Excellence Award to Ineligible : न तो स्कूल का विकास, न 100% रिजल्ट, फिर भी अनुशंसा कर पुरस्कार दिलाया!

जिसने अपने प्रयासों से स्कूल को हाईटेक बनाया, उसका नाम अंतिम समय में काट दिया!

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Excellence Award to Ineligible : न तो स्कूल का विकास, न 100% रिजल्ट, फिर भी अनुशंसा कर पुरस्कार दिलाया!

Indore : जिला शिक्षा अधिकारी ने जिन कार्यों के लिए 15 अगस्त 2022 को प्रधान अध्यापक को उत्कृष्टता पुरस्कार दिलवाया, वे कार्य धरातल पर हुए ही नहीं। आनंद मोहन माथुर माध्यमिक विद्यालय देवधरम फिल्टर स्टेशन के विकास और पांच वर्षों के शत प्रतिशत रिजल्ट को आधार बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने प्रधानाध्यापक दिनेश परमार के नाम की अनुशंसा कलेक्टर को भेजी।

इस पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में दिनेश परमार को मंत्री ने पुरस्कार प्रदान किया। मामले में जब सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी चाही तो सामने आया कि 2018 से 2023 तक स्कूल में संस्था ने कोई विकास कार्य नहीं किए। न स्कूल का शत-प्रतिशत रिजल्ट रहा। डीईओ ने एक अपात्र प्रधानाध्यापक को पुरस्कार दिला दिया और पात्र प्रधानाध्यापक को इस पुरस्कार से वंचित कर दिया।

जानकारी अनुसार डीईओ मंगलेश व्यास ने आनंद मोहन माथुर माध्यमिक विद्यालय देवधरम फिल्टर स्टेशन के सर्वांगीण विकास करने और स्कूल का रिजल्ट 100% बताते हुए प्रधान अध्यापक दिनेश परमार का नाम उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए भेजा। एक आवेदक ने आरटीआई आवेदन लगाकर आनंद मोहन माथुर संस्था द्वारा किए गए विकास से संबंधित दस्तावेज मांगे तो स्कूल प्रधानाध्यापक ने जवाब दिया कि संबंधी संस्था ने गत 5 वर्षों में कोई विकास स्कूल में नहीं किया है। संस्था ने 2001 में शाला भवन का लोकार्पण किया था। बताया जा रहा है कि दिनेश परमार की इस स्कूल में पद स्थापना 2019 में हुई है।

अंतिम समय में नाम जोड़ा

सूत्रों की मानें तो 2022 में शासकीय माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 19 (नया बसेरा) के प्रधान अध्यापक सुरेश दुबे को उनके द्वारा स्कूल में करवाए विकास कार्यो के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार दिया जाना था। सुरेश दुबे ने माध्यमिक विद्यालय नया बसेरा का बहुत ही बेहतर विकास करवाया है। स्कूल को हाई टेक किया और यह काम जन सहयोग से करवाया है। इसके लिए सुरेश दुबे का नाम उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चुना था, लेकिन अनुशंसा भेजे जाने के ठीक पहले उनकी जगह दिनेश परमार का नाम भेज दिया गया। ऐसे में दुबे जो वास्तविकता में उत्कृष्टता पुरस्कार के हकदार थे, वे पुरस्कार से वंचित रह गए और अपात्र को पुरस्कार दिलवा दिया गया।

पुरस्कार वापस लेकर कार्रवाई

आरटीआई लगाकर सत्यता सामने लाने वाले वकील ने मांग की है, कि अपात्र को उत्कृष्टता पुरस्कार दिलवाने वाले जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों के खिलाफ विस्तृत जांच होना चाहिए। साथ ही अपात्र को उत्कृष्टता पुरस्कार दिलवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाना चाहिए। इसके पहले अपात्र को दिया उत्कृष्टता पुरस्कार तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और उसके वास्तविक हकदार सुरेश दुबे को प्रदान किया जाना चाहिए।

डीईओ ने की अपात्र कि अनुशंसा

अपात्र प्रधानाध्यापक को उत्कृष्ट पुरस्कार दिए जाने पर यह प्रश्न उठना लाजमी है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने अपात्र की कैसे कर दी अनुशंसा। ऐसे में यह भी विचारणीय हो जाता है कि क्या अन्य मामलों में भी इसी प्रकार का कार्य जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाता है, इनकी भी जांच की जाना चाहिए।