Notice to 3 IAS Officers : धन के दुरुपयोग मामले में हाई कोर्ट ने 3 IAS अधिकारियों को नोटिस दिया
Hyderabad : आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने विशाखापत्तनम में एपी-मेडटेक जोन के गठन में कथित अनियमितताओं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संबंधित धन के दुरुपयोग से संबंधित एक मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और राज्य सरकार में विशेष मुख्य सचिव पूनम मालाकोंडैया को नोटिस जारी किया।
इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर कार्रवाई करते हुए, हाई कोर्ट की इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश धीरजसिंह ठाकुर और न्यायाधीश आर रघुनंदन राव शामिल थे। उन्होंने पूनम मालाकोंडैया के अलावा, एपी-मेडटेक जोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र कुमार को नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने पूनम मालाकोंडैया और अन्य को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले को तीन सप्ताह बाद की अगली तारीख के लिए बढ़ा दिया गया।
जनहित याचिका में 4 अक्टूबर, 2021 को राज्य सरकार के आदेश (जीओ नंबर 1645) को चुनौती दी गई थी। इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि के दुरुपयोग और एपी-मेडटेक जोन के गठन के आरोपों के मामले में पूनम मालाकोंडैया के खिलाफ कार्रवाई को छोड़ दिया गया था।
सतर्कता और प्रवर्तन विभाग ने 2 मई, 2019 को राज्य सरकार के निर्देश के बाद आरोपों की जांच की, ने 12 सितंबर, 2019 को अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि बड़े पैमाने पर प्रथम दृष्टया सबूत थे। मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय और प्रक्रियात्मक अनियमितताएं हुई है।
इसके बाद, क्षेत्रीय सतर्कता और प्रवर्तन अधिकारी, विशाखापत्तनम ने भी 5 जुलाई, 2021 को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें पूनम मालाकोंडैया, जितेंद्र शर्मा और अन्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई, जो सभी अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार माने गए। राज्य सरकार ने सतर्कता रिपोर्ट में बताई गई अनियमितताओं पर पूनम मालाकोंडैया से स्पष्टीकरण मांगा।
8 सितंबर, 2021 को उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत किया और सरकार से मामले को बंद करने का अनुरोध किया। राज्य सरकार ने उनके कथन पर विचार किया और उनके और अन्य लोगों के खिलाफ आगे की कार्रवाई इस आधार पर छोड़ दिया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक ने 2018 में ही प्रमाणित कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए थे।