Kissa-A-IPS: अकेले मनोज शर्मा ही नहीं 12th फेल और भी IPS है!

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Kissa-A-IPS: अकेले मनोज शर्मा ही नहीं 12th फेल और भी IPS है!

हाल ही में आई फिल्म ’12वीं फेल’ ने उन युवाओं को काफी प्रेरित किया जो यूपीएससी क्रेक करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इस फिल्म ने उन्हें ज्यादा हिम्मत दी जिनका एकेडमिक करियर बहुत ज्यादा अच्छा नहीं रहा। ’12वीं फेल’ जिस आईपीएससी मनोज शर्मा पर केंद्रित है, वे भी 12वीं में फेल हो गए थे। इसके बाद भी उन्हें यूपीएससी पास करने में कई तरह की मुश्किलें उठाना पड़ी। पर, विपरीत परिस्थितियों में किला फतह करने वाले मनोज शर्मा अकेले नहीं है। आज ऐसे ही एक और शख्स की कहानी जिन्होंने मुश्किल हालात में और 12वीं में फेल होकर भी अपने लक्ष्य को हमेशा याद रखा। ये IPS हैं- उमेश गणपत खंडबहाले जो फ़िलहाल पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के पुलिस अधीक्षक हैं।

Kissa-A-IPS: अकेले मनोज शर्मा ही नहीं 12th फेल और भी IPS है!

उमेश ने भी ’12वीं फेल’ फिल्म देखी और वे खुद को इसकी कहानी से जोड़ पाए। अपने संघर्ष के दिन याद कर के भावुक हो गए। वे भी मानते हैं कि रीस्टार्ट ऐसा मंत्र है जिससे असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

मनोज शर्मा की कहानी नई नहीं है। कई उम्मीदवारों ने इसका अनुभव किया है। उनकी तरह, अनगिनत युवाओं ने चुनौतियों का सामना किया। कठिन समय से संघर्ष किया है और सफलता हासिल की। वास्तव में ऐसी कहानियां दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की कभी न खत्म होने वाली भावना दर्शाती हैं।

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उमेश गणपत खंडबहाले IPS अधिकारी बनकर कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गए। जब उन्होंने खुलासा किया कि वे 2003 में 12वीं में फेल रहे थे। लेकिन, असफलता से निराश होने के बजाए उन्होंने ब्रेक लेने और अपने पिता के साथ खेती पर ध्यान लगाने का फैसला किया। क्योंकि, उनका मानना है कि असफलता हर चीज का अंत नहीं है। एक मजबूत दिमाग और एक निर्धारित लक्ष्य कभी भी इसमें अंतर ला सकता है।

उमेश महाराष्ट्र के नासिक जिले के महिरावणी गांव से हैं। हायर सेकेंडरी परीक्षा में फेल होने के बाद उमेश गणपत खंडबहाले ने हालात से समझौता करके पढ़ाई छोड़कर खेती करने का फैसला किया। वे 2003 में 12वीं में फेल हुए थे, तब इंग्लिश में उनके सिर्फ 21 नंबर आए थे। इसके बाद उन्होंने 2 साल पढ़ाई से ब्रेक लिया। लेकिन, बाद में अपने पिता और दोस्तों की वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर शुरू की। महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी में डिस्टेंस लर्निंग के जरिए अपने आपको पढाई में झोंक दिया। जिस इंग्लिश विषय में सबसे कम नंबर आए थे उसी में एमए करने का फैसला किया और कर भी लिया।

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अपने लक्ष्य को जिद की तरह पा लेने का इससे अच्छा उदाहरण नहीं मिल सकता। फिर उनका यूपीएससी क्रेक करके आईपीएस अधिकारी बनने तक का सफर भी प्रेरणा की तरह है। खुद उमेश का भी कहना है कि परीक्षा में असफल होना छात्रों के लिए दुनिया का अंत नहीं होना चाहिए। दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए और सफलता पाने के लिए लक्ष्य निर्धारित रखना चाहिए। किसी को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। क्योंकि, असफलता जीवन का एक हिस्सा है और दृढ़ता से इसे दूर किया जा सकता है।

Kissa-A-IPS: अकेले मनोज शर्मा ही नहीं 12th फेल और भी IPS है!

शुरू में वे साइंस स्टूडेंट थे, फिर आर्ट में चले गए और इसके बाद अंग्रेजी साहित्य में घर बैठे स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी में भी मास्टर्स किया। अपनी पढ़ाई के दौरान ही उमेश ने पुलिस पीएसआई परीक्षा भी दी, जिसे उन्होंने पहले ही प्रयास में पास कर लिया। उन्होंने कहा कि इसी परीक्षा ने मुझे IPS की तैयारी के लिए प्रेरित किया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने यूपीएससी क्रैक किया और 704वीं रैंक हासिल की। उन्होंने उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों में काम किया। 2020 में कूचबिहार जिले के दिनहाटा के एसडीपीओ के रूप में और अलीपुरद्वार जिले में एडिशनल एसपी के पद पर काम किया और अब जलपाईगुड़ी के एसपी हैं।

उमेश गणपत खंडबहाले के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनकी कहानी में भी दो वक्त की रोटी पाने तक का संघर्ष है। 12वीं में फेल होने के बाद पिता ने उन्हें अपने साथ खेती और दूध बेचने के काम पर लगा दिया था। दो साल तक दूध बेचकर घर में गुजर-बसर की। वे अपने गांव से नासिक के बाजार में दूध बेचने जाते थे। उमेश जिस रास्ते से दूध बेचने जाते थे, उस रास्ते में यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (वाईसीएमओयू) थी। एक दिन न जाने उनके जहन में क्या आया कि वे यूनिवर्सिटी के सामने रुके और कुछ कोर्स के बारे में पूछताछ की। तमाम जानकारी लेने के बाद उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से 12वीं की। 12वीं के बाद बीएससी हॉर्टिकल्चर में दाखिला लिया। केटीएचएम कॉलेज इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। जिस सब्जेक्ट में वह 12वीं में फेल हुए थे, उसी को अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने पहली बार 2012 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का पहला अटेम्प दिया। 2015 में तीसरी बार में फिर परीक्षा दी और 704 रैंक हासिल की। उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला और वे आज इस राज्य में एक जिले के एसपी हैं।