Fight against corruption: दलालों का दुष्चक्र और आकाशवाणी
सुपात्र व्यक्तियों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पंहुचाना शासकों और प्रशासकों के लिये सदा चुनौती रहा है .जो भी उपाय किये जाते हैं वे जल्दी ही अपना असर खो देते हैं.मच्छर मक्खी वायरस को मिटाने के प्रयास प्रारंभिक सफलता के आगे नहीं जा सके। यही हाल आर्थिक घोटालों ,ठगों ,धोखेबाज़ों का है .CEO ज़िला पंचायत बालाघाट के तौर पर मैंने पाया कि दलालों और ठगों का एक मजबूत तंत्र वहाँ सक्रिय है जो हितग्राहियों केअलावा ग्राम पंचायतों से भी पैसे ऐंठता है . यह दुश्चक्र ज़िला पंचायत से राशि जारी होते ही सक्रिय हो जाता था और गाँव गाँव से इस बिना पर राशि बटोरता था। कहता यह था कि जिला पंचायत में हमारा लिंक है। यह राशि हमने डलवाई है .
इस लूट को रोकने के लिये सरपंचों के सम्मेलन किये.कड़ी कार्यवाहियाँ भी की.कुछ फ़र्क़ दिखा पर लूट रुकी नहीं .योजनाओं के प्रावधानों का प्रचार भी ज़्यादा काम न आया .मैंने गाँव गाँव जारी राशि के विवरण छापकर बाँटना शुरू किये फिर भी बदमाशी घटी पर जारी रही .
मुझे फिर एक आइडिया आया।आकाशवाणी बालाघाट वहाँ बहुत लोकप्रिय थी .मैं वहाँ गया .आकाशवाणी केंद्र से वार्षिक MOU किया .देश भर में पहली बार यह हुआ कि जो भी राशि हम जारी करते उसकी सूची गाँववाले अपने रेडियो पर घर बैठे या खेत में सुनने लगे .दलाल और ठग हक्के बक्के और निहत्थे रह गए .अगली किस्त भी कब कैसे मिलेगी, यह रेडियो पर बताने से बिचौलियों का धंधा चौपट हो गया .
इस प्रकार आकाशवाणी के सकारात्मक उपयोग से गरीब गांव वालों का भला करने की सफल कोशिश की गई।