गठन भी हुआ और वर्तमान में 24 मंत्रियों की टीम काम कर रहीं है। एक मंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टी टी को राज्य मंत्री पद की शपथ लेने के दस दिनों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि वे विधायक का चुनाव हार गए।

 

राजस्थान में 3 दिसंबर को प्रदेश की जनता ने बीजेपी को 115 सीटें देकर प्रदेश में सत्ता की चाबी सौंपी थी। भाजपा को बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के लिए भजन लाल शर्मा का चुनाव जिस अप्रत्याशित ढंग से हुआ, राजनीतिक पंडितों के अनुसार उससे दो बार की मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान अवश्य लगे हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के फैसलों पर कोई सवाल नही उठा सकता।

 

हालांकि स्पष्ट बहुमत के बावजूद राजस्थान के सीएम के नाम की घोषणा करने में एक सप्ताह का समय लगा,लेकिन भजन लाल शर्मा को शपथ दिलाकर शीर्ष नेतृत्व द्वारा मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी यह संदेश देने की कोशिश की गई कि एक साधारण कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री पद सौंप कर प्रदेश में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत कर दी गई हैं।

 

नई सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सर्वप्रथम वरिष्ठ नौकर शाह की मीटिंग में पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाया और उस पर काम शुरू कर प्रदेश की आम आवाम के मध्य सत्ता परिवर्तन का एक संदेश दिया। उन्होंने पेपर लीक,भ्रष्टाचार,महिला सुरक्षा और अपराधियों को सबक सिखाने की दिशा में कड़े कदम उठाए। साथ ही घोषणा पत्र के अनुसार उज्ज्वला योजना में 450 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर देने की घोषणा की,पेपर लीक रोकने को लेकर कड़ा एक्शन लिया और एसआईटी का गठन किया,परीक्षाओं की मॉनिटरिंग डीजीपी और मुख्य सचिव स्तर पर करने की दिशा में फल की,नकल दोषियों के खिलाफ ट्रायल की घोषणा की,प्रदेश में गैंगवार रोकने के लिए एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन किया, हिस्ट्रीशीटर के घर पर उत्तर प्रदेश की तरह बुलडोजर चलाया, पूर्वी राजस्थान के लोगों की महत्वाकांक्षी परियोजना ईआरसीपी पर नए सिरे से काम शुरू किया उच्च स्तरीय बैठक में मध्य प्रदेश और भारत सरकार के साथ एक एम ओ यू करने का निर्णय हुआ,सीबीआई को राजस्थान में जांच के लिए फ्री हैंड दिया, स्थानीय निकायों में मनोनीत पार्षदों की सेवाएं समाप्त की,इंदिरा रसोई का नाम बदल श्री अनपूर्णा रसोई किया,चिरंजीवी योजना को आयुष्मान योजना में बदला,शिक्षा निदेशालय में विभागीय कर्मचारियों का डेपुटेशन रद्द किया,स्वायत शासन विभाग में संविदा सेवाओ को समाप्त किया,राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्न प्रोग्राम और महात्मा गांधी सेवा प्रेरक पर रोक लगाई,पूर्ववर्ती सरकार की टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाई तथा टॉप नौकरशाही में बदलाव किया एवं प्रधानमंत्री की विकसित भारत संकल्प यात्राओं के विशेष शिविरों का आयोजन कर और उनमें सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने आदि फैसले लिए और कार्यों को अंजाम दिया है। पिछले दिनों देश के सभी डी जी पी और आई जी की तीन दिवसीय एक बड़ी कांफ्रेंस का सफल आयोजन कराने और जयपुर में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में प्रधानमत्री मोदी का पहली बार आगमन तथा विधायकों पार्टी संगठन के पदाधिकारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधन का कार्यक्रम आयोजित कराने के लिए प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों प्रशंसा भी पाई है। मुख्यमंत्री शर्मा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी और संगठन मंत्री चंद्र शेखर के साथ सत्ता संगठन का तालमेल बना कर आगे बढ़ रहें है। वे संसदीय और राजनीतिक शिष्टाचार में भी पीछे नहीं रहे हैं और प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र से भेंट करने राजभवन जा रहें है।साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करने के लिए उनके राजकीय निवास पहुंच कर पिछले कई वर्षों से बंद पड़ी एक स्वस्थ परंपरा को पुनर्जीवित किया है।

 

भजन लाल शर्मा ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले एक महीने में ऐसे कई फैसले लेकर यह जताने का प्रयास किया है कि वे भले ही पहली बार के विधायक क्यों नही हो? उनमें राजनीतिक परिपक्वता में कोई कमी नहीं है। उन्होंने विधानसभा में विधायको की शपथ ग्रहण की ओपचारिकता पूरी होने के बाद शीर्ष नेतृत्व की घोषणा के अनुरूप विधानसभा अध्यक्ष के लिए वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी का सर्वसम्मति से निर्विरोध चुनाव कराने में सफलता पाई है। साथ ही एक और वरिष्ठ विधायक जोगेश्वर गर्ग को विधान सभा में सरकारी मुख्य सचेतक बनवाने में भी सफल हुए हैं।

 

इन फैसलों और कार्यों से राजस्थान की जनता को प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने का अहसास कराने की कोशिश की गई हैं। हालांकि श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधान सभा की सीट पर पार्टी प्रत्याक्षी सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी को विधायक बनने से पहले ही मंत्री पद की शपथ दिलाने के बावजूद वहां मिली हार उनकी सरकार के खाते में पहली सियासी विफलता के रुप में दर्ज हुई है। इसी प्रकार मंत्रिपरिषद के गठन और मंत्रियों के विभागों के आवंटन में हुए विलंब तथा अब तक केबिनेट की बैठक आयोजित नही हो पाना आदि विषयों पर विपक्ष को बोलने का अवसर देना भी ठीक नही माना जा रहा।

 

आने वाले दिनों में आसन्न लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद भजन लाल शर्मा सरकार के समक्ष अन्य कई बड़ी चुनौतिया आने वाली है। इससे पहले राज्य विधानसभा सत्र में सशक्त विपक्ष का सामना करना, नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करना, प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे को पटरी पर लाना आदि कई अग्नि परीक्षाओं से भी उन्हे निपटना है। इसके अलावा निकट भविष्य में स्थानीय निकाय और पंचायती राज के चुनावों में पार्टी को विजय दिलाना भी एक बडी चुनौती हैं।

 

अब यह देखना दिलचस्प होंगा है कि इन सभी परीक्षाओं में राजस्थान की नई नवेली भजन लाल शर्मा सरकार कितनी पास होती है और कितनी फैल ?

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