Darshan Fee in Khajrana Temple is Wrong : कलेक्टर ने कहा ‘खजराना गणेश मंदिर में 50 रु दर्शन शुल्क की बात गलत!’  

उन्होंने कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ, क्योंकि आचार संहिता में बैठक नहीं हुई!   

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Darshan Fee in Khajrana Temple is Wrong : कलेक्टर ने कहा ‘खजराना गणेश मंदिर में 50 रु दर्शन शुल्क की बात गलत!’  

Indore : कलेक्टर आशीष सिंह ने खजराना गणेश मंदिर में शुल्क लेकर दर्शन करवाने वाले वायरल हो रहे संदेश को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह अफवाह है। ऐसे निर्णय के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई और कोई फैसला किया गया। मंदिर से जुड़ा कोई भी निर्णय प्रबंध समिति की बैठक में ही हो सकता है, जो आचार संहिता लागू होने के कारण नहीं हो सकती। इस अफवाह को मंदिर के पुजारी के बयान से हवा मिली। उन्होंने भी कहा कि व्यवस्था सुचारू रूप से चले इसके लिए यह नाममात्र का दर्शन शुल्क रखा गया है।

यह खबर उड़ी कि खजराना गणेश मंदिर में भी महाकाल मंदिर और प्रदेश के अन्य मंदिरों की तर्ज पर अब शीघ्र दर्शन के लिए दर्शन शुल्क लगना शुरू होगा। यह भी कहा गया कि खजराना गणेश मंदिर में यह नई व्यवस्था कलेक्टर आशीष सिंह और मंदिर प्रशासन की सहमति के बाद शुरू की गई है। जबकि, यह बात सही नहीं है।

शुल्क भी बताया गया 

अफवाह उड़ाने वाली ख़बरों में बताया गया कि खजराना गणेश मंदिर में प्रथम गैलरी से दर्शन के लिए 50 रुपए दर्शन शुल्क देना होगा। यदि दो लोग यानी पति-पत्नी जाते हैं तो सौ रुपए शुल्क होगा। बच्चों का शुल्क नहीं लगेगा। इसके लिए सीढ़ियों के पास में ही काउंटर टेबल लगाई गई है। सीढ़ियों पर चढ़ते ही आपको यह काउंटर टेबल दिख जाएगी। यहां से रसीद काटकर भक्त प्रथम गैलरी से भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इस गैलरी के पीछे एक कॉमन गैलरी बनी है जहां से दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।

आश्चर्य की बात यह कि मंदिर के पुजारी अशोक भट्ट की तरफ से यह जानकारी भी दी गई कि गर्भगृह में मूर्ति के पास से दर्शन और पूजन के लिए कलेक्टर से अनुमति लेना होगी। बिना अनुमति के किसी को भी मंदिर के गर्भगृह में दर्शन नहीं दिया जाएगा। इसके लिए मंदिर आने से पहले ही कलेक्टर के यहां अनुमति का आवेदन लगाना होगा।

इस दर्शन शुल्क की जरूरत बताई 

गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट के हवाले बताया गया कि मंदिर में दुनियाभर से भक्त आते हैं। कई बार बहुत अधिक संख्या होने की वजह से व्यवस्था संभालने में दिक्कत होती है। दर्शन की व्यवस्था सुचारू रूप से चले इसके लिए यह नाममात्र का दर्शन शुल्क रखा गया है। इससे दर्शन व्यवस्था बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। अशोक भट्ट के हवाले से यह भी कहा गया कि यह राशि सेवा कार्यों में उपयोग की जाती है। मंदिर में रोज हजारों भक्तों को निशुल्क भोजन कराया जाता है। नाममात्र के शुल्क में डायलिसिस के मरीजों को उपचार दिया जाता है और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी के बच्चों को निःशुल्क दवाएं वितरित की जाती हैं।