Rajasthan Tableau: दिल्ली की राष्ट्रीय रंगशाला में झाकियों का प्रेस प्रिव्यू, राजस्थान की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र

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Rajasthan Tableau: दिल्ली की राष्ट्रीय रंगशाला में झाकियों का प्रेस प्रिव्यू, राजस्थान की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर इस वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड-2024 में निकलने वाली झांकियों में राजस्थान की झांकी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगी। इस झांकी में विकसित भारत में

पधारो म्हारे देश की नयनाभिराम झांकी के दर्शन होंगे।

 

नई दिल्ली के दिल्ली कैंट परेड ग्राउंड स्थित गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में सोमवार को हुए झाकियों के प्रेस प्रिव्यू में

राजस्थान की झांकी सबके आकर्षण का केंद्र बनी।

 

झांकी के नोडल अधिकारी राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ रजनीश हर्ष ने बताया कि यह झांकी राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति, स्थापत्य परंपरा और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण है। झांकी के अग्रभाग में राजस्थान के सुप्रसिद्ध घूमर नृत्य का मनोहारी दृश्य है। इसमें घूमर करती दस फीट आकार की राजस्थानी वेश-भूषा में सुसज्जित नर्तकी का मूर्ति शिल्प दर्शाया गया है। घूमर राजस्थान का सुप्रसिद्ध पारंपरिक महिला नृत्य है जो विभिन्न उत्सवों में किया जाता है।

डॉ हर्ष ने बताया कि झांकी के पिछले भाग में भक्ति और शक्ति की प्रतीक भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त मीरा बाई की सुंदर प्रतिमा प्रदर्शित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य के प्रसिद्ध महिला हस्तशिल्प उद्योगों का महिलाओं द्वारा ही संचालन करना और निर्मित उत्पादों की सुंदर झलक प्रस्तुत की गई है। झांकी में राजस्थान की उद्यमी महिलाओं को पारंपरिक बंधेज, बगरू प्रिंट, एप्लिक वर्क का कार्य करते हुए दर्शाया गया है।

उन्होंने बताया कि झांकी के पिछले भाग में रेगिस्तान का जहाज कहें जाने वाले राज्य के पालतु पशु ऊंट की सुसज्जित प्रतिमा है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) ने वर्ष-2024 को उष्ट्र (ऊंटो) वर्ष घोषित किया है। गोरबंद में सजे-धजे दो ऊंटो की झांकी प्रतिवर्ष राजस्थान में होने वाले ऊंट उत्सव को प्रतिबिंबित कर रही है। इसके साथ ही झांकी में विशेष राजस्थानी ग्राम्य जन जीवन के प्रतीक के रूप में राजस्थानी लिबास में सजे धजे पुरुष की मूर्ति दर्शाई गई है। साथ ही झांकी में ऊंट पर राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहने राजस्थानी महिला सवार भी दर्शायी गई है। ऊंट के पीछे राजस्थान के स्थापत्य को हाथी युक्त विशेष तोरण द्वार, कलात्मक छतरियों युक्त मीनारो आदि को गुलाबी रंग पर सफेद रंग से सुंदरतापूर्वक अलंकृत किया गया है।

झांकी में राजस्थानी संगीत की मनभावन प्रस्तुति के साथ घूमर और गोरबंद गीतों की विभिन्न लोक वाद्य यंत्रों के द्वारा फ्यूजन धुनों पर, झांकी के दोनों ओर दस लोक नर्तकियां पारंपरिक घूमर नृत्य करेंगी।

डॉ हर्ष ने बताया कि इस सांस्कृतिक झांकी में विकसित भारत की संकल्पना के अंतर्गत राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति में समाए महिला हस्तशिल्प उद्योगों के विकास का सुंदर ढंग से प्रदर्शन किया गया है। यह राजस्थान के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के आलोक में यहां हुए नवीन स्थापत्य निर्माण की एक सुंदर झांकी है। राजस्थान की यह झांकी परंपरा के आलोक के साथ विकसित भारत की संकल्पना लिए हुए है।