दिल जीता इन दिल वालों ने…

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दिल जीता इन दिल वालों ने…

मध्यप्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर् शाम छह बजे तक 71.72 फीसदी मतदान हुआ। चुनाव आयोग ने शाम छह बजे तक के आंकड़े जारी कर यह जानकारी दी। सर्वाधिक मतदान मंदसौर में 74.50 फीसदी दर्ज किया गया और सबसे कम मतदान इंदौर में 60.53 फीसदी दर्ज हुआ। बाकी छह लोकसभा सीटों पर अवरोही क्रम में मतदान प्रतिशत देखा जाए तो खरगौन (75.79 फीसदी), देवास (74.86 फीसदी), उज्जैन (73.03 फीसदी), रतलाम (72.86 फीसदी), धार (71.50 फीसदी) और खंडवा (70.72 फीसदी) मतदान दर्ज हुआ। मध्यप्रदेश में चार चरण में शाम छह बजे तक दर्ज हुए मतदान में यह सबसे अच्छी तस्वीर नजर आई है। हालांकि अभी अंतिम आंकड़े 2019 लोकसभा चुनाव के आसपास, बराबर या ज्यादा भी हो सकते हैं। पर शाम छह बजे तक की इस तस्वीर ने भी यह साबित कर दिया है कि मालवा-निमाड़ के दिल वाले मतदाताओं ने लोकतंत्र प्रेमियों का दिल जीत लिया है। दिल जीतने वालों में इंदौर के दिलदार मतदाता भी शामिल हैं। यदि विरोध भी जताया तो दिल खोलकर जताया है। वरना देश में नंबर वन इस जिले के मतदाता मतदान प्रतिशत में दूसरों को पीछे न छोड़ पाते, यह संभव ही नहीं था। निर्वाचन आयोग का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 75.65 प्रतिशत मतदान हुआ था।। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी स्थिति इससे बेहतर साबित होगी, यह उम्मीद की जा सकती है।

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 10 राज्यों की 96 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ है। चौथे चरण में आंध्र प्रदेश की सभी 25 सीटें, तेलंगाना की सभी 17 सीटें, उत्तर प्रदेश की 13 सीटें और महाराष्ट्र की 11 सीटें शामिल रहीं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश की आठ-आठ, बिहार की पांच, झारखंड और ओडिशा की चार-चार और जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर मतदान हुआ। शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2019 की तुलना में कम मतदान दर्ज हुआ तो पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया। औसत 62.31 फीसदी दर्ज मतदान में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 75.66 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले।

मध्य प्रदेश में चौथे और आखिरी चरण का मतदान था। आठ सीटों की बात करें तो इंदौर में 1989 से 2014 तक लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीती ताई सुमित्रा महाजन के समय अधिकतम मतदान प्रतिशत 2014 में 62.25 फीसदी रहा था। 2019 में यही इंदौर सात फीसदी अधिक 69.33 फीसदी मतदान का साक्षी बना था। अब 2024 में कम ही यही, पर इंदौर के मतदाता यह साबित कर रहे हैं कि शंकर लालवानी हों या फिर कोई और, हम गलत कदम से कदमताल नहीं करेंगे। बम मैदान में होते तो हम दिल वाले इंदौरी मतदान में भी बम फोड़ देते।
परिसीमन के बाद 2009 में बनी देवास लोकसभा सीट पर पहले सांसद सज्जन सिंह बने थे, जिन्होंने दिग्गज भाजपा नेता थावरचंद गहलोत को थोड़े अंतर से हराया था। 2014 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने सज्जन सिंह वर्मा को बड़े अंतर से मात दी। 2019 में महेंद्र सिंह सोलंकी ने प्रहलाद टिपानिया को बडे अंतर से हराया था। और देवास का सर्वाधिक मतदान 79.46 फीसदी हुआ था। अब महेंद्र सोलंकी और राजेंद्र मालवीय आमने-सामने हैं। मतदान भी अच्छा हुआ है।

उज्जैन लोकसभा में सर्वाधिक सात बार भाजपा के सत्यनारायण जटिया सांसद रहे। 1980 में पहली बार चुनाव जीते। 1984 में सत्यनारायण पवार से हारे। 1989 से 2004 तक छह बार जीते। फिर 2009 में प्रेमचंद्र गुड्डू  से हारकर मुख्यधारा से छिटक गए। 2019 में अनिल फिरोजिया के समय सर्वाधिक 75.43 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार पिछला रिकार्ड टूट सकता है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का क्षेत्र जो है। भाजपा के अनिल फिरोजिया और कांग्रेस के महेश परमार आमने-सामने हैं।

धार में उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष के बतौर सर्वाधिक सक्रिय हैं, उन्हें वर्तमान भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर ने 2014 में एक लाख चार हजार मतों से हराया था। तब 65 फीसदी मतदान हुआ था। 2019 में धार लोकसभा में मतदान प्रतिशत सर्वाधिक 75.25 रहा था, तब भाजपा सांसद छतर सिंह दरबार बने थे। अब सावित्री ठाकुर और राधेश्याम मुबेल के मुकाबले में भी रिकार्ड मतदान की आस है।

खंडवा में भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल और कांग्रेस के नरेंद्र पटेल आमने-सामने हैं। 1996 से 2019 तक छह बार सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान केवल 2009 में पार्टी में भितरघात का शिकार होकर अरुण सुभाष यादव से मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। और उनके अंतिम चुनाव 2019 में खंडवा में सर्वाधिक 76.90 फीसदी मतदान हुआ था। यहां हुए उपचुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल विजयी हुए थे, हालांकि उपचुनाव में मतदान प्रतिशत 12 फीसदी कम हो गया था। अब ज्ञानेश्वर पाटिल और नरेंद्र पटेल आमने-सामने हैं। मतदाताओं ने इस बार भी दिल जीता है।

खरगोन में 2019 में सर्वाधिक 77.85 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार भी स्थिति बेहतर है। गजेंद्र और पोरलाल के बीच मुकाबला दिलचस्प है।

मंदसौर में भाजपा के सुधीर गुप्ता की हैट्रिक की तरफ निगाहें हैं। यहां 2019 में 77.89 फीसदी अब तक का सर्वाधिक है। इस बार भी मतदाता दिल खोलकर मतदान करने पहुंचे हैं।

रतलाम में कांतिलाल भूरिया और अनीता चौहान आमने-सामने हैं। यहां भी 2019 में 75.70 फीसदी सर्वाधिक मतदान दर्ज हुआ था। इस बार भी उम्मीद पर मतदाता खरा उतर रहा है।

खैर यही चाह है कि हर चरण के लोकसभा चुनाव में मतदाता दिल जीतते रहें। मध्यप्रदेश में नहीं, बल्कि पूरे देश के मतदाता दिल खोलकर मतदान करें और पिछले रिकार्ड तोड़कर दिल जीतते रहें।  तभी लोकतंत्र का पर्व हमें गर्व करने का सही अवसर देगा…।