“सन सिटी” से विदा होगा आज देश का “सूरज”

वरुण सिंह...हमेशा जिंदा रहेगा हमारे दिलों में ...

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आज कई विषयों पर लिखने का मन बनाया, लेकिन मन बार-बार शहीद वरुण सिंह की तरफ ही दौड़ता रहा या फिर मन का मन था कि आज कुछ भी न लिखा जाए। शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्‍टन वरुण सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार को भोपाल जो पहुंच चुका था, उसके बाद मन उनसे दूर नहीं हो पा रहा है।
एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि के बाद वरुण के पार्थिव शरीर को उनके पिता के “सन सिटी” स्थित आवास पर ले जाया गया। जहां श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला लगातार चलता रहा। सबकी आंखें नम हैं कि इसी “सन सिटी” से देश का यह सूरज अंततः पूरी तरह से अंतिम यात्रा पर विदा हो जाएगा।
एक देशभक्त जाबांज की जिंदगी के लिए जब पूरा देश प्रार्थना कर रहा था, तब कन्नूर हवाई दुर्घटना में जीवित बचे इस योद्धा के शहीद होने की खबर सात दिन बाद बुधवार को आई तब हर दिल मायूस हो गया था। गुरुवार को जब पार्थिव शरीर भोपाल पहुंचा तो सभी की आंखें नम थी।
हालांकि यह वीरों का परिवार है। सेना से रिटायर पिता, नेवी में अफसर छोटा भाई और वायु सेना में रहे दिवंगत वरुण सिंह के रूप में यह सैन्य परिवार देश सेवा में रत अद्भुत परिवार है। अगस्त में ही तो इस शूरवीर को शौर्य चक्र से नवाजा गया था और चार माह बाद ही यह देश इस सूरज को खोकर गमगीन है। वीरों के इस परिवार का यह हीरा अब सितारा बनकर देश-दुनिया को रोशन करता रहेगा।
तेजस विमान की अनहोनी को अपने हुनर से टालने वाले वरुण ने यह पहले ही साबित कर दिया था कि मौत से उन्हें भय बिलकुल भी नहीं था। वह रियल फाइटर थे, जिसे अंतिम सांस तक लड़ना आता था। जाने से तीन महीने पहले वह बच्चों को यह संदेश भी देकर गए हैं कि औसत दर्जे का व्यक्ति भी जीवन में उपलब्धियों के मामले में अव्वल साबित हो सकता है।
वरुण सिंह ने बच्चों को संदेश दिया था कि औसत दर्जे का होना भी ठीक, 12वीं के अंक आपकी तकदीर तय नहीं करेंगे। वरुण सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित होने के कुछ सप्ताह बाद 18 सितंबर को अपने स्कूल चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखा था। करीब तीन महीने पहले लिखे पत्र में उन्होंने छात्रों से कहा था कि औसत दर्जे का होना ठीक बात है।
स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और न ही सभी 90 फीसदी अंक ला पाते हैं। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए ही बने हैं। आप स्कूल में साधारण हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद वरुण सिंह के परिवार को एक करोड़ रुपए, शहीद की प्रतिमा लगवाने, उनके नाम पर किसी स्थल का नामकरण करने सहित परिवार की सहमति पर नौकरी देने की भी बात कही है। शौर्य चक्र से सम्मानित योद्धा तुम तो अमर हो गए हो, जिसका नाम हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। सन सिटी से आज देश का यह सूरज अंतिम यात्रा पर जरूर विदा हो रहा है लेकिन हमारे दिलों से कभी विदा नहीं होगा। सैल्यूट जाबांज योद्धा …।