CM को लेकर जीतू पटवारी की टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन,BJP ने चुनाव आयोग से की शिकायत

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CM को लेकर जीतू पटवारी की टिप्पणी आचार संहिता का उल्लंघन,BJP ने चुनाव आयोग से की शिकायत

भोपाल: भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बारे में की गई टिप्पणी को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग चुनाव आयोग से की है। भाजपा ने अपनी शिकायत के साथ जीतू पटवारी की प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो भी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा है।

भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचन आयोग समन्वय विभाग के प्रदेश संयोजक श्री एस.एस. उप्पल, न्यायिक एवं निर्वाचन विभाग के प्रभारी श्री मनोज द्विवेदी द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपी गई लिखित शिकायत में कहा गया है कि हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और झाबुआ विधायक विक्रांत भूरिया जोबट में गैंगरेप पीड़िता के घर अनेक लोगों के साथ गए थे। दोनों कांग्रेस नेताओं ने गैंगरेप पीड़िता के परिजनों के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उनकी पहचान सार्वजनिक की थी। इस मामले में जीतू पटवारी के खिलाफ धारा 228 ए भारतीय दंड विधान, 23 पास्को एक्ट एवं 74 जेजे एक्ट का केस दर्ज किया गया है। इसी मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपनी हताशा पत्रकारों के समक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं उनकी सरकार के खिलाफ अनर्गल और भड़काऊ वक्तव्य देकर प्रकट की है।

शिकायत में कहा गया है कि जीतू पटवारी ने पत्रकार वार्ता में यह भी आरोप लगाया कि जोबट में रेप भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने किया है, जो कि पूर्णत: आधारहीन एवं तथ्यहीन है तथा चुनाव के समय पार्टी की छवि खराब करने का प्रयास है। जीतू पटवारी ने यह भी वक्तव्य दिया है कि मध्यप्रदेश से दो लाख बहनें गायब हो गई हैं और रोज 17 दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, जो कि मनगढ़ंत और सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की गई शिकायत में कहा गया है कि जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ असंवैधानिक शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे प्रदेश की जनता में आक्रोश है तथा यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। अत: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए जाएं तथा उनके द्वारा आचार संहिता लागू रहने तक सार्वजनिक वक्तव्य देने पर रोक लगाई जाए।